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    The Vaccine War Review: वैक्सीन बनाने की जंग में महिलाओं की भूमिका रेखांकित करती है विवेक अग्निहोत्री की फिल्म

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Thu, 28 Sep 2023 12:50 PM (IST)

    The Vaccine War Review द वैक्सीन वॉर उस दौर में भारतीय वैज्ञानिकों के जज्बे और समर्पण को दिखाती है जब चारों तरफ तबाही मची हुई थी। देश में कोरोना वायरस लाशों के ढेर लगा रहा था और त्राहि-त्राहि मची हुई थी। फिल्म ये भी दिखाती है कि कैसे कुछ लोग अपनी वैक्सीन को ही नीचा दिखाने में जुटे थे और विदेशी वैक्सीन को प्रमोट कर रहे थे।

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    द वैक्सीन वॉर रिली हो गयी है। फोटो- इंस्टाग्राम

    नई दिल्ली, जेएनएन। The Vaccine War Review: चीन के वुहान लैब से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई। कोराना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कई दिल दहला देने वाले मंजर सामने आए। उस समय हर किसी को एक वैक्‍सीन की दरकार थी, लेकिन वैक्‍सीन बनाना कोई खेल नहीं।

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    वैक्‍सीन बनाने में वर्षों लग जाते हैं। इन परिस्थितियों में भारत ने अपनी वैक्‍सीन बनाने का फैसला लिया। विवेक रंजन अग्निहोत्री निर्देशित द वैक्सीन वॉर उन फ्रंटलाइन वकर्स और वैज्ञानिकों अथक प्रयासों को दर्शाती है, जिन्होंने भारत की स्वदेशी वैक्सीन को बनाने के लिए रात-दिन एक कर दिया।

    यह फिल्‍म खास तौर पर महिला वैज्ञानिकों की जिजीविषा, संघर्ष और अंततः सफलता का वर्णन करती है, जिनका मानना था कि भारत भी अपना स्वयं का टीका बना सकता है और विदेशी संगठनों पर निर्भर नहीं रह सकता।

    इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के महानिर्देशक बलराम द्वारा लिखी किताब गोइंग वायरल: मेकिंग आफ कोवैक्‍सीन आत्‍मनिर्भर भारत की कहानी बयां करती है। यह फिल्‍म इसी किताब पर आधारित है।

    यह बी पढे़ं: The Vaccine War Advance Booking- शुरु हुई 'द वैक्सीन वॉर' की एडवांस बुकिंग, जानें कैसा है बिजनेस का हाल?

    12 चैप्टरों में बंटी है फिल्म

    फिल्म की शुरुआत एक जनवरी, 2020 से होती है जब निमोनिया जैसे लक्षण पैदा करने वाले वायरस की खबरें सुर्खियों में आती हैं। 12 अध्यायों में विभाजित यह फिल्‍म प्रत्येक चुनौती को एक-एक करके दर्शाती है कि कैसे वैज्ञानिकों की टीम उन पर काबू पाने और विजयी होने में कामयाब होती है।

    ‘द कश्मीर फाइल्स’ में कश्‍मीरी पंडितों के दर्द को दर्शाने के बाद विवेक अग्निहोत्री ने द वैक्सीन वार को मेडिकल थ्रिलर के रूप में बनाया है। मध्यांतर से पहले का हिस्‍सा वैज्ञानिकों की जिंदगी को दर्शाता है।

    तमाम मुश्किलों के बावजूद सख्‍त और काम के प्रति समर्पित बलराम भार्गव समस्‍या को सुनने के बजाय उसके हल में विश्‍वास रखते हैं।फिल्‍म में कोवैक्सीन के चरण-दर-चरण निर्माण को दर्शाया गया है जिसे भारत बायोटेक द्वारा आईसीएमआर और नेशनल वायरोलाजी इंस्टीट्यूट (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया था।

    इस दौरान प्रयोगशालाओं के अंदर वैज्ञानिकों की निराशा, उत्‍साह और घरेलू दिक्‍कतों को विवेक छूते हैं। कुछ पल भावुक भी कर जाते हैं। हालांकि, फिल्म का पहला हिस्‍सा स्‍थापित करने में विवेक ने काफी समय लिया है। चुस्‍त एडिटिंग से दो घंटे 40 मिनट की इस फिल्‍म को छोटा किया जा सकता था। फिल्‍म कोरोना महामारी हुई मानवीय त्रासदी का चित्रण समुचित तरीके से नहीं करती है।

    इंटरवल के बाद धीमी हुई रफ्तार

    मध्यांतर के बाद कहानी अपनी पकड़ खो देती है। यह फिल्‍म मीडिया ट्रायल के आसपास आ जाती है। फिल्‍म में मीडिया को 'विदेशी शक्तियों' की कठपुतली बताया गया हैं।

    विदेशी वैक्‍सीन को बढ़ावा देने और मौजूदा फार्मा लॉबिंग के लिए मीडिया संस्‍थानों को भेजे गए टूलकिट को बेनकाब करने का विवेक का प्रयास एकतरफा लगता है। मीडिया कभी भी समग्र रूप से यह विश्वास नहीं करेगा कि 'भारत यह नहीं कर सकता है'।

    फिल्म देखने हुए लगता है कि पूरे मीडिया ने वैक्सीन और इसे बनाने के लिए समर्पित वैज्ञानिकों को कमजोर करने का अपना लक्ष्‍य बना लिया है। फिल्‍म में मीडिया को लेकर कहा गया है कि यह केवल गलत सूचनाएं फैलाता है। यह अपच है।

    फिल्‍म में प्रयोगशालाओं में चूहों और बंदरों के परीक्षणों को करीब से दर्शाया गया है। हालांकि, रिसर्च को लेकर कोई कौतूहल पैदा करने की कोशिश नहीं हुई है। डा. बलराम भार्गव (डीजी-आईसीएमआर) के रूप में नाना पाटेकर अपनी भूमिका में जंचते हैं।

    वैक्‍सीन बनाने की दूरदृष्टि और उसे लेकर उनका समर्पण भार्गव के प्रति सम्‍मान जगाता है। निदेशक-एनआईवी डा. प्रिया अब्राहम की भूमिका में पल्लवी जोशी का अभिनय सराहनीय हैं। गिरिजा ओक और निवेदिता भट्टाचार्या किरदार में अपना प्रभाव छोड़ती हैं।

    पत्रकार बनीं रोहिणी सिंह धूलिया का किरदार समुचित तरीके से गढ़ा नहीं गया है। अंत में बताया गया है कि भारत ने विदेशी वैक्‍सीन को क्‍यों मान्‍यता नहीं दी। वह काफी जानकारी युक्‍त है।

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