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    धनतेरस के त्योहार से जुड़ी बातें साझा कर रहे हैं टीवी सितारे

    By Dinesh DixitEdited By:
    Updated: Fri, 21 Oct 2022 04:10 PM (IST)

    धनतेरस के साथ ही पांच दिनों तक चलने वाले रोशनी के पर्व दीपावली का शुभारंभ हो जाता है। बदलते वक्त के साथ इस पर्व को मनाने के तरीकों में भी बदलाव आया है। ऐसे में रीति-रिवाजों को निभाते हुए टीवी सितारे धनतेरस का पर्व अपने अंदाज में मनाएंगे

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    करणवीर बोहरा, समृद्धि शुक्ला, आदित्य नारायण, मेघा चक्रवर्ती साझा कर रहे हैं अपने दिल की बातें

     प्रियंका सिंह/दीपेश पांडेय

    बच्चे परंपरा को कायम रखें

    अभिनेता करणवीर बोहरा के घर में धनतेरस से लेकर दीवाली तक एक जश्न का माहौल होता है। उनकी तीन बेटियां हैं। करणवीर चाहते हैं कि उनकी बेटियां भी इन त्योहारों का महत्व जानें। वह कहते हैं, मेरी तीन बेटियां हैं, जिन्हें मैं मां लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती का रूप मानता हूं। दीवाली की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। इस दिन जो कुछ भी खरीदना होता है, उसकी जिम्मेदारी मम्मी-पापा पर छोड़ देता हूं। वह बेटियों के लिए कोई न कोई सोने के गहने खरीदकर लाते हैं। बच्चों के हाथ में जब वह सामान आता है तो वह कहती हैं, माम देखो ये ज्वेलरी। इस बार मैं अपने घर पर कुछ नहीं लेकर आ रहा हूं। मैंने और पत्नी टीजे ने तय किया है कि इस बार घर के लिए कोई समान खरीदने की बजाय छोटे बच्चों के शेल्टर होम जाएंगे। हम अपने लिए तो पूरे साल कुछ न कुछ खरीदते ही रहते हैं। इस बार उन बच्चों को कुछ देंगे। खैर, वक्त कितना भी बदल जाए, कुछ रीति-रिवाज नहीं बदलते हैं। दीवाली की पूजा मम्मी के घर पर ही होगी। ये सब चीजें बच्चों को अपनी संस्कृति को समझने में मदद करती हैं। मैं और टीजे उनको दिखाना चाहते हैं कि जब हम छोटे थे तो कैसे त्योहार मनाते थे। मेरी बेटियों को भी धनतेरस के दिन तैयार होने में मजा आता है। हम मिलकर घर सजाते हैं। वे पूछती रहती हैं कि ये क्यों कर रहे हैं, वो क्यों कर रहे हैं। मैं उन्हें हर चीज का महत्व बताता हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे भी इस परंपरा को आगे कायम रखें।

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    पांचों दिन रंगोली बनाऊंगी

    धारावाहिक सावी की सवारी में काम कर रहीं अभिनेत्री समृद्धि शुक्ला माता-पिता के साथ ही रहती हैं। वह कहती हैं कि पहले घर पर धनतेरस के मौके पर विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाने का काम शुरू हो जाता था, लेकिन जब से मैं अभिनय करने लगी हूं, हेल्दी खाने पर ज्यादा ध्यान होता है। हम जो भी बनाते हैं, स्वास्थ्य के बारे में सोचकर बनाते हैं। अक्सर त्योहार पर लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना भूल जाते हैं। जहां तक बात है साज-सजावट की तो वह मैं खूब करती हूं। मेरे यहां धनतेरस से पहले ही लाइटें लग गईं हैं। मैं दीवाली के पांचों दिन बहन के साथ दो से तीन घंटे लगाकर रंगोली भी बनाऊंगी। मुझे बनी-बनाई, छपाई वाली या स्टीकर वाली रंगोली पसंद नहीं है।

    धनतेरस पर बेटी के लिए होगी शापिंग

    सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल 13 के होस्ट और गायक आदित्य नारायण के लिए धनतेरस खरीदारी का खास मौका होता है। वह कहते हैं, मैं आमतौर पर ज्यादा शापिंग करने वाला व्यक्ति नहीं हूं। इसलिए यह त्योहार ही मेरे लिए शापिंग करने का मौका होता है। इस बार परिवार में मेरी बेटी त्विषा के रूप में एक सदस्य और बढ़ गई है। इस बार खास उसके लिए भी शापिंग होगी। मुझे सोने या चांदी से ज्यादा हीरे पसंद हैं। इसलिए मैं अपने लिए हीरे की खरीदारी करना पसंद करता हूं। बाकी धनतेरस पर जो पारंपरिक खरीदारी होती है वो मम्मी करती हैं, वह इन चीजों में अच्छी तरह से पारंगत हैं। कुछ चीजों में समय के साथ बदलाव अच्छा लगता है, लेकिन कुछ मौके ऐसे भी होते हैं, जो हमारी संस्कृति और परंपरा के अनुसार ही रहें तो ही अच्छे हैं। धनतेरस, दीवाली और होली जैसे त्योहारों की खूबसूरती ही यही है कि हम पीढ़ी दर पीढ़ी से इन्हें उसी उत्साह और परंपरा के साथ मनाते आए हैं। त्विषा के होने से इस बार मेरे परिवार में तीन पीढिय़ां एक साथ मिलकर धनतेरस और दीवाली मनाएंगी। मुझे गिफ्ट लेना और देना दोनों पसंद है। इसलिए दिवाली पर मैं बहुत ही शौक से गिफ्ट्स लेता और देता हूं।

    धनतेरस व दीवाली का इंतजार रहता है

    धनतेरस में घर की साज-सजावट भी बहुत मायने रखती है। स्टार प्लस के शो इमली की इमली यानी मेघा चक्रवर्ती कहती हैं कि पुराने रीति-रिवाज जैसे सोना, चांदी खरीदना, वह तो अपनी जगह पर हैं ही, उन्हें इस पर्व से डिलीट नहीं किया जा सकता है, लेकिन उनके साथ अब घर की साज-सजावट भी बदलने के लिए धनतेरस और दीवाली का इंतजार रहता है। इसकी सबसे खास वजह है, नए-नए आफर्स जो त्योहार पर दुकानों में लग जाते हैं। मैं धनतेरस पर घर के पर्दे, बेडशीट आदि बदल देती हूं। नए इलेक्ट्रानिक सामान भी ले आती हूं। मैं मुंबई में अकेले रहती हूं, ऐसे में शुभ कार्य करने के लिए जितनी जरूरी चीजें होती हैं, सब करती हूं। सिर्फ नए कपड़े पहनना और मिठाई खाना ही धनतेरस और दीवाली मनाना नहीं है। बच्चों को ये बातें भी बतानी चाहिए कि इस दिन पूजा-पाठ का क्या महत्व है, दीये क्यों जलाए जाते हैं। मैं बंगाली हूं। मेरे यहां दीवाली की शुरुआत एक तरह से काली पूजा से ही हो जाती है। हालांकि आज के दौर में त्योहार इतने लंबे समय तक नहीं मना सकते हैं। धनतेरस से दीवाली तक वैसे भी शूटिंग में छुट्टी नहीं मिल पाती है। दीवाली का एक दिन मिलता है। बाकी सब ऐसे ही वक्त निकालकर करना पड़ता है। घर में मम्मी जब धनतेरस की पूजा करती हैं तो पूरा परिवार साथ होता है। हमारा संयुक्त परिवार है। वह अपनापन मुंबई में बहुत मिस करती हूं। परिवार के बीच पर्व को मनाने की खुशी दोगुनी हो जाती है।

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