Gumraah Movie Review: साउथ रीमेक्स की भीड़ में 'गुमराह' हुई आदित्य रॉय कपूर और मृणाल ठाकुर की फिल्म
Gumraah Movie Review हिंदी सिनेमा में इस वक्त साउथ फिल्मों के इतने रीमेक्स बन रहे हैं मगर बॉक्स ऑफिस पर काम नहीं कर रहे। अजय देवगन की दृश्यम 2 के बाद हिंदी में रीमेक हुई कोई फिल्म सफल नहीं हुई है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। इन दिनों दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिंदी में रीमेक करने का चलन जोरों पर है। पिछले सप्ताह तमिल फिल्म 'कैथी' की हिंदी रीमेक 'भोला' रिलीज हुई थी। इस सप्ताह तमिल फिल्म 'थडम' की हिंदी रीमेक 'गुमराह' रिलीज हुई है।
क्या है गुमराह की कहानी?
फिल्म की कहानी शुरू होती है, एक बंगले में हुई हत्या के साथ। शिवानी माथुर (मृणाल ठाकुर) को कमिश्नर ऑफिस से खास इस केस की जांच के लिए भेजा जाता है। पूछताछ के दौरान एक तस्वीर में संदिग्ध दिखता है। एसीपी धीरेन यादव (रोनित रॉय) उस संदिग्ध की पहचान अर्जुन सहगल (आदित्य रॉय कपूर) के नाम से करता है, जो पेशे से सिविल इंजीनियर है।
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कुछ घंटों के भीतर पुलिस स्टेशन में अर्जुन का हमशक्ल सूरज राणा (आदित्य रॉय कपूर) नशे में पुलिस वालों से हाथापाई करने के जुर्म में लाया जाता है। पुलिस थाने में सब हैरान हैं कि अब वह कैसे पता लगाएं कि असली हत्यारा कौन है?
कैसा है गुमराह का स्क्रीनप्ले और अभिनय?
पिछली कई साउथ फिल्मों की रीमेक मसलन कबीर सिंह, जर्सी के साथ ऐसा हुआ है कि मूल फिल्म के निर्देशकों ने ही हिंदी रीमेक का भी निर्देशन किया था। हालांकि, गुमराह के साथ ऐसा नहीं है। मूल फिल्म का लेखन मगीज थिरुमेनी ने किया था, जबकि गुमराह को वर्धन केतकर ने निर्देशित किया है।
क्राइम सीन को फिल्म की शुरुआत में रखने का वर्धन का आइडिया अच्छा है, लेकिन आगे फिर कमजोर स्क्रीनप्ले उसे कोई दिशा नहीं देती है। एक हत्या, दो हमशक्ल संदिग्ध, यह सुनने में भी दिलचस्प है, लेकिन पर्दे तक वह रोमांच नहीं पहुंचता है। मूल फिल्म की शुरुआत क्राइम सीन से नहीं होती है, लेकिन हर एक सीन के साथ फिल्म में रोमांच का स्तर बढ़ता है।
इस फिल्म में पहला हाफ खत्म होते-होते अंदाजा लग जाता है कि खून किसने किया होगा। पहले हाफ में अर्जुन और जाह्नवी (वेदिका पिंटो) के बीच के प्रेम-प्रसंग वाले सीन को एडिट किया जा सकता था। जब दोनों हमशक्ल सामने आते हैं, तो एक रोमांच पैदा होता है, लेकिन वह परवान नहीं चढ़ता।
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रीमेक की वजह से कुछ सीन हूबहू मूल फिल्म जैसे ही हैं। ऐसे में सिनेमैटोग्राफर विनीत मल्होत्रा कैमरा एंगल से नयापन ला सकते थे। बीच-बीच में आते गाने कमजोर स्क्रीनप्ले में खलल डालते हैं। मूल फिल्म के पात्र बहुत साधारण और आम लोगों की तरह थे। हर ट्विट्स के पीछे की वजहों को सीन दर सीन स्पष्ट किया गया था। इस फिल्म में आदित्य के पात्र को स्वैग से भरपूर दिखाया गया है, जिसकी आवश्यकता नहीं थी।
आदित्य रॉय कपूर क्राइम थ्रिलर जॉनर में जंचते हैं। दोहरी भूमिका में उन्होंने दोनों ही पात्रों के बीच का अंतर सफलतापूर्वक दर्शाया है। दोनों ही पात्रों के लुक में कोई खास अंतर नहीं है, ऐसे में सब कुछ उन्होंने अपने अभिनय के दम पर किया है।
मृणाल ठाकुर गंभीर पुलिस अफसर के रोल में जमती हैं, हालांकि मूल फिल्म के मुकाबले उन्हें और स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था। रोनित रॉय गुस्सैल पुलिस अफसर और बदला लेने वाले पिता की भूमिका के साथ न्याय करते हैं।
मुख्य कलाकार- आदित्य रॉय कपूर, मृणाल ठाकुर, रोनित रॉय
निर्देशक- वर्धन केतकर
अवधि- दो घंटा 10 मिनट
रेटिंग- दो