Gufi Paintal को जब महाभारत में 'शकुनि मामा' का किरदार निभाने के लिए मिली धमकी, फैन ने कहा- 'सुधर जाओ तुम वरना'
Mahabharat Fame Shakuni Mama aka Gufi Paintal टीवी के सुपरहिट ड्रामा सीरियल महाभारत के मामा शकुनि यानी गूफी पेंटल का सोमवार को निधन हो गया। एक्टर पिछले कुछ दिनों से दिल की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। Mahabharat Fame Shakuni Mama aka Gufi Paintal: 80 दशक में आए माइथोलॉजिकल ड्रामा सीरियल माहाभारत ने शो के एक्टर्स को अमर बना दिया। इनमें से एक हैं गूफी पेंटल, जिन्होंने महाभारत में शकुनि मामा का नेगेटिव किरदार निभाया था। गूफी पेंटल का 5 जून को निधन हो गया। एक्टर शकुनि मामा का आइकॉनिक किरदार निभाने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे।
गूफी पेंटल ने एक बार महाभारत से जुड़ा दिलचस्प किस्सा शेयर किया था। एक्टक ने खुलासा किया था कि शकुनि मामा का किरदार लोगों के दिल और दिमाग में इतना घर कर गया कि शो के फैंस उनसे सच में नफरत करने लग गए। एक बार तो उन्हें धमकी भरा खत भी मिला।
जब धमकी भरा खत आया सामने
गूफी पेंटल ने मिड के साथ बातचीत में इस किस्से को शेयर करते हुए कहा, "80 के दशक के अंत में जब महाभारत टेलीकास्ट हो रहा था, तब मुझे महाभारत के फैंस के हजारों खत मिलते थे। मुझे याद है कि एक चिट्ठी एक सज्जन व्यक्ति ने भेजी थी, जिसने मुझे धमकी दी थी! उसने खत में कहा कि मैं बुरे काम करना बंद कर दूं नहीं तो वो मेरी टांगे तोड़ देगा!"
किरदारों को लोगों ने लगाया दिल से
एक्टर ने आगे कहा, "उन दिनों की खास बात यह थी कि लोग तब इतने भोले थे और सोचते थे कि मैं असल में शकुनी मामा हूं! मेरे किरदार की वजह से लोग मुझसे नफरत करते थे। हालांकि, किसी एक याद को खास कहना मुश्किल होगा, क्योंकि शो की कास्ट के साथ काम करने की कई शानदार यादें हैं। वे सभी जीवनभर के लिए साथ रहेंगी।"
शकुनि के बिना नहीं चलता शो
महाभारत में अपने किरदार की खासियत बताते हुए गूफी पेंटल ने इसे सादी दाल में तड़के की तरह बताया। उन्होंने कहा, "अमरीश जी (अमरीश पुरी) मोगैंबो के लिए जाने जाते हैं। अमजद भाई (अमजद खान) गब्बर सिंह का किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं। मेरे मामले में, यह शकुनि मामा की भूमिका है जिसके लिए मुझे याद किया जाता है। मेरे किरदार के कारण लोग मुझसे नफरत करना पसंद करते हैं।"
महाभारत में तड़के की तरह है शकुनि
उन्होंने आगे कहा, "शकुनि मामा शो में तड़के की तरह थे। हम सभी जानते हैं 'सादी दाल खा कर मजा नहीं आता'- हम सभी को इसमें कुछ तड़का चाहिए। शकुनी जैसे किरदार को कहानी में इतनी अच्छी तरह से पिरोया गया कि वे एक अभिन्न अंग बन जाता है। इनके बिना कहानी नहीं चलती!"