नई दिल्ली, जेएनएन। 13 नवम्बर 2005 को जहानाबाद जेल पर हुए नक्सली हमले की दुस्साहसिक और हिंसक घटना आज भी रोंगटे खड़े कर जाती है। इस घटना की पृष्ठभूमि में सुधीर मिश्रा ने एक प्रेम कहानी बुनी, जिसे नाम दिया जहानाबाद ऑफ लव एंड वार।

यह कहानी दस एपिसोड्स की वेब सीरीज की सूरत में सोनी लिव पर रिलीज हो गयी है। वेब सीरीज मुख्य रूप से जहानाबाद जेल ब्रेक की घटना को अंजाम देने की साजिश और तैयारियों का काल्पनिक चित्रण है, जिसमें प्रेम कहानी एक भूमिका अदा करती है।

इसी क्रम में सीरीज ऊंच-नीच, राजनीति, पुलिस और लेफ्ट के वैचारिक धरातल को छूते हुए आगे बढ़ती है, मगर गहराई में नहीं जाती। ना किसी के खिलाफ है और ना किसी के पक्ष में। जहानाबाद ऑफ लव एंड वॉर एक कसी हुई थ्रिलर सीरीज है, जिसकी सबसे बड़ी ताकत लेखन के साथ कलाकारों का चयन और उनका अभिनय है।

कहानी

अभिमन्यु सिंह जहानाबाद के डिग्री कॉलेज में अंग्रेजी का लेक्चरर है। वह पटना से वहां नौकरी करने आया है। बीए तीसरे साल की छात्रा कस्तूरी मिश्रा पहली नजर में ही उस पर आसक्त हो जाती है। अभिमन्यु उसकी भावनाएं समझता है, मगर उसका टीचर होने की वजह से झिझकता है।

कस्तूरी की जिद के आगे वो समर्पण कर देता है। कस्तूरी पर घर में शादी का दबाव बढ़ता है तो वो बता देती है कि अभिमन्यु सिंह से शादी करेगी। दूसरी जाति का होने की वजह से कस्तूरी की मां शुरुआत में नहीं मानती, पर पिता के समझाने के बाद वो भी अभिमन्यु सिंह को अपना लेती है। 

अभिमन्यु सिंह के माता-पिता नहीं हैं। बस एक मामा हैं। पटना से मामा कस्तूरी के माता-पिता से मिलते हैं और दोनों की शादी पक्की हो जाती है। मगर, इस प्रेम कहानी का असली ट्विस्ट माता-पिता नहीं, बल्कि जहानाबाद जेल ब्रेक है, क्योंकि जेल में बंद नक्सली नेता दीपक कुमार को छुड़ाने के लिए हमला उसी दिन करना होता है। 

रिव्यू

जहानाबाद लव एंड वॉर की कहानी का स्क्रीनप्ले दो समानांतर ट्रैक्स पर चलता है, जो आगे जाकर एक-दूसरे में मिल जाते हैं। एक ट्रैक अभिमन्यु सिंह और कस्तूरी मिश्रा की प्रेम कहानी है। दूसरा ट्रैक दीपक कुमार को जेल से छुड़ाने के लिए नक्सलियों की साजिश और तैयारियों पर आधारित है। शो का निर्देशन राजीव बर्णवाल और सत्यांशु सिंह ने किया। स्टोरी, स्क्रीनप्ले और संवाद राजीव के ही हैं।  

राजीव का लेखन बेहद चुस्त और सधा हुआ है। एपिसोड्स इस तरह लिखे गये हैं कि रफ्तार बनी रहती है। पहले एपिसोड से आखिरी एपिसोड तक रोमांच बना रहता है। शुरू के पांच एपिसोड्स में अभिमन्यु और कस्तूरी की प्रेम कहानी प्रधान रहती है। मगर, इन दृश्यों में भी शिथिलता नहीं है।

इनकी प्रेम कहानी में कुछ क्लीशे हैं, मगर कलाकारों के बेहतरीन अभिनय ने इसे संभाल लिया है और दृश्य बोझिल नहीं होते। जहानाबाद लव एंड वॉर की कहानी को जिस सस्पेंस पर खड़ा किया है, पांचवां एपिसोड आते-आते वो समझ में आने लगता है, मगर लेखकों का मकसद इस सस्पेंस को दबाकर रखना भी नहीं है, क्योंकि छठे एपिसोड में इसका खुलसा हो जाता है और फिर लव स्टोरी और नक्सली जंग के ट्रैक मिल जाते हैं।

सात से दसवें एपिसोड रोमांच से भरपूर हैं और इसके घटनाक्रम उठने नहीं देते। खासकर, नक्सली और पुलिस के बीच चलने वाला चूहे बिल्ली का खेल दिलचस्प है। जेल ब्रेक की घटना के लिए 13 नवम्बर 2005 को दिन चुना जाता है। इस दिन जहानाबाद में विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण सम्पन्न होता है। मगर, रात को नक्सली पूरे शहर को अपने कब्जे में ले लेते हैं और बड़ा हमल करते हैं।

पूरी सीरीज सहजता के साथ आगे बढ़ती है, मगर क्लाइमैक्स में कुछ नाटकीय मोड़ डाले गये हैं, जो इसकी कमजोरी बन गया है। 

अभिमन्यु सिंह के किरदार में रित्विक भौमिक ने बेहतरीन अभिनय किया है। उनका किरदार परतदार है और इस शो की यूएसपी है। साथ ही उसमें कुछ ग्रे शेड्स भी हैं। फर्ज और प्रेम के बीच किरदार की कसमसाहट को उन्होंने असरदार ढंग से पेश किया है। अल्हड़ और जिंदगी की उम्मीदों से भरी कॉलेज छात्रा के किरदार में हर्षिता गौड़ का अभिनय सीरीज की हाइलाइट है। इस किरदार की देह भाषा और चारित्रिक गुणों को हर्षिता ने बखूबी पकड़ा है। 

अन्य कलाकारों में उग्र और पढ़े-लिखे नक्सली नेता के किरदार में परमब्रत चटर्जी जमे हैं। हिंदी मनोरंजन इंडस्ट्री में बहुत समय बाद उन्हें ढंग का किरदार मिला है और उन्होंने इसे उसी शिद्दत से निभाया है।

जहानाबाद के एसपी दुर्गेश प्रताप सिंह के किरदार में सत्यदीप मिश्रा, एक्स एमएलए शिवानंद सिंह के किरदार में रजत सिंह, कस्तूरी के पिता के रोल में राजेश जैस और मां के किरदार में सोनल झा की अदाकारी दृश्यों को देखने लायक बनाते हैं। सोनल के किरदार को काफी मजबूत दिखाया गया है। नक्सलियों के नेता और मास्टरमाइंड जगमोहन कुमार यानी गुरुजी के किरदार में सुनील सिन्हा प्रभावित करते हैं।

शो रनर सुधीर मिश्रा की छाप स्क्रीनप्ले से लेकर दृश्यों के संयोजन और निर्देशन में झलकती है। दृश्यों को वास्तविकता के साथ रोमांचक बनाये रखना उनके सिनेमा की खूबी रही है, जो जहानाबाद ऑफ लव एंड वॉर में भी साफ दिखता है। किरदारों के प्रस्तुतिकरण और दृश्यों के संयोजन में साज सज्जा विभाग की मेहनत भी दिखती है। वीकेंड पर लव स्टोरी और रोमांच का मिश्रण देखने का मन है तो जहानाबाद ऑफ लव एंड वॉर को विंज वॉच कर सकते हैं।

कलाकार- रित्विक भौमिक, हर्षिता गौड़, सत्यदीप मिश्रा, रजत कपूर, सुनील सिन्हा, परमब्रत चटर्जी आदि।

निर्देशक- राजीव बर्णवाल और सत्यांशु सिंह

निर्माता- स्टूडियो नेक्स्ट

प्लेटफॉर्म- सोनी लिव

अवधि- 31 से 54 मिनट। 10 एपिसोड्स।

रेटिंग- ***1/2

Edited By: Manoj Vashisth