Sharmaji Namkeen Review: खुद के लिए भी जीना जरूरी है, हंसते-हंसाते सिखा गये शर्माजी... पढ़ें कैसी है ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म
Sharmaji Namkeen Review शर्माजी नमकीन की शूटिंग के दौरान ही ऋषि कपूर को कैंसर का पता चला था। वो इलाज के लिए अमेरिका गये थे। ठीक होकर लौट आये थे मगर 2020 में कोरोना वायरस पैनडेमिक के दौरान उनका निधन हो गया था।
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। 2020 में जब कोरोना वायरस महामारी उफान पर थी तो हिंदी सिनेमा के वेटरन एक्टर ऋषि कपूर हमेशा के लिए अलविदा कह गये थे और अपने पीछे छोड़ गये सिनेमा के प्रेमियों के दिल में एक कसक, जो शर्माजी नमकीन देखने के बाद और उभरती है।
अपने एक्टिंग करियर के सबसे प्रयोगधर्मी दौर से गुजर रहे ऋषि कपूर को पर्दे पर विभिन्न किरदारों में देखना अब सुखद लगने लगा था। 2010 में दुग्गल साहब के बाद रऊफ लाला, इकबाल सेठ, अमरजीत कपूर और बाबूलाल वखारिया से होते हुए शर्मा नमकीन के बीजी शर्मा तक पहुंचे और फिर अचानक अपनी पारी को विराम दे दिया।
शर्माजी नमकीन ऋषि कपूर के अभिनय की इस पारी की आखिरी फिल्म बन गयी, जिसे उन्होंने शुरू तो किया, मगर तीसरे एक्ट से पहले ही उनके जीवन का क्लाइमैक्स आ गया, जैसा कि फिल्म शुरू होने से पहले डाले गये वीडियो में बेटे रणबीर कपूर कहते हैं कि शो मस्ट हो ऑन, शर्माजी नमकीन को पूरा करने की जिम्मेदारी परेश रावल ने उठायी।
शर्माजी नमकीन हिंदी सिनेमा की उन दुर्लभ फिल्मों में शामिल हो गयी है, जो एक कलाकार के निधन के बाद उस किरदार को निभाकर किसी दूसरे ने पूरा किया हो। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही ऋषि को पता चला था कि उन्हें कैंसर है।
शर्माजी नमकीन एक हल्की-फुल्की पारिवारिक कॉमेडी ड्रामा फिल्म है, जो बुढ़ापे के अकेलेपन, परिवार में एक-दूसरे को वक्त देने की अहमियत, दोस्ती, काम की गरिमा जैसी कई बातों को बिना कोई उपदेश दिये हंसते-हंसाते हुए आगे बढ़ती रहती है।
बीजी शर्मा पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर में अपने दो बेटों के साथ रहते हैं। पत्नी का निधन डबल टायफाइड की वजह से कुछ साल पहले हो गया था। बड़ा बेटा संदीप शर्मा उर्फ रिंकू एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है। छोटा बेटा विंसी बीकॉम फाइनल ईयर में है। संदीप का अपने ऑफिस की साथी से अफेयर चल रहा है। दोनों शादी करने वाले हैं।
शर्माजी को खाना बनाने का जबरदस्त शौक है। होम अप्लायंस बनाने वाली कम्पनी से रिटायर हुए शर्मा जी वॉट्स ऐप, फेसबुक, टीवी शोज और दोस्तों की मंडली के बावजूद 4 महीनों में ही खाली बैठे-बैठे बोर हो चुके हैं। दोस्त आइडिया देता है कि चाट कॉर्नर खोले लें, मगर काम स्टेटस के अनुसार ना होने की बात कहकर बेटा इस प्रस्ताव को ठुकरा देता है।
दोस्त के जोर देने पर बेटों से छिपाकर शर्माजी कुछ अमीर महिलाओं की किट्टी पार्टियों में खाना बनाने का काम शुरू कर देते हैं। मगर, एक दिन यह राज खुल जाता है और रिंकू पिता पर नाराज होता है। उधर, शादी से पहले रिंकू गुड़गांव में बन रही बिल्डिंग के बड़े फ्लैट में शिफ्ट होना चाहता है और इसके लिए उसने शर्माजी को बताये बिना 15 लाख की टोकन मनी दे दी थी। मगर, प्रोजेक्ट में देरी हो जाती है और जब बिल्डर टोकन मनी देने में आनाकानी करता है तो रिंकू उसके दफ्तर में हंगामा करता है और मामला सीधे पुलिस में पहुंच जाता है। अपने फैसलों में पिता को शामिल ना करने वाले रिंकू को उनकी अहमियत इस कांड के बाद समझ में आती है, जिसका एक सिरा किट्टी पार्टी तक जाता है।
शर्माजी नमकीन दिल्ली के मिजाज में रची-बसी फिल्म है और निर्देशक हितेश भाटिया ने राजधानी के स्वैग को हर किरदार के जरिए स्क्रीन पर पेश किया है। सुप्रतिक सेन के साथ उन्होंने संवाद और दृश्यों में दिल्ली की नब्ज को खूब पकड़ा है, जो दिल्ली में रहने वाले दर्शकों को जाने-पहचाने लगते हैं तो दिल्ली के कॉलोनी/मोहल्ला कल्चर से अनजान लोगों को भी गुदगुदा जाते हैं। घर की छत पर खड़े होकर शर्माजी का पानी की टंकी का सायरन दुरुस्त करना और सायरन से आवाज आना- पानी की टंकी भर गयी है... दिल्ली की आबादी का बड़ा हिस्सा हर रोज सुबह इस आवाज को सुनने का आदी है।
फिल्म के संवाद चुटीले हैं और दिल्ली की भाषाई परम्परा को सोच और अदायगी के स्तर पर बखूबी उभारते हैं।मसलन- 'मुझे सेकंड हैंड कार एक्सीडेंट में नहीं मरना...। एक्सीडेंट तो एक्सीडेंट होता, चाहे जिस कार से हो, मगर यही तो दिल्ली का स्वैग है कि सेकंड हैंड कार से नहीं मरना। उस सिचुएशन में लाइन दिलचस्प लगती है। ऐसे कई मजेदार पंचेज फिल्म में दिल्ली के दिल को उभारते हैं।
ऋषि कपूर को शर्माजी के किरदार में देखना पुरसुकून है। ऋषि के निधन के कारण शूटिंग की मजबूरियों के चलते दृश्यों में शर्मा जी के किरदार में कभी ऋषि कपूर आते हैं तो कभी परेश रावल। परेश ने शर्माजी के प्रवाह को अक्षुण्ण रखने की भरपूर कोशिश की है, मगर जहां-जहां परेश शर्मा जी बनकर आते हैं, ऋषि कपूर की कमी वहां ज्यादा खलती है। दिल्ली की मिडिल क्लास फैमिली के रिटायर्ड शख्स की बॉडी लैंग्वज और आवाज में दिल्ली वाले एक्सेंट की खनक... ऋषि कपूर बड़ी सहजता से इसे निभा जाते हैं। पिछले कुछ सालों में किरदारों के जरिए दिल्ली के साथ उनका जो रिश्ता बना है, वो शर्माजी नमकीन में पूरे शबाब पर दिखता है।
ऋषि के किट्टी पार्टी गैंग की सदस्य के रूप में जूही चावला के साथ ऋषि के दृश्य दिलचस्प हैं। जूही के किरदार पर शर्माजी का आसक्त होना इस नमकीन कहानी को स्वीटनेस देता है। दोस्त चड्ढा के किरदार में सतीश कौशक और किट्टी पार्टी गैंग की सदस्यों में आयशा रजा और शीबा चड्ढा ने पूरा रंग जमाया है। शर्माजी के बेटे रिंकू के किरदार में सुहैल नय्यर और गर्लफ्रेंड के रोल में ईशा तलवार ठीक हैं। पश्चिमी दिल्ली के मेयर के किरदार में परमीत सेठी जंचते हैं। उनका किरदार छोटा है, मगर क्लाइमैक्स में तालियों वाला ट्विस्ट वही लेकर आते हैं। स्नेहा खानवल्कर का संगीत फिल्म के मूड को स्थापित करता है और सिचुएशंस की इंटेंसिटी बढ़ाता है।
शर्माजी नमकीन मुख्य रूप से ऋषि कपूर के अभिनय के प्रति जज्बे को सलाम करने वाली फिल्म है। एंड क्रेडिट रोल में बिहाइंड द सींस फुटेज में शूटिंग के दौरान ऋषि कपूर की मस्ती-मजाक उनके चाहने वालों के लिए आखिरी तोहफा है। 'शर्माजी नमकीन' देखने के बाद ऋषि कपूर का यूं छोड़कर चले जाना और भी ज्यादा खलता है। अभी तो (किट्टी) पार्टी शुरू ही हुई थी...!
फिल्म का ट्रेलर नीचे देख सकते हैं-
कलाकार- ऋषि कपूर, जूही चावला, सतीश कौशिक, परमीत सेठी, सुहैर नय्यर, शीबा चड्ढा, आयशा रजा आदि।
निर्देशक- हितेश भाटिया
निर्माता- फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी, हनी त्रेहन, अभिषेक चौबे।
प्लेटफॉर्म- अमेजन प्राइम वीडियो
अवधि- 119 मिनट
रेटिंग- *** (तीन स्टार)