Excuse Me Madam: मिलिए एक्ट्रेस नायरा बनर्जी से, जो निभा रही हैं 'मैडम' का बोल्ड किरदार
Excuse Me Madam नायरा ने कभी टीवी में काम करने के बारे में सोचा न था लेकिन अब वह मानती हैं कि टीवी से ही उन्हें घर-घर में पहचान मिली है। (Photo- Nyra Instagram)
नई दिल्ली, जेएनएन। तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में काम कर चुकीं अभिनेत्री नायरा बनर्जी स्टार भारत के कॉमेडी शो एक्सक्यूज मी मैडम में मैडम के किरदार में नजर आ रही हैं। हिंदी फिल्मों का भी हिस्सा रह चुकीं नायरा ने कभी टीवी में काम करने के बारे में सोचा न था, लेकिन अब वह मानती हैं कि टीवी से ही उन्हें घर-घर में पहचान मिली है। यहां से पढ़िए पूरा इंटरव्यू...
इस धारावाहिक से जुड़ने की प्रक्रिया लॉकडाउन के बाद शुरू हुई या उससे पहले पूरी हो चुकी थी?
लॉकडाउन के दौरान ही इस कॉमेडी शो से जुड़ी। इसी दौरान ऑनलाइन ऑडिशन दिया था। निर्माताओं को मेरा ऑडिशन पसंद आया। इसके बाद ऑनलाइन ही कुछ लुक टेस्ट किए गए और इस किरदार के लिए मेरा चयन हुआ। शो की संकल्पना तो पहले से ही तैयार थी। शूटिंग की अनुमति मिलने और अपनी तैयारियां पूरे होते ही हमने इसकी शूटिंग शुरू कर दी।
कॉमेडी शो के लिए क्या कुछ खास तैयारियां करनी पड़ीं?
इस शो मैं एक अप्रवासी भारतीय महिला का किरदार निभा रही हूं, जो कुछ दिनों पहले ही अपनी कंपनी को संभालने लंदन से आई है। आमतौर पर हमें कैमरे के सामने अभिनय करने की आदत होती है, लेकिन इस शो में मुझे अभिनय नहीं करना है। मुझे सिर्फ सामने वाले किरदार को सुनना और उसकी बातों पर अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रिया देनी है।
इस शो का शादीशुदा नायक अपनी बॉस पर डोरे डालता है, लेकिन महिलाओं के मामले में आज भी ये विषय आपत्तिजनक माने जाते हैं...
जब हम औरतों को भी इंसान समझने लगेंगे तो ऐसी सोच में अपने आप ही बदलाव आ जाएगा। हमें समझना चाहिए कि महिलाओं के भी दिल होता है, मर्दों की तरह उनकी भी कुछ इच्छाएं होती हैं। इच्छाओं में किस तरह का लैंगिक भेद? समाज में लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए महिलाओं को इंसान समझना और उनकी इच्छाओं का भी ख्याल रखना जरूरी है।
वास्तविक जीवन में मिले प्रेम प्रस्तावों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही है?
जब मुझे कोई प्रपोज करता है तो मैं हंसने लगती हूं। पता नहीं क्यों, ऐसे मौकों पर मुझे बहुत शर्म आती है। सबसे बड़ी बात यह कि कोई मुझे आसानी से प्रपोज करता भी नहीं है। बहुत से लड़कों ने मुझे बताया कि उन्हेंं मुझसे अपने दिल की बात कहने में डर लगता है। हालांकि किसी भी प्रपोजल पर मैंने कभी गुस्से से प्रतिक्रिया नहीं दी है।
फिल्मों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने के बाद टीवी की तरफ बढ़ते रुझान का क्या कारण है?
कोरोना काल के इस दौर में सिर्फ फिल्मों का इंतजार नहीं कर सकती। अगर मुझे किसी अच्छे प्रोडक्शन में अच्छा किरदार मिल रहा, पैसे भी ठीक-ठाक मिल रहे हैं और रचनात्मक संतुष्टि मिल रही है तो इसे ठुकराकर किसी दूसरे काम का इंतजार करना कौन सी बुद्धिमानी है? अपने पिछले एक दर्जन से ज्यादा फिल्मों में किए गए काम को सोचकर, वर्तमान में मिल रहे किसी काम को ठुकराना कितना उचित है, यह मुझे नहीं पता। मेरे दिल ने कहा कि यह काम मेरे कॅरियर के लिए सही रहेगा तो मैंने इसे स्वीकार कर लिया।
लॉकडाउन के दौरान किन नई चीजों में हाथ आजमाया?
लॉकडाउन के दौरान मैं काफी सक्रिय रही हूं और घर बैठे विभिन्न विषयों पर फिल्में बनाई, पुलिस के अभियानों के लिए काम किया, घरेलू हिंसा के खिलाफ भी एक म्यूजिकल फिल्म बनाई। मेरी मां कविताएं लिखती हैं, मैंने उन पर भी कुछ वीडियो बनाए। हाल ही में मैंने भगवान शिव पर भी एक वीडियो बनाया है। ये सारी चीजें मेरे यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं।
आपने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और गजल गायिकी का भी प्रशिक्षण लिया है। क्या गायन की दुनिया में भी कुछ करने का मन है?
काफी समय से गायन का अभ्यास नहीं किया है। सोच रही हूं कि मम्मी से कोई गजल सीख लूं और उसे गाकर उसका वीडियो अपने यूट्यूब चैनल पर साझा करूं। हालांकि यह सिर्फ अपने शौक के लिए करूंगी। यह मेरी मम्मी की भी इच्छा है। वह भी बहुत अच्छा गाती हैं। फिलहाल हम एक गाने पर काम कर रहे हैं। इस गाने के वीडियो में मैं कथक डांस भी करूंगी।
अभिनय के इतने वर्षों में अपने करियर का सबसे खास मोड़ किसे मानती हैं?
मैं शो दिव्य दृष्टि को अपने करियर का अहम मोड़ मानती हूं। इसके बाद से एक अलग जीवन जी रही हूं। इससे पहले भी अलग-अलग प्रोजेक्ट्स में मैंने बहुत मेहनत की है, लेकिन अपनी मेहनत लोगों तक कैसे पहुंचाई जाती है, यह मैंने शो दिव्य दृष्टि से जाना। इस शो ने घर-घर में मुझे पहचान दिलाई। मैंने सुना था कि शो में काम करना बहुत व्यस्तता वाला होता है। इसलिए मैंने कभी टीवी में काम करने के बारे में सोचा नहीं था। अब लगता है, जहां पर हमें प्यार मिलता है और हमारी मांग है, वहीं काम करना अच्छी बात है। (दीपेश पांडेय से बातचीत पर आधारित)
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