मेटल से बने थे भगवान शिव के आभूषण, असली पंचमुखी रुद्राक्ष का हुआ था इस्तेमाल, जानें पूरी डिटेल
भगवान शिव के लुक को लार्जर दैन लाइफ बनाने के लिए सबसे पहले उनके आभूषणों पर काम किया। उनके माथे पर जो चंद्र शोभित रहता है उसे खास तरह के मेटल से बनाया ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के बीच एक बार फिर से पुराने टीवी शोज को शुरू किया गया। लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में कैद थे इसलिए उनके मनोरंजन के लिए 80 और 90 के दशक के कई टीवी शोज को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया था। वहीं अगर हम 'रामायण' की बात करें तो इस शो अबतक के टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। वहीं पुराने धारावाहिकों में 'रामायण', 'महाभारत' के बाद अब 'ऊं नम: शिवाय' का प्रसारण भी टेलीविजन पर शुरू हो गया है।
कलर्स चैनल पर प्रसारित हो रहे इस धारावाहिक के निर्देशक धीरज कुमार कहते हैं कि 'रामायण', 'महाभारत' के बाद मैंने और मेरी पत्नी ने 'ऊं नम: शिवाय' धारावाहिक को चुनौती के तौर पर लिया था। तब तकनीक इतनी नहीं थी, इसलिए दिमाग का इस्तेमाल बहुत करना पड़ा। हमने भगवान शिव के लुक को लार्जर दैन लाइफ बनाने के लिए सबसे पहले उनके आभूषणों पर काम किया। उनके माथे पर जो चंद्र शोभित रहता है उसे खास तरह के मेटल से बनाया गया था।
असली पंचमुखी रुद्राक्ष का इस्तेमाल किया गया था, ताकि उनकी गरिमा और निखरकर आए। उनका त्रिशूल भी बहुत भारी था। उसे फाइबर और मेटल से बनाया गया था। उनके पांव का कड़ा भी खास किस्म के फाइबर से बना था। भगवान शिव को पंचमुखी शिव, अघोरी रूप के रूप में दिखाया गया था। इसमें हमारे स्पेशल कंसल्टेंट चंद्रकांत गौड़ का योगदान रहा। हमारे पास दो ही सेट थे। उन्हीं दो सेट पर हम दस सेट बना लिया करते थे। वहीं पर महल और गुफा दोनों बना लिया करते थे। टेक्नीशियंस और कलाकार मिलाकर लगभग 1200 कलाकारों का योगदान शो में रहा है।

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