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    Scam 2003 Review: आंखों के सामने घटते हुए देखिए 20 साल पुराना घोटाला, तेलगी को वापस ले आये गगन देव

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Fri, 01 Sep 2023 06:24 PM (IST)

    Scam 2003 The Telgi Story Review अब्दुल करीम तेलगी ऐसा किरदार है जिसके बारे में पूरा देश जानता है। ऐसे किरदार को केंद्र में रखकर बायोपिक सीरीज बनाना जोखिम भरा काम होता है क्योंकि तथ्यों से ज्यादा भटक नहीं सकते। ज्यादा सिनेमैटिक लिबर्टी लेना भी रिस्क हो सकता है। मगर स्कैम 2003 के लेखन ने ऐसी कोई गलती ना करने की समझदारी दिखायी है।

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    स्कैम 2003- द तेलगी स्टोरी सोनी लिव पर आ गयी है। फोटो- स्क्रीनशॉट

    नई दिल्ली, जेएनएन। बड़ा बनने का सपना देखना गलत नहीं है, मगर सपने पूरा करने के लिए 'गलत रास्ता' चुनना गलत है। 2003 में हुए स्टाम्प घोटाले के मास्टरमाइंड अब्दुल करीम तेलगी की कहानी सब जानते हैं। पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस घोटाले के बाद अब्दुल का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा। उसका सपना तो पूरा हो गया था, मगर अंजाम भी बुरा रहा। 

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    स्कैम 1992 द हर्षद मेहता स्टोरी के बाद हंसल मेहता स्कैम 2003 द तेलगी स्टोरी लेकर आये हैं। हालांकि, इस बार निर्देशन तुषार हीरानंदानी का है। हंसल सीरीज के साथ बतौर क्रिएटर जुड़े हैं। स्कैम 1992 के बाद हंसल की इस सीरीज का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था और यकीन मानिए तीन साल का इंतजार बेकार नहीं गया। 

    ऐसी कहानियों को पर्दे पर लेकर आना, जिनके बारे में सब जानते हैं, एक मुश्किल काम होता है। जरा सा बहके और मामला पटरी से उतरा। मगर, स्कैम 2003- द तेलगी स्टोरी एक कसी हुई बायोपिक क्राइम सीरीज है, जिसकी सबसे बड़ी हाइलाइट इसके कलाकार और पटकथा हैं। 

    क्या है स्कैम 2003 की कहानी?

    कहानी बेंगलुरु के पास खानपुर में एक ट्रेन से शुरू होती है, जिसमें अब्दुल करीम तेलगी (गगन देव) फल बेच रहा है और जिस तरह शब्दों को चाशनी में लपेटकर लोगों को खुश करते हुए वो सेल्समैनशिप कर रहा है, उससे मुंबई के रहने वाले शौकत भाई (तलत अजीज) बहुत प्रभावित हैं।

    बात करने पर पता चलता है कि वो अपनी बीकॉम की डिग्री की जीरोक्स कॉपीज का इस्तेमाल फल लपेटकर देने में कर रहा है। शौकत भाई को अब्दुल में दम नजर आता है और वो उसे मुंबई आने का न्योता देते हुए अपना पता लिखकर देते हैं। 

    ट्रेन की रफ्तार से हिलने वाली खोली में अपनी मां के साथ रह रहा अब्दुल पैसे से गरीब है, मगर सपनों से नहीं। एक ही रट लगी है कि उसे बड़ा नाम करना है और सिर के ऊपर छत बनानी है। आखिरकर, अब्दुल मुंबई पहुंच जाता है और शौकत भाई के गेस्ट हाउस मोअज्जम मंजिल में काम करने लगता है। अब्दुल के मार्केटिंग स्किल्स से गेस्ट हाउस का बिजनेस बढ़ जाता है। 

    इस बीच अब्दुल को शौकत की बेटी नफीसा (सना अमीन शेख) से प्यार हो जाता है। नफीसा भी उसे पसंद करती है। शौकत दोनों की शादी करवा देता है। शादी और बच्चा होने के बाद अब्दुल पैसा कमाने के लिए गल्फ चला जाता है। मगर, परिवार के पास रहने के लिए लौट आता है। पैसा कमाने के लिए वो कबूतरबाजी करने लगता है। फर्जी कागजात बनाकर लोगों को गल्फ देशों में भेजने लगता है। 

    यह धंधा ज्यादा दिनों तक नहीं चलता और एक दिन पुलिस की गिरफ्त में आ जाता है। हवालात में उसकी मुलाकात कौशल जावेरी (व्यास हेमांग) से होती है, जो शेयर सर्टिफिकेट पर लगी पुरानी स्टाम्प्स का गम वॉश करके उन्हें कम दामों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के दलालों को बेचता है। इससे 12-13 हजार रुपये महीने की आमदनी हो जाती है। मगर इस धंधे में कोलकाता का एक गैंग सक्रिय है, जो अब्दुल और कौशल को बीएसई से भगाने के लिए उनकी पिटाई कर देता है। 

    इस बीच अब्दुल को स्टाम्प पेपर का ज्ञान मिलता है। उसे पता चलता है कि भारत सरकार को स्टाम्प पेपरों से सलाना 33 हजार करोड़ की कमाई होती है, जिसका 70-80 फीसदी हिस्सा सिर्फ मुंबई से जाता है। अब्दुल अब इसी हिस्से में से अपना हिस्सा निकालने की योजना बनाता है, जिसमें उसका पहला साथी कौशल बनता है और यहीं से शुरू होती है 30 हजार करोड़ के फर्जी स्टाम्प पेपर घोटाले की कहानी, जिसकी चपेट में बड़े-बड़े नेता भी आये।

    कैसा है स्क्रीनप्ले, अभिनय और संवाद? 

    स्कैम 2003 की कहानी पत्रकार संजय सिंह की किताब तेलगी स्कैम- रिपोर्टर की डायरी से ली गयी है, जिस पर करन व्यास, केदार पाटनकर और किरन यद्नयोपवीत ने स्क्रीनप्ले और संवाद लिखे हैं। सीरीज का लेखन फर्स्ट पर्सन में किया गया है, यानी तेलगी खुद अपनी कहानी सुना रहा है।

    सोनी लिव पर सीरीज के अभी पांच एपिसोड्स ही जारी किये गये हैं। हर एपिसोड की अवधि लगभग 50 मिनट है। एपिसोड्स जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, नये किरदार और कलाकार इंट्रोड्यूस होते हैं। 

    आर्थिक अपराधों पर बनी फिल्मों या सीरीजों में सबसे बड़ा रिस्क इनके बोरिंग होने का रहता है, मगर स्कैम 1992 की तरह स्कैम 2003 के चुस्त स्क्रीनप्ले और चुटीले संवादों ने इसे फिसलने नहीं दिया है। बाकी का मोर्चा अब्दुल करीम तेलगी बने गगन देव रियार ने सम्भाल लिया है। गगन ने इस किरदार को जैसे ओढ़ लिया है। शारीरिक ढांचे और हावभाव से गगन असली तेलगी के बेहद करीब हो गये हैं।

    शौकत भाई के रोल में तलत अजीज ने ठीक काम किया है। ट्रेन वाले दृश्य में उनकी पहली मौजूदगी चौंकाती है। सहयोगी कलाकारों में सना अमीन शेख, भरत जाधव, समीर धर्माधिकारी, भावना बलसावर ने अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।

    यह बेहद साधारण दिखने वाले लोगों की कहानी है और तारीफ करनी होगी प्रोडक्शन डिपार्टमेंट की किरदारों को असली-सा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मेकअप, कपड़ों की क्वालिटी से लेकर डिजाइनिंग तक में समय और किरदार की सामाजिक परिस्थितियों का ध्यान रखा गया है। बैकग्राउंड संगीत दृश्यों के रोमांच को बढ़ाता है। खासकर, क्रेडिट रोल का पीस थ्रिल पैदा करता है।