Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    FIR फेम कविता कौशिक का बड़ा खुलासा, कहा- 'मैं रेड कार्पेट पर भाड़े के ऐसे डिजाइनर आउटफिट्स नहीं पहनती जिसे...'

    By Priti KushwahaEdited By:
    Updated: Thu, 14 Jul 2022 04:57 PM (IST)

    असल मे बड़े पर्दे पर खुद को देखने की ख्वाईश थी तो वो फिल्में कर पूरी हो गयी लेकिन मुझे वहां भी मजा नहीं आया। मैं रियलिस्टिक सिनेमा में विश्वास रखती हूं और मुझे सिर्फ फिल्मों में ही नहीं।

    Hero Image
    Photo Credit : Kavita Kaushik Instagram Photo Screenshot

    शिखा धारीवाल। टेलीविजन एक्ट्रेस कविता कौशिक इन दिनों Hungama Play की वेब सीरीज 'तेरा छलावा' में बड़े ही ग्लैमरस अवतार में नजर आ रही हैं। कविता कौशिक ने jagran.com से हुई एक्सक्लूसिव बातचीत में अपने बदलते अवतार फैशन सेंस से लेकर बड़े पर्दे पर डेब्यू तक को लेकर खुलकर बातचीत की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कविता कहती हैं कि मैं अपने कपड़े पहनती हूं और मैं फंक्शन में जाने के लिए डिजाइनर ड्रेस नहीं पहनती, क्योंकि मुझे इवेंट्स में जाने के लिए डिजाइनर से कपड़े मांगना पसंद नहीं है। कभी कोई अवार्ड फंक्शन है और आपकी वार्डरोब में भारी और महंगे कपड़े नहीं है तब आप किसी डिजाइनर के कपड़ो को पहनते हैं तो बात समझ में आती है। नहीं तो हर बार डिजाइनर ड्रेस या भाड़े के कपड़ो को क्यों पहनना है। कविता अपनी बात को बढ़ाते हुए आगे कहती हैं कि जब मैं अवॉर्ड फंक्शन में एक्ट्रेस को ऐसे ड्रेस में देखती हूं जिन्हें संभालने के लिए चार लोग और पीछे लगते हैं और उसके बावजूद भी ड्रेस रेड कारपेट पर झाड़ू लगाती है तो मुझे बड़ी हंसी आती है। मुझे इस तरह की ड्रेसेस नहीं पसंद और ना ही मैं इस तरह के डिजाइनर ऑउटफिटस पहनना चाहती हूं, जिसे संभालने के लिए मुझे अपने साथ तीन से चार लोगों को बुलाना पड़े।

    View this post on Instagram

    A post shared by Kavita Kaushik (@ikavitakaushik)

    इसी सवाल पर कविता आगे कहती हैं कि मैं बहुत फैंसी नहीं हूं मेरा कपड़ों को लेकर बस एक ही एटीट्यूड होता है कि मेरी वार्डरोब में जो भी कपड़े साफ-सुथरे होने चाहिए। अगर मैं अपने कपड़ों की बात करूं तो एक एक ड्रेस को पता नहीं मैं कितनी बार पहन चुकी हूं मुझे खुद भी याद नहीं और महज ड्रेस ही नहीं मैं जूते और बैग्स सब रिपीट करती हूं। कविता आगे कहती हैं कि कई बार तो मुझे सोशल मीडिया पर लोग याद दिलाते हैं और कहते हैं कि कम से कम जूते तो बदल लो। क्योंकि मैं अगर किसी ड्रेस या शूज में कंफर्टेबल फील करती हूं तो फिर मैं उसे ही रिपीट करने लगती हूं और ऐसा मेरे साथ बहुत बार हुआ है कि मैंने एक चीज को बहुत ज्यादा बार पहना है। कविता आगे कहते हैं असल में डिजाइनर वेयर से कोई फर्क नहीं पड़ता अगर हम साड़ियों की बात करें तो मेरी मां के पास इतनी अच्छी और सुंदर साड़ियां हैं, जो उन्होंने आज तक भी सहेज कर रखी हुई हैं जिन्हें वह मलमल के कपड़े में बांधकर बड़ी अच्छी तरह से रखती हैं और यहां तक कि मुझे भी हाथ नहीं लगाने देती। कई बार मैं अपनी मां से ही उनकी साड़ियां उधार मांग कर पहनती हूं। मेरे लिए आउटफिट्स का मतलब डिजाइनर नहीं बल्कि यह है कि उस ड्रेस में कंफर्टेबल फील करूं।

    View this post on Instagram

    A post shared by Kavita Kaushik (@ikavitakaushik)

    बॉलीवुड में डेब्यू से जुड़े सवाल पर कविता कहती हैं कि मैंने कई पंजाबी फिल्में की हैं। वहीं मैं बड़ी पंजाबी फिल्मों का हिस्सा रही हूं और सभी पंजाबी फिल्म बड़े स्केल पर हिट भी रही है, लेकिन मैं सच बताऊं तो मुझे फिल्मों में काम करने पर भी मजा नहीं आया, क्योंकि मैं हीरोइन की तरह सुंदर कपड़े और सुंदर सा मेकअप लगाकर घंटों नहीं बैठ सकती। जब मैं FIR कर रही थी तब मैं अपना मेकअप खुद ही करती थी और सिर्फ हेयर के लिए मैं थोड़ी हेयर स्टाइल इसकी मदद लेती थी। लेकिन फिल्मों के सेट पर हीरोइन को कई घंटे मेकअप करने में लगते हैं और उसके बाद कई घंटे हीरोइन की तरह बैठना। यह मुझसे नही होता।

    असल मे बड़े पर्दे पर खुद को देखने की ख्वाईश थी तो वो फिल्में कर पूरी हो गयी, लेकिन मुझे वहां भी मजा नहीं आया। मैं रियलिस्टिक सिनेमा में विश्वास रखती हूं और मुझे सिर्फ फिल्मों में ही नहीं बल्कि टेलीविजन या ओटीटी पर भी इस तरह के रोल ऑफर आएगा तभी मैं काम करूंगी नहीं तो मुझे सिर्फ डांस करने के लिए फिल्मो में हीरोइन नहीं बनना।