5 Reasons To Watch Inspector Zende: मिस किया तो होगा दुख, 5 कारणों से मस्ट वॉच है मनोज बाजपेयी की कॉमेडी-थ्रिलर
5 Reasons To Watch Inspector Zende चोर पुलिस की कहानी हमेशा से ही दर्शकों की पसंद रही है खासकर अगर उसमें पुलिस किसी सीरीयल किलर के पीछे पड़ी हो तो सस्पेंस और भी बढ़ जाता है। वहीं अगर ड्रामा के साथ कॉमेडी का तड़का मिला दिया जाए फिर तो बात ही कुछ और है। एक ऐसी ही फिल्म आई है मनोज बाजपेयी की इंस्पेक्टर झेंडे जो आपको जरूर देखनी चाहिए।

एकता गुप्ता, नई दिल्ली। कहते हैं पुलिस और चोर के बीच चूहे बिल्ली का खेल चलता है लेकिन अगर यही खेल सांप और नेवले का बन जाए तो कहानी सुनने में दिलचस्प लगती है। इंस्पेक्टर झेंडे रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित फिल्म है जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई। फिल्म में मनोज बाजपेयी ने मुंबई के पुलिस अधिकारी मधुकर झेंडे की भूमिका निभाई है जिन्होंने सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज को दो बार पकड़ा था। जिसका किरदार जिम सर्भ ने निभाया है।
क्या है इंस्पेक्टर झेंडे की कहानी?
फिल्म में विलेन यानि कार्ल भोजराज का एक डायलॉग है,'तुम मेरी वजह से मशहूर हुए हो'. कार्ल को बिकिनी किलर के नाम से जाना जाता है जो दुनिया के अलग अलग देशों में लड़कियों को मारकर उन्हें जिंदा जला देता है। यह खूंखार अपराधी भारत आता है जिसे 1980 के दशक में इंसपेक्टर झेंडे द्वारा पकड़ लिया जाता है। हालांकि कार्ल तिहाड़ पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है और एक फिर कार्ल को पकड़ने का काम झेंडे को ही दिया जाता है और वो भी एक छोटी सी टीम के साथ। यहां से शुरू होती है कार्ल को पकड़ने का एक सीक्रेट ऑपरेशन, डीजीपी, झेंडे को कहते हैं कि कार्ल एक सांप है इस पर झेंडे जवाब देते हैं कि अगर वो सांप है तो मैं नेवला हूं, बिना पूंछ और दो पैर वाला।
फोटो क्रेडिट - सोशल मीडिया
इन 5 कारणों से मस्ट वॉच है मनोज बाजपेयी की फिल्म
एक फिल्म को देखने के लिए पर्याप्त वजह होनी चाहिए जिससे टाइम वेस्ट ना हो और एंटरटेनमेंट भी हो जाए। इंस्पेक्टर झेंडे में ऐसी कई बाते हैं जो इसे एक देखने लायक फिल्म बनाती है।
1. मनोज बाजपेयी: एक अच्छा एक्टर किसी भी को देखने के मजे को दोगुना कर देता है और मनोज बाजपेयी के लिए ये बात एकदम सटीक बैठती है। मनोज ने फिल्म में अपनी एक्टिंग और कॉमेडी टाइमिंग से फिल्म में जान फूंकी है। जब वे स्क्रीन पर होते हैं तो आप नजरें नहीं हटा सकते।
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2. चोर पुलिस की कहानी में कॉमेडी का तड़का: इंस्पेक्टर झेंडे भले ही एक सीरियल किलर को पकड़ने की गंभीर कहानी हो लेकिन इसमें लगाया गया कॉमेडी का तड़का इसे काफी हल्का बना देता है जिससे फिल्म बोरिंग भी नहीं लगती और आपको आखिरी तक बांधे रखती है।
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3. कम टाइम में फुल मनोरंजन: 2.30 से 3 घंटे की फिल्मों के जमाने में इंस्पेक्टर झेंडे कम टाइम में एंटरटेन करने का काम करती है यानि 2 घंटे से भी कम समय में फिल्म पूरी हो जाती है।
4. कैमरा वर्क और डायरेक्शन : 1970-80 के दशक में मुंबई और गोवा को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। यहां तक की जिम सर्भ के लुक को भी उस वक्त के हिसाब से बनाया गया है जिसमें वे काफी हैंडसम लग रहे हैं। डायरेक्शन की बात करें तो एक्टर चिन्मय डी मंडलेकर ने पहली बार निर्देशन में कदम रखा है लेकिन पहली फिल्म के हिसाब से उन्होंने अच्छा काम किया।
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5. सपोर्टिंग कैरेक्टर्स की अच्छी एक्टिंग: मनोज बाजपेयी के साथ सपोर्टिंग कैरेक्टर्स ने भी अच्छा काम किया है। वहीं एक इंस्पेक्टर की ड्यूटी और फैमिली के बीच बैलेंस को भी शानदार तरीके से दिखाया गया है।
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