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    Heeramandi Review: ओटीटी के बाजार में सज गई भंसाली की 'हीरामंडी', भव्‍यता में अव्वल पर चमक पड़ी फीकी

    Updated: Wed, 01 May 2024 04:19 PM (IST)

    संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी- द डायमंड बाजार (Heeramandi Review) ओटीटी स्पेस की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीजों में शामिल थी। इस सीरीज के साथ भंसाली ने ओटीटी स्पेस में कदम रखा है। ओटीटी के लिए संजय ने लाहौर की हीरामंडी में तवायफों की कहानी चुनी। आठ एपिसोड्स में रिलीज हुई सीरीज में मनीषा कोइराला सोनाक्षी सिन्हा समेत कई बेहतरीन कलाकार अहम किरदारों में हैं।

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    हीरामंडी नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

    स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। हिंदी जुबां और रिवायतें हम नहीं सिखा सकते, इसके लिए आपको हीरामंडी (लाहौर में तवायफों का इलाका) जाना होगा। यह बात पहले एपिसोड के एक दृश्‍य में कुदसिया बेगम (फरीदा जलाल) लंदन से पढ़ाई करके लौटे अपने पोते ताजदार (ताहा शाह) से कहती हैं।

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    इस पर ताजदार कहता है कि व‍हां तो अय्याशी सिखाते हें। इस पर दादी नाराजगी व्‍यक्‍त करते हुए कहती हैं, व्‍हाट नानसेंस। वहां तो सारे नवाब जाते हैं। वहां अदब सिखाते हैं, नफासत सिखाते हैं...और इश्क भी।

    संजय लीला भंसाली इसके जरिए हीरामंडी में नवाबों की दुनिया और तवायफों के दबदबे के बारे में बता रहे हैं। यह वह दुनिया है, जहां नवाबों की अय्याशी उनके परिवार की महिलाओं को सहर्ष स्‍वीकार है।

    तवायफ को महफिल सजाने के लिए बुलाया जाता है, लेकिन हीरामंडी में उन्‍हें मेहमान की तरह आमंत्रित भी किया जाता है और इज्‍जत बख्‍शी जाती है। किसी को एतराज तक नहीं होता। यह व्‍यवहार और आचरण भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार की काल्‍पनिक दुनिया में ही संभव है।

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    क्या है हीरामंडी की कहानी?

    कहानी आजादी से पहले के दौर में लाहौर की हीरामंडी की पृष्‍ठभूमि में सेट है और तीन तवायफ बहनों को केंद्र में रखकर दिखाई गई है। बहनों के रिश्‍तों में कोई अपनापन नहीं है। सीरीज की शुरुआत में रेहाना (सोनाक्षी सिन्‍हा) अपनी छोटी बहन मल्लिका (आभा रांटा) के नवजात बेटे को बेच देती है।

    रेहाना उसके बाद मल्लिका को भी बेचने की बात करती है। इससे आगबबूला मल्लिका गला घोंट कर आपा की हत्‍या कर देती है। युवा 'साहब' जुल्फिकार (अध्‍ययन सुमन) इसमें उसका साथ देता है। इस हत्‍या की चश्मदीद गवाह मल्लिका की छोटी बहन वहीदा (संजीदा शेख) और रेहाना की नौ साल की बेटी फरीदन होती है।

    मल्लिका, फरीदन को बेच देती है और कोठे की मालिकन बनती है, जिसे अपनी बेटियों से अम्‍मी के बजाए हुजूर कहलवाना पसंद है। कहानी आगे बढ़ती है। कठोरदिल मल्लिका हीरामंडी की कद्दावर तवायफ है। वह अपनी बेटियों की भी गलती माफ नहीं करती।

    मल्लिका अपनी छोटी बेटी आलमजेब (शरमिन सहगल) को अपनी सत्‍ता सौंपना चाहती हैं। शायरी की शौकीन आलमजेब तवायफ नहीं बनना चाहती। नवाबों की एक महफिल में उसकी मुलाकात ताजदार (ता‍हा शाह) से होती है। दोनों पहली ही नजर में एक-दूसरे को अपना दिल दे बैठते हैं।

    इस दौरान युवा फरीदन (सोनाक्षी सिन्‍हा) अपनी मां की मौत का बदला लेने आती है। वह पहले मल्लिका की बेटी बिब्‍बोजान (अदिति राव हैदरी) के साहब वली मुहम्‍मद (फरदीन खान) को उससे छीनती है। बिब्‍बो जान आजादी की लड़ाई में भी चोरी छुपे हिस्‍सा ले रही है।

    इस बात से उसकी अम्‍मीजान नावाकिफ हैं। उधर, फरीदन इस लड़ाई में आलमजेब और ताजदार को अपना मोहरा बनाती है। नथ उतराई से ठीक पहले फरीदन साजिश करके आलम को फरार करा देती है। हीरामंडी के उत्तराधिकार की लड़ाई में मल्लिकाजान (मनीषा कोइराला) और प्रतिशोध की आग में जल रही फरीदन में कौन किसे शिकस्‍त देगा कहानी इस संबंध में है।

    कैसा रहा भंसाली का ओटीटी डेब्यू?

    'गोलियों की रासलीला: रामलीला' के बाद से संजय लीला भंसाली पीरियड और कास्‍ट्यूम ड्रामा में निरंतर नए प्रयोग कर रहे हैं। बाजीराव मस्‍तानी, पद्मावत, गंगूबाई काठियावाड़ी के बाद अब उन्‍होंने बहुप्रतीक्षित 'हीरामंडी' के साथ डिजिटल प्‍लेटफॉर्म पर पदार्पण कर दिया है।

    यहां पर भी यथार्थ से दूर सपनीली रंगीन दुनिया को वह गढ़ने में कामयाब रहे हैं। हीरामंडी एक अलग संसार में ले जाने की कोशिश करती है। यह वह दुनिया है, ज‍हां तवायफों के पात्र सशक्‍त हैं। हर तवायफ का एक साहब होता है। उनके साथ ही संबंध होते हैं।

    हालांकि, स्क्रीनप्ले में कई कमियां खटकती हैं। मसलन लाहौर का वह दौर उर्दू का था, जहां शायरी की भरमार थी और जुबान में मिठास होती थी। वह जुबान और मिठास की कमी यहां पर खटकती है। कहानी फ्लैशबैक से कब वर्तमान में आती है, इसका बहुत ध्‍यान रखना होता है।

    यहां पर सभी पात्रों के साथ वह पूरी तरह न्‍याय नहीं कर पाए हैं। लज्‍जो (रिचा चड्ढा) कहां से आती है। कुछ अता-पता नहीं चलता। मल्लिका लगातार वहीदा को अपमानित करती हैं। अपमान से तिलमिलाई वहीदा बदले की फिराक में है, लेकिन कोई धमाका करने में अक्षम नजर आती है।

    उसकी बेटी का ट्रैक भी अधूरा है। अध्‍ययन सुमन के किरदार से जुड़ा रहस्‍योद्घाटन कोई घुमावदार मोड़ कहानी में नहीं लाता है। हीरामंडी का अखबार कहे जाने वाला उस्‍ताद (इंद्रेश मलिक) फरीदन के लिए कई लड़कियां बहुत आसानी से कोठे पर लाता है।

    ऐसे कई दृश्‍य हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि शानो-शौकत से रहने वाली तवायफों की स्‍याह जिंदगी में संजय पूरी तरह उतर नहीं पाए हैं। ताजदार को छोड़कर बाकी सभी नवाबों के किरदार कमजोर नजर आते हैं, खास तौर पर फरदीन खान का।

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    मनीषा और सोनाक्षी 'हीरामंडी' की हीरो

    बहरहाल, इस सीरीज का नायाब हीरा मनीषा कोइराला और सोनाक्षी सिन्‍हा हैं। मनीषा ने मल्लिकाजान के किरदार के मुताबिक खुद को ढाला और उच्‍चारण पर काम भी किया है। उन्‍हें अपनी अभिनय प्रतिभा के कई पहुलओं को दिखाने का मौका मिला है।

    सोनाक्षी को ग्रे किरदार निभाने का मौका मिला है। उसमें वह फबती हैं। दोनों के बीच आपसी तकरार के दृश्‍य रोचक हैं। मारक और चुटीले संवाद उन्‍हें जानदार बनाने में मददगार होते हैं। आलमजेब की भूमिका में शरमिन सहगल उस मासूमियत को नहीं छू पातीं, जो उनके पात्र की मांग भी है।

    ताहा शाह ने अपने किरदार को शिद्दत से आत्‍मसात किया है। अदिति, संजीदा शेख और सहायक भूमिकाओं में आए अन्य कलाकार भी अपने किरदार साथ न्‍याय करते दिखे हैं। प्रेम, ताकत, विश्वासघात, संघर्ष और अंततः स्वतंत्रता की गाथा में गूंथी गई हीरामंडी के संगीत के मामले में संजय थोड़ा चूक गए हैं।