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    Special Ops 2 Review: नए मिशन के साथ उसी अंदाज में लौटे Kay Kay Menon, नहीं मिलेगा पलक झपकाने का मौका

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 05:57 PM (IST)

    के के मेनन की स्पेशल ऑप्स सीजन 2 (Special Ops 2 Review) को 18 जुलाई को जियो हॉटस्टार पर प्रीमियर कर दिय गया। कई प्रशंसकों ने रॉ एजेंट हिम्मत सिंह के किरदार को अपने अभिनय से जीवंत करने के लिए अभिनेता की जमकर तारीफ की। इस सीजन में कुल 7 एपिसोड हैं जो लगभग 50 मिनट से एक घंटे तक के हैं।

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    केके मेनन स्पेशल ऑप्स सीजन 2 रिव्यू (फोटो-जागरण ऑनलाइन)

    प्रियंका सिंह, मुंबई। देश को नहीं मानते मत मानो, लेकिन अपनी तो आदत बन गई है तुम जैसों को रोकने और टोकने की। हिम्मत सिंह (केके मेनन) का यह संवाद वेब सीरीज स्पेशल ऑप्स के दूसरे सीजन का है, जो स्पष्ट कर देता है कि वह देश की रक्षा हर हाल में करेंगे। स्पेशल ऑप्स और उसके स्पिन आफ स्पेशल ऑप्स 1.5 – द हिम्मत स्टोरी के बाद अब नए सीजन में नया मिशन है। इस बार इंटेलिजेंस के एंजेंट्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से लड़ रहे हैं।

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    क्या है स्पेशल ऑप्स की कहानी?

    इस बार भी कहानी पड़ोसी देश के नापाक इरादों की है। लेकिन इस बार पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन है। चीन, भारत पर एक बड़ा साइबर अटैक करने की तैयारी में है। देश के न्यूक्लियर सिक्योरिटी कमांड सेंटर को भी कंट्रोल करने का प्रयास कर चुका है। एक ही समय पर एक तरफ दिल्ली में एक रा एजेंट को मार दिया जाता है, वही दूसरी तरफ बुडापेस्ट से एआई सांइटिस्ट डा. पीयूष भार्गव (आरिफ जकारिया) को अगवा कर लिया जाता है। इन सबके पीछे जार्जिया में बैठा सुधीर (ताहिर राज भसीन) जिम्मेदार है। वह देश की अर्थव्यवस्था पर साइबर अटैक करना चाहता है, जिसमें बैंक, स्टाक्स सब कुछ शामिल है।

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    इसे रोकने और डा. भार्गव को ढूंढने की जिम्मेदारी रा के प्रमुख हिम्मत सिंह (केके मेनन) को दी जाती है। वह अलग-अलगे देशों में अपने एंजेट्स अविनाश (मुजामिल इब्राहिम) और फारुख (करण टैकर) को एक्टिवेट करता है। इसी बीच देश में एक बड़ा बैंक फ्राड भी होता है। हिम्मत के गुरु रहे सुब्रमण्यम (प्रकाश राज) भी इस धोखाधड़ी के शिकार हैं। वह हिम्मत से इस फ्राड के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पकड़ने के लिए कहते हैं, जो दूसरे देश निकल गया है। इन दोनों मिशन को हिम्मत सिंह कैसे अंजाम देगा इस पर कहानी चलती हैं।

    कहानी के कुछ एंगल आपको चौंकाएंगे?

    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदे-नुकसान को लेकर बातचीत होती रहती है। ऐसे में लेखक नीरज पांडे, दीपक किंगरानी और बेनजीर अली फिदा की लिखी इस कहानी का मुद्दा प्रासंगिक है और उस खतरे की ओर इशारा करता है कि आने वाले दिनों में दो देशों के बीच लड़ाई केवल सीमा पर नहीं, बल्कि डिजिटली (साइबर वार) भी लड़ी जाएगी। हालांकि कहानी किसी प्रकार के समाधान में नहीं जाएगी, लेकिन एक मिशन के जरिए चेताएगी कि साइबर युद्ध देश के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। इस नए मिशन में कई ऐसे भी छोटे-छोटे प्लाट चल रहे है, जिनमें नीरव मोदी जैसा भगौड़ा इसमें भी है, इसके साथ ही हिम्मत सिंह की बेटी का पार्टी करना, वहां शराब पीने जैसे मुद्दे कहानी में कुछ जोड़ते नहीं हैं। डिपार्टमेंट में डबल क्रास करने वाला एंगल भी है, जो चौंकाएगा।

    बैकग्राउंड स्कोर कहानी में जोड़ेंगे रोमांच

    इस सीरीज का प्रोडक्शन वैल्यू किसी बड़ी एक्शन फिल्म जैसा है। सीरीज में दिखाई गए बुल्गारिया, बुडापेस्ट, ग्रीस, जार्जिया समेत कई लोकेशन स्क्रीन पर खूबसूरत तो लगते ही हैं, साथ ही कहानी को वास्तविकता के करीब ले जाते हैं। सिनेमैटोग्राफर अरविंद सिंह और डिमो पोपोव ने हर लोकेशन को अपने कैमरे से कहानी के नजरिए से बखूबी इस्तेमाल किया है। रशिया-युक्रेन युद्ध, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल जाने वाले मुद्दों को सतही तौर पर दिखाया गया है, जिसकी जरुरत नहीं थी। पब्लिक सवाल करना भूल गई है..., दुनिया बदल भी गई है, बिगड़ भी गई है... जैसे संवाद याद रह जाते हैं। अद्वैत नेमलेकर का बैकग्राउंड स्कोर कहानी में रोमांच लाता है।

    सात एपिसोड वाली इस सीरीज का हर एक एपिसोड लगभग 50 मिनट से एक घंटे तक का है। लंबे-लंबे और गैरजरूरी दृश्य काटकर इसे 35-40 मिनट में समेटा जा सकता था।

    अपने किरदार में खूब जमे केके मेनन

    अभिनय की बात करें, तो केके मेनन हिम्मत सिंह को आत्मसात कर चुके हैं। आफिस में रहकर अपने तेज-तर्रार दिमाग से केवल फोन पर सारे निर्देश देकर भी वह शो के सबसे दमदार पात्र लगते हैं। स्टाइलिश, सनकी खलनायक की भूमिका में ताहिर राज भसीन का लोगों को कैद करने का अंदाज पसंद आएगा। करण टैकर, मुजामिल इब्राहिम को जबरदस्त स्टंट्स सीन और कई हीरोइक सीन मिले हैं। प्रकाश राज, आरिफ जकारिया, परमीत सेठी, काली प्रसाद मुखर्जी अपनी-अपनी भूमिकाओं में छाप छोड़ते हैं। शिखा तलसानिया, सैयामी खेर, गौतमी कपूर के हिस्से खास सीन नहीं आए हैं। विनय पाठक को भी स्क्रीनस्पेस कम मिला है।

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