Deepika Singh ने 'मंगल लक्ष्मी' में डाली अपनी असल जिंदगी की सीख, कहा- हम सोचते हैं की बूढ़ी...
दिया और बाती हम में IPS संध्या कोठारी राठी का किरदार अदा कर चुकी टेलीविजन की पसंदीदा अदाकारा दीपिका सिंह (Deepika Singh) इन दिनों कलर्स के शो मंगल लक्ष्मी में मंगल का किरदार निभाकर फैंस का दिल जीत रही हैं। दीपिका ने हाल ही में बताया कि शो में उनका किरदार किस तरह से हर महिला को कुछ ट्राय करने के लिए प्रेरित करेगा।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। जब मैं कहीं ठहरकर अपनी यात्रा पर सोचती हूं, तो दिल कृतज्ञता से भर जाता है। एक अभिनेत्री के रूप में, एक महिला के रूप में, मैंने जो रास्ता तय किया है, वह आसान नहीं रहा, लेकिन हर चुनौती ने मुझे मजबूत बनाया, हर असफलता ने मुझे सिखाया, और हर छोटी जीत ने आगे बढ़ते रहने का हौसला दिया।
एक फैसले ने बदल दी थी दीपिका सिंह की तकदीर
कभी मैं बस एक कॉलेज की लड़की थी, जिसे नहीं पता था कि जिंदगी उसे कहां ले जाएगी। मैं एक प्रमोटर के रूप में काम कर रही थी, और तब तक मुझे अंदाजा भी नहीं था कि मेरी जिंदगी बदलने वाली है। एक दिन, एक प्रतियोगिता में एक प्रतिभागी नहीं आया, और मुझे उसकी जगह लेने के लिए कहा गया। मैंने बिना सोचे हां कर दी, यह नहीं जानती थी कि यही एक फैसला मेरी तकदीर बदल देगा।
मैंने वह प्रतियोगिता जीत ली, और उस छोटी-सी जीत ने मेरे लिए कई नए दरवाजे खोल दिए। पुरस्कार के रूप में मुझे एक पोर्टफोलियो शूट मिला, और उन्हीं तस्वीरों ने मुझे आगे चलकर कई बड़े प्रोजेक्ट्स दिलाए। वह एक हिम्मत भरा कदम, वह एक "हां" कहना, मेरी किस्मत बदलने का कारण बना। इस घटना ने मुझे यह सिखाया कि कभी-कभी जिंदगी बदलने के लिए बस एक छोटा-सा कदम, एक हिम्मत भरी कोशिश काफी होती है,एक ट्राय तो बनता है।
मैंने हमेशा अपने सपनों का पीछा किया- दीपिका सिंह
मुझे नहीं पता था कि आगे क्या होगा, लेकिन मैंने खुद को डर या संदेह के आगे झुकने नहीं दिया। मैंने अपने सपनों का पीछा किया, और आज जब मैं यहां खड़ी हूं। ऐसे किरदार निभा रही हूं जो लोगों को प्रेरित करते हैं, रोज नई चीजें सीख रही हूं और हर अनुभव के साथ आगे बढ़ रही हूं,तो मैं अपनी कहानी उन सभी अद्भुत महिलाओं के साथ साझा करना चाहती हूं जो जीवन के किसी मोड़ पर खड़ी हैं, जहां एक तरफ उनके अपने सपने हैं और दूसरी तरफ जिम्मेदारियों का बोझ।
अगर आप एक गृहिणी हैं, एक मां हैं, या किसी ने अपने सपनों को पीछे छोड़ दिया है, तो मैं आपकी दुविधा समझ सकती हूं। मैं जानती हूं कि खुद पर संदेह होना कैसा लगता है। लेकिन मैं यह भी जानती हूं कि पहला कदम सबसे कठिन होता है,और सबसे जरूरी भी। वही एक कदम हमें अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकालता है, और एक नई संभावना की तरफ ले जाता है।
Photo - Instagram
मंगल लक्ष्मी में अपने किरदार से देती हैं महिलाओं सीख
यही सीख मैंने अपने किरदार मंगल के ज़रिए 'मंगल लक्ष्मी' में ज़िंदा की है। मंगल 36 साल की, दो बच्चों की मां है, जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी परिवार के लिए समर्पित कर दी, और अपने सपनों को हमेशा पीछे रखा। वह उन कई महिलाओं की तरह है जो अन्य लोगों के लिए अपने व्यक्तिगत सपनों की कुर्बानी देती हैं, यह मानकर कि उनका जीवन सिर्फ एक गृहिणी बनने तक सीमित है।
लेकिन जिंदगी हमेशा वही नहीं रहती जो हम सोचते हैं। मंगल के पति की नौकरी छूट जाती है और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति संकट में आ जाती है। तब मंगल हिम्मत जुटाकर फैसला लेती है कि अब वह अपने परिवार को संभालेगी। अपनी सास के सहयोग से, वह बिना किसी बाहरी अनुभव के एक 'रेडी-टू-ईट' फूड बिजनेस शुरू करती है। यह आसान नहीं होता, समाज से लेकर खुद के संदेह तक, सब कुछ उसके खिलाफ होता है। लेकिन फिर भी, वह आगे बढ़ती है। न सिर्फ अपने लिए, बल्कि अपने परिवार के भविष्य के लिए भी। उसकी कहानी जुझारूपन, साहस और उस पहले कदम को उठाने की शक्ति में निहित है—न जाने रास्ता कितना ही कठिन क्यों न दिख रहा हो।
Photo - Instagram
हर महिला को सपने देखने का अधिकार है
मंगल की यह यात्रा मुझे यह सिखाती है कि हम महिलाएं खुद को अक्सर पीछे रखती हैं। हम खुद से कहते हैं, "मैं बहुत बूढ़ी हो गई हूं," "मैं इतनी अच्छी नहीं हूं," या "अब बहुत देर हो गई है।" ये विचार मेरे लिए भी नए नहीं हैं। मैं भी इनसे जूझी हूं, लेकिन आज मैं आप सभी से कहना चाहती हूं, "एक ट्राय तो बनता है!"
हर महिला को यह अधिकार है कि वह अपने सपने देखे और उन्हें पूरा करे, फिर हालात जैसे भी हो। दुनिया हमें बताती है कि अब बहुत देर हो चुकी है, कि हम बहुत व्यस्त हैं, या हमारे सपनों की कोई अहमियत नहीं है। लेकिन सच्चाई यह है कि दुनिया को हमारी रोशनी की जरूरत है, हमारे अनोखे जज्बे की जरूरत है। और यह सब बस एक कोशिश से शुरू होता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।