Vikrant Rona Review: किच्चा सुदीप और जैकलीन फर्नांडीज की फिल्म में है भरपूर सस्पेंस, पढ़ें पूरा रिव्यू
Vikrant Rona Review कन्नड़ स्टार किच्चा सुदीप की फिल्म विक्रांत रोणा सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म के एक गाने में बॉलीवुड अदाकारा जैकलीन फर्नांडीज भी नजर आईं। थिएटर में सस्पेंस और एक्शन से भरपूर ये फिल्म मनोरंजक है या नहीं उसके लिए पढ़ें पूरा रिव्यू।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। मूल रूप से कन्नड़ में बनी इस फिल्म को हिंदी में डब करके रिलीज किया गया है। अनूप भंडारी द्वारा लिखित और निर्देशित इस डार्क फंतासी एडवेंचर फिल्म को साहसिक प्रयास कहा जाएगा। उन्होंने इसमें एकसाथ कई जॉनर को जोड़ने का प्रयास किया है।
कहानी काल्पनिक गांव कमरोट्टू में सेट है। यह ऐसा दौर है, जहां हेमा मालिनी पहले से ही स्टार हैं, लेकिन बिजली की कमी है। कहानी की शुरुआत शादी में शामिल होने के लिए कार से अपनी बेटी के साथ कमरोट्टू जा रही एक महिला और उसकी बेटी से होता है। उनके रास्ते में अचानक कार से कुछ टकराता है। जब तक कुछ समझ आए तब तक बेटी को मारकर पेड़ पर टांग दिया जाता है। कहानी आगे बढ़ती है। गांव में कई बच्चों का अपहरण कर मार दिया गया है। यहां तक की दरोगा की भी नृशंस हत्या कर दी जाती है। ऐसे में वहां पर नये इंस्पेक्टर विक्रांत रोणा (किच्चा सुदीप) की पोस्टिंग होती है। वह अपनी बेटी के साथ वहां पर आता है। उधर, गांव के मुखिया जर्नादन (मधुसूदन राव) का गायब बेटा संजू (निरुप भंडारी) अचानक से लौटता है। विक्रांत का पूर्ववर्ती इंस्पेक्टर अपने पीछे कई अनसुझे सुराग छोड़ गया है। विक्रांत हत्यारों की खोज कैसे करेगा? हत्या के पीछे वजहें क्या हैं यही इस कहानी का रहस्य है जिसे यहां पर बताना उचित नहीं होगा।
अनूप भंडारी की इस काल्पनिक कहानी की शुरुआत बच्चों के कहानी सुनाने से होती है। फिर यह सुपरनेचुरल हॉरर थ्रिलर का फील देती है। उसके बाद मिस्ट्री बन जाती है। मध्यांतर से पहले कहानी काफी बिखरी हुई है। यह धीमी गति से आगे बढ़ती है। स्थानीय पात्रों के बीच संबंधों को बहुत गडमड तरीके से दर्शाया गया है। मध्यांतर के बाद कहानी गति पकड़ती है। वहां से समझ आता है कि कहानी किस दिशा में जा रही है। किरदारों से जुड़े सस्पेंस को आखिर तक बनाए रखने में अनूप कामयाब रहते हैं। इस रहस्य तक पहुंचने के लिए बीच में प्रेम कहानी का भी एंगल है। प्रेम कहानी है तो गाने होना स्वाभाविक है। हालांकि यह जबरन ठूंसे हुए लगते हैं। सिर्फ 'रा रा रक्मा' को छोड़कर कोई भी गाना याद नहीं रह जाता है। फिल्म में वीएफएक्स का प्रचुर मात्रा में उपयोग किया गया है। थ्री डी में बनी इस फिल्म में एक्शन को देखना रोमांचक अनुभव है। हालांकि क्लाइमेक्स में जब एक्शन भरपूर है तो वहां पर थ्री डी का अनुभव नहीं मिलता है। फंतासी फिल्म होने की वजह से यहां पर लॉजिक ढूंढने की कोशिश कतई न करें।
इस मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म का भार किच्चा सुदीप के कंधों पर है। सुदीप इससे पहले दबंग 3 में खलनायक की भूमिका में नजर आए थे। विक्रांत की भूमिका में उनका किरदार निडर और साहसी है। वह वन मैन आर्मी की तरह है जो कई लोगों को एकसाथ चित्त करने में सक्षम है। वह अपने किरदार में रमे नजर आते हैं। फिल्म में जैकलीन फर्नांडीज मेहमान भूमिका में हैं। 'रा रा रक्मा' गाने में उन्हें अपनी अदाएं दिखाने का मौका मिला है। पन्ना बनीं नीता अशोक अपने किरदार के अनुरुप साहसी और मासूम लगी हैं। निरुप भंडारी और बाल कलाकार संहिता का काम उल्लेखनीय है। फिल्म की अवधि 147 मिनट है। कुछ अनावश्यक सीन और गाने को निकालकर इसे कम किया जा सकता था। बहरहाल, इस रहस्यमयी फंतासी को बेहतर बनाने की काफी गुंजाइश थी अगर किरदारों को समुचित तरीके से सुगठित किया गया होता।
फिल्म रिव्यू: विक्रांत रोणा
प्रमुख कलाकार : किच्चा सुदीप, निरुप भंडारी, जैकलीन फर्नांडीज, नीता अशोक
निर्देशक : अनूप भंडारी
अवधि : दो घंटा 27 मिनट
स्टार : ढाई