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    Saina Movie Review: देश की बेटियों को प्रेरित करती फिल्म 'साइना', नंबर 1 खिलाड़ी बनने का सफर बनाएगा दीवाना

    हिसार से ताल्लुक रखने वाली ऊषा रानी और हरवीर सिंह नेहवाल की प्रतिभावान संतान ओलंपिक विजेता साइना नेहवाल वर्ष 2015 में बैडमिंटन में नंबर वन रैकिंग पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। पुरुष वर्ग में प्रकाश पादुकोण नबंर वन रह चुके हैं। उन पर आधारित है फिल्म साइना।

    By Priti KushwahaEdited By: Updated: Fri, 26 Mar 2021 07:30 PM (IST)
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    Photo Credit- Parineeti Chopra Instagram Photo Screenshot

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। खेल की दुनिया में चमकते सितारे सभी को आकर्षित करते हैं। हालांकि इसके पीछे उनकी कड़ी मेहनत और लंबा संघर्ष होता है जो अक्सर नजर नहीं आता है। हिसार से ताल्लुक रखने वाली ऊषा रानी और हरवीर सिंह नेहवाल की प्रतिभावान संतान ओलंपिक विजेता साइना नेहवाल वर्ष 2015 में बैडमिंटन में नंबर वन रैकिंग पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। पुरुष वर्ग में प्रकाश पादुकोण नबंर वन रह चुके हैं। उनकी जिंदगानी पर आधारित है फिल्म साइना।

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    फिल्म में मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली साइना (परिणीति चोपड़ा) के सफर की शुरुआत नंबर वन बनने से आरंभ होती है। प्रेस कांफ्रेंस में सवाल-जवाब के क्रम में कहानी फ्लैशबैक में जाती है। हैदराबाद ट्रांसफर होकर आए साइना के पिता (शुभ्रज्योति बारत) और मां ऊषा (मेघना मलिक) जिला स्तर के बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके हैं। मां का सपना बेटी को देश के लिए खेलते हुए देखने का है। यही वजह है कि अंडर 12 में जब साइना नेशनल रैकिंग में दूसरे नंबर पर आती है तो मां उसे करारा थप्पड़ मारती है। इस थप्पड़ से आहत साइना को पिता सांत्वना देते हुए बताते हैं कि उनकी मां के लिए जीत क्यों जरुरी है। वह जीजान से खेलती है। उसकी प्रतिभा को निखारने में उसके कोच का भी योगदान रहता है। उसकी सफलता-विफलता में मां चट्टान की तरह खड़ी रहती है। एक दौर ऐसा आता है जब चोटिल साइना को महीनों बैडमिंटन कोर्ट से दूर रहना पड़ता है और कोच साथ मतभेद होने पर हताशा होती है। खेल में उसके सूर्यास्त की खबरें आ रही होती हैं तो मां कहती है शक को अपने मन में घर मत बनाने दे। शेरनी है तू। साइना नेहवाल है तेरा नाम। अमितोष नागपाल द्वारा लिखे ऐसे कई संवाद प्रभावी हैं।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    अमूमन खिलाड़ियों की जिंदगानी पर बनने वाली फिल्मों में उनके संघर्षों और उसके बाद मिली सफलता को दर्शाया जाता है। यहां पर भी साइना की जिंदगी के उतार-चढा़व, कोच के साथ हुए मतभेद और उनकी प्रेम कहानी को सधे रुप से दशार्या गया है। निर्देशक अमोल गुप्ते ने विवादों से दूरी बनाई है। उन्होंने पीवी संधू के साथ उनकी प्रतिद्वंद्वता का जिक्र नहीं किया है। वह पी. कश्यप साथ साइना की प्रेम कहानी के साथ बैडमिंटन कोर्ट पर जीत के लिए दो खिलाड़ियों के बीच प्रतिद्वंद्वता को लेकर कौतूहल और रोमांच बनाए रखने में कामयाब रहे हैं। इसमें संगीतकार अमाल मलिक के संगीत का उन्हें पूरा सहयोग मिलता है। गाना मैं परिंदा क्यों बनूं... जोश जगाता है। खिलाड़ी बनने के लिए माता पिता द्वारा किए जाने वाले त्याग और परेशानियों को भी अमोल बढ़ा-चढ़ा कर पेश नहीं करते, लेकिन वह दिल को छू जाते हैं। खेल पर फोकस करने के लिए अपने ब्वॉयफ्रेंड से दूरी बनाने की नसीहत पर बिफरी साइना कहती है कि सचिन से कोई नहीं पूछता कि उसने 22 साल की उम्र में शादी क्यों की क्योंकि वह मेल प्लेयर है। महिला खिलाड़ी के शादी करने को लेकर उठाए जाने वाले यह सवाल झकझोरते हैं। इस पर विचार करने की जरुरत हैं।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    कलाकारों की बात करें तो परिणीति चोपड़ा ने  साइना की ऊर्जा, जोश, उमंग और जिजीविषा को बखूबी आत्मसात किया है। उन्होंने साइना बनने के लिए जीतोड़ मेहनत की है। वह पर्दे पर साफ झलकती है। उनके बचपन का रोल निभाने वाली मुंबई की दस साल की नायशा कौर भटोए (Bhatoye) असल में बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। देश में सिंगल में उनकी तीसरी रैंकिंग हैं। उनका खेल और अभिनय स्क्रीन पर देखकर आप दंग रह जाते हैं। इसी तरह साइना की प्रेमी की भूमिका निभाने वाले ईशान नकवी भी पूर्व इंटरनेशनल बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। उन्होंने ही परिणीति को बैडमिंटन का प्रशिक्षण दिया है। उन्हें महाराष्ट्र के सर्वोच्च खेल सम्मान शिव छत्रपति अवार्ड से नवाजा जा चुका हैं। मां की भूमिका निभाने वाली मेघना मलिक का काम उल्लेखनीय है। साइना को आगे बढ़ाने की ललक और उसकी जीत की खुशी को उन्होंने बेहतरीन तरीके से व्यक्त किया है। कोच की भूमिका में नरम-गरम दिखे मानव कौल भी प्रभावित करते हैं। विवादों से दूर रही साइना की जिंदगी पारदर्शी रही है। उनका यह सफर प्रेरित करता है।   

    फिल्म रिव्यू : साइना

    प्रमुख कलाकार : परिणीति चोपड़ा, मेघना मलिक, नायशा कौर भटोए, मानव कौल, ईशान नकवी, शुभ्रज्योति बारत

    निर्देशक : अमोल गुप्ते

    अवधि : दो घंटे 14 मिनट

    स्टार : साढे तीन