The Hunt For Veerappan Review: वीरप्पन के अपराधों का पर्वत और इंसानी संवेदनाओं का रोमांचक संतुलन
The Hunt For Veerappan Review वीरप्पन के अपराधों की लिस्ट इतनी लम्बी है कि उसके आगे बाकी सब बातें मायने नहीं रखतीं। फिर भी यह डॉक्यु सीरीज उसकी पत्नी के इंटरव्यू के जरिए उस पक्ष को दिखाती है जिससे जानने की कोशिश कम ही की गयी। नेटफ्लिक्स पर क्राइम डॉक्यु सीरीज की लिस्ट निरंतर लम्बी हो रही है और कुछ दिलचस्प किस्से सामने आ रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। नेटफ्लिक्स ने क्राइम डॉक्यु सीरीज का जो सिलसिला शुरू किया है, वो धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहा है और कुछ ऐसी क्राइम स्टोरीज इस सीरीज के जरिए सामने आ रही हैं, जिन्होंने पूरे देश और समाज को हिलाकर रख दिया था। इसी क्रम में इस शुक्रवार द हंट फॉर वीरप्पन डॉक्यु सीरीज रिलीज हुई है।
सीरीज का शीर्षक पढ़कर लगता है कि डॉक्यु सीरीज में महज वीरप्पन और सुरक्षा बलों के बीच सालों तक चली आंखमिचौली की रोमांचक कहानी होगी, मगर डॉक्यु सीरीज इसके अलावा भी बहुत कुछ दिखाती है। वीरप्पन जैसे कुख्यात, क्रूर और दुर्दांत अपराधी के उस पहलू को भी सामने रखती है, जो उसके करीबियों ने देखा।
कैसे हुए वीरप्पन की पुलिस से दुश्मनी?
किसी अपराधी या अपराध के सिनेमाई प्रदर्शन पर बहस हो सकती है, मगर तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। डॉक्यु सीरीज कूसे मुनिस्वामी वीरप्पन के बारे में कुछ अहम जानकारियां देती है और फैसला दर्शक पर छोड़ देती है। इस डॉक्यु सीरीज की सबसे बड़ी उपलब्धि वीरप्पन की पत्नी मुथुलक्ष्मी का इंटरव्यू है, जिनका पक्ष सम्भवत: पहली बार इतने विस्तार से सामने आया।
सीरीज 46-56 मिनट के चार एपिसोड्स में बंटी है, जिन्हें चैप्टर कहा गया है। पहला चैप्टर द फॉरेस्ट किंग एक तरह से वीरप्पन से परिचय करवाता है। पुलिस से उसकी अदावत की चिंगारी भड़कने की कहानी दिखाता है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से पंगा लेना भारी पड़ता है और इसके साथ देश के सबसे बड़े क्रिमिनल्स में से एक वीरप्पन की हंट शुरू होती है।
हाथी दांत और चंदन की लकड़ी की तस्करी करते-करते पुलिस से वीरप्पन की दुश्मनी इस कहानी का बहुत बड़ा हिस्सा है। दूसरा चैप्टर ब्लडबाथ उसकी पुलिस से नफरत और जंगल से गांव तक कत्ले आम की दास्तां को आगे बढ़ाता है।
तीसरा चैप्टर द रिवॉल्यूशनरी, मशहूर कन्नड़ स्टार राजकुमार की किडनैपिंग की कहानी दिखाता है, जिसने दो राज्यों की हालत खराब कर दी थी। चौथा चैप्टर द वे आउट, वीरप्पन के खात्मे की कहानी है। 2004 में एक स्पेशल टास्क फोर्स ने वीरप्पन का सफाया कर दिया था।
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अपराध की कहानी में परिवार का एंगल
डॉक्यु सीरीज के निर्देशक सेल्वामणि सेल्वाराज ने इस अपराध कथा के केंद्र में परिवार को रखा है। वीरप्पन की पत्नी के जरिए उस पहलू को दिखाया गया है, जिसे देखने या समझने की फुरसत किसी के पास नहीं थी। वीरप्पन के अपराधों का पर्वत इतना विशाल था कि इसके आसपास वो सब भी नहीं दिखा, जो मानवीय संवेदनाओं के नजरिए से देखा जाना चाहिए था।
वीरप्पन को इंसानी शक्ल में जंगली जानवर कहा गया है। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि वीरप्पन ने गुरिल्ला वार तकनीक का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया था, मगर गुरिल्ला वार में महारत हासिल थी।
शो में मुथुलक्ष्मी के जरिए फैमिली एंगल दिखाया गया है तो पुलिस अधिकारियों के इंटरव्यू के जरिए वीरप्पन के अपराधों और उसे पकड़ने की योजनाओं को रोमांच पेश किया गया है। असली फुटेज और फोटोग्राफ इस सीरीज को दर्शनीय बनाते हैं। तमिलनाडु और कर्नाटक सरकारों के लिए सिरदर्द बने वीरप्पन की डॉक्यु सीरीज निराश नहीं करेगी।
अवधि: 4 एपिसोड्स (लगभग 50 मिनट प्रति एपिसोड)