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    Gullak 3 Review: ह्यूमर की पाई-पाई जोड़कर मिडिल क्लास के किस्सों से भरी गुल्लक, जानें- तीसरे सीजन में क्या है खास?

    Gullak 3 Reviewमिडिल क्लास वैल्यूज और सोचने के तरीके को जिस तरह गुल्लक 3 में दिखाया गया है वो प्राइम वीडियो की सीरीज पंचायत की याद दिलाती है जिसकी कहानी ग्रामीण परिवेश में कही गयी है। भारत के दो परिवेशों का बेहतरीन चित्रण।

    By Manoj VashisthEdited By: Updated: Fri, 08 Apr 2022 07:03 AM (IST)
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    Gullak 3 Review Streaming On SonyLIV. Photo- Instagram

    मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। ओटीटी स्पेस में अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी कई सीरीज मौजूद हैं, जिनमें मिडिल क्लास फैमिली की मान्यताओं और जद्दोजहद को कहानी में पिरोया गया है, मगर सोनी लिव की फ्लैगशिप वेब सीरीज गुल्लक इनमें से सबसे चर्चित और लोकप्रिय सीरीज है, जिसका हर सीजन एक ताजगी लेकर आता है। देश की आबादी का बड़ा हिस्सा जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, उसके किस्सों का यह सीरीज प्रतिनिधित्व करती है।

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    अब गुल्लक के तीसरे सीजन में एक बार फिर मिश्रा फैमिली मिडिल क्लास जीवन के नये 'एडवेंचर' लेकर आ आयी , जिसकी कहानी छोटे शहर-कस्बों में रहने वाले और मिडिल क्लास वैल्यूज के बीच बड़े होने वालों को अपनी जैसी लगेगी। इस गुल्लक की सबसे बड़ी खूबी इसका ह्यूमर है। तमाम जद्दोजहद के बीच कितनी भी संजीदा परिस्थिति हो, मगर ह्यूमर इसे दर्शक के लिए सघन नहीं होने देता। गुल्लक 3 में पांच एपिसोड्स हैं, जो सोनी लिव पर स्ट्रीम कर दिये गये हैं। 

    गुल्लक वेब सीरीज की कहानी के केंद्र में मिश्रा परिवार है, जो उत्तर भारत के किसी छोटे कस्बे में रहता है। कस्बे की पहचान आप किरदारों के लहजे और बातचीत करने के अंदाज से कर सकते हैं। गुल्लक की सबसे बड़ी ताकत इसकी राइटिंग है। जिस तरह से यह शो लिखा गया है, वो लोगों को करीब लाता है। 'ऐसी बढ़ा दो... उसे बढ़ाना नहीं घटाना कहते हैं...'। ये किरदार आपको अपने आस-पास के लगते हैं।

    बिल्कुल प्राइम वीडियो की पंचायत की तरह, जो देश के ग्रामीण जीवन और व्यवस्था को दिखाती है, गुल्लक भारतीय मिडिल क्लास की मुकम्मल झलक है। गुल्लक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि यह तीसरे सीजन में भी अपनी पकड़ नहीं खोती, जो किसी सीरीज के लेखकों और रचयिताओं के लिए बड़ा मुश्किल होता है।

    मिश्रा परिवार की जिंदगी में ज्यादा कुछ नहीं बदला है, जैसा कि कस्बों के लोग अक्सर महसूस करते होंगे। सालों गुजर जाते हैं, मगर जिंदगी बसर करने का ढंग नहीं बदलता। शहरों के मुकाबले छोटे कस्बों के परिवारों की पुरानी पीढ़ी के दसस्य तकनीकी विकास की धारा के जाल में ज्यादा नहीं फंसते। 

    संतोष मिश्रा बिजली विभाग के वही पुराने ईमानदार कर्मचारी हैं। पत्नी शांति मिश्रा आज भी परिवार और बच्चों के बीच मिश्रा जी से 'जूझ' रही हैं। बड़ा बेटा अनु प्राइवेट नौकरी करने के साथ अपने सपने पूरा करने बारे में सोचता है। छोटा बेटा अमन दसवीं में क्लास में टॉप 3 में आया है, उसकी अपनी अलग उड़ान है। 

    छोटे-छोटे मुद्दों को डील करने के वक्त मिडिल क्लास सोच, उलाहना, ताने और तौर-तरीकों को जिस तरह सीरीज में पिरोया गया है, वो इसे विश्वसनीय बनाता है। सीरीज के मुख्य कलाकार जमील खान, गीतांजलि कुलकर्णी, वैभव राज गुप्ता और हर्ष मायर इस सीरीज के लिखे को जिस तरह से पर्दे पर उतारते हैं, वो कमाल है। सीरीज के पांचों एपिसोड्स को चैप्टर्स की तरह ट्रीट किया गया है- मिशन एडमिशन, एलटीए, अगुआ, सत्यनारायण की व्रत कथा और इज्जत की चमकार।

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    शुरुआती एपिसोड्स में पुराने एपिसोड्स की पुनरावृत्ति लग सकती है, मगर तीसरे एपिसोड के बाद सीरीज रफ्तार पकड़ती है, जो आखिरी एपिसोड्स तक जारी रहती है और पांचवां एपिसोड एक रोमांचक बिंदु पर पहुंचकर खत्म होता है। गुल्लक 3 सही मायनों में फैमिली ड्रामा है, जो परिवार के साथ देखने पर ही लुत्फ देता है, साथ ही एक राहत भी। सीरीज को विंच वॉच करके ही आप उठेंगे।

    कलाकार- जमील खान, गीतांजलि कुलकर्णी, वैभव राज गुप्ता, हर्ष मायर आदि।

    निर्देशक- पलाश वासवानी

    निर्माता- अरुणाभ कुमार

    प्लेटफॉर्म- सोनी लिव

    अवधि- 23-41 मिनट प्रति एपिसोड

    रेटिंग- ***1/2 (साढ़े तीन स्टार)