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    Class Web Series Review: वर्ग संघर्ष के मुद्दे पर बात करती है नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज क्लास, उपदेश नहीं देती

    By Manoj VashisthEdited By: Manoj Vashisth
    Updated: Fri, 03 Feb 2023 07:54 PM (IST)

    Class Web Series Review शुक्रवार को सीरीज प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हो गयी है। आशिम अहलूवालिया ने निर्देशन किया है। सीरीज टीन ड्रामा है जो स्पेनिश शो एलीट से अडेप्टेड है। सीरीज में कुल आठ एपिसोड्स हैं। पूरा रिव्यू यहां पढ़ें-

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    Class Web Series Review Netflix Series. Photo- screenshot

    नई दिल्ली, जेएनएन। Netflix Web Series Class Review: नेटफ्लिक्स की ताजा सीरीज क्लास के संदर्भ में अगर श्लेष अलंकार का प्रयोग करें तो यहां क्लास के दो अर्थ सामने आते हैं- कक्षा या पाठशाला और वर्ग। इन दोनों शब्दों को ही पिरोकर क्लास की कहानी गढ़ी और दिखायी गयी है। शायद ही कोई समाज ऐसा हो, जिसका वैचारिक तौर पर बंटावारा ना हुआ है।

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    क्लास ऐसे ही बंटवारे की कहानी है, जो आर्थिक रूप से दो वर्गों के बीच की खाई को एक स्कूल और स्टूडेंट्स के माध्यम से पेश करता है। कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले स्टूडेंट्स संभ्रांत वर्ग के बच्चों के अछूत हो जाते हैं।

    हालांकि, सीरीज किसी का पक्ष नहीं लेती और किरदारों को कहानी की रवानगी के हिसाब से बहने देती है, जिसकी वजह से उपदेशात्मक नहीं लगती। आर्थिक आधार पर सामाजिक व्यवस्था के तार-तार होने की कहानी आगे चलकर एक थ्रिलर में बदल जाती है।

    स्पेनिश ड्रामा एलीट का रूपांतरण

    आशिम अहलूवालिया निर्देशित सीरीज स्पेनिश टीन ड्रामा एलीट का रूपांतरण है। इसके दृश्यों में विदेशी सीरीज की परत महसूस की जा सकती है। आशिम कहानी को दक्षिणी दिल्ली ले आये हैं, जहां काल्पनिक हैम्प्टन इंटरनेशनल स्कूल में इसे दिखाया गया है।

    कुछ दुर्बल आय वर्ग के बच्चों का स्कॉलरशिप के आधार पर दाखिला होता है। कुलीन परिवार के बच्चों को यह नागवार गुजरता है। बच्चे आधुनिक शिक्षा हासिल कर रहे हैं, मगर पीढ़ियों से ली आ रही दकियानूसी सोच बहुत अंदर तक बैठी हुई है, जिसके चलते प्रताड़ित करने की प्रक्रिया शुरू होती है। चीजें तब बिगड़ती हैं, जब एक स्टूडेंट का कत्ल हो जाता है। जांच शुरू होती है तो बहुत कुछ उलझा हुआ नजर आता है। 

    किरदार करते हैं प्रभावित

    क्लास की सबसे बड़ी खासियत इसके किरदारों का खाका है। यह जिस तरह से खींचा गया है, वो पकड़कर रखता है। कहानी के केंद्र में तीन प्रमुख किरदार सबा मंजूर, धीरज कुमार वाल्मीकि और बल्ली शेरावत हैं। ये तीनों स्लम एरिया से आते हैं। हालांकि, तीनों का मिजाज जुदा है। सबा मेहनतकश लड़की है।

    धीरज अपने नाम के अनुरूप संवेदनशील और सम सच का लड़का है। बल्ली मस्तमौला प्रकृति का है। ये तीनों किरदार क्रमश: मध्यमा सैगल, पीयूष खाटी और सिवायल सिंह ने निभाये हैं।

    आठ एपिसोड्स की सीरीज जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, ड्रामा सस्पेंस थ्रिलर में बदलता जाता है। क्लास में होने वाला वर्ग संघर्ष क्लीशे भी लगता है। इस प्रकृति की घटनाएं कई हिंदी फिल्मों में नजर आती रही हैं। हालांकि, उनका प्रस्तुतिकरण सीरीज में अलग है। 

    नवोदित कलाकारों का बढ़िया अभिनय

    क्लास में सोच के दोगलेपन पर प्रहार किया गया है। किसी मुद्दे को लेकर व्यक्तिगत सोच उस वक्त बदल जाती है, जब वो हमारे निजी जीवन से जुड़ा हो। दूसरे के मामले में सही लगने वाली बात अपने केस में गलत हो जाती है। सीरीज के लेखन में यौन कुंठाओं को किरदारों के जरिए ठूसा गया है।

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    सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर फिल्मों में भले ही बात कम होती है, मगर ओटीटी स्पेस में इस पर खूब चर्चा होती रही है। क्लास में समलैंगिक किरदारों के जरिए विषय पर भी बात की गयी है। शो की सबसे बड़ी खूबी कलाकारों का अभिनय है। भारत मनोरंजन जगत में टीन ड्रामा बहुत ज्यादा नहीं बनते थे, मगर ओटीटी की वजह से काफी सीरीज आ रही हैं।

    हालांकि, इस तरह के क्राइम आधारित टीन ड्रामा अभी भी ज्यादा नहीं हैं। क्लास उस गैप को भरती है, पर सीरीज को देखने के लिए खुला दिमाग लेकर बैठना होगा। आशिम का निर्देशन सधा हुआ है। वो कहानी को कागज से कैमरे तक तरलता के साथ ले गये हैं। 

    प्रमुख कलाकार- गुरफतेह पीरजादा, अंजलि शिवरामन, आयशा कांगा, सीवायल सिंह, मध्यमा सैगल, पीयूष खाटी आदि।

    निर्देशक- आशिम अहलूवालिया

    प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स

    अवधि- प्रति एपिसोड लगभग एक घंटा

    रेटिंग- तीन

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