Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chota Bheem Review: जम जम जम्बूरा, मजा रहा अधूरा... 'बच्चों का खेल' नहीं बच्चों के लिए फिल्म बनाना

    Updated: Fri, 31 May 2024 06:06 PM (IST)

    छोटा भीम की कहानी नई नहीं है। एनिमेशन फिल्म के जरिए यह बच्चे-बच्चे तक पहुंच चुकी है मगर लाइव एनिमेशन फिल्म के जरिए यह अलग अंदाज में सामने आई है। छोटा भीम अपने साथियों के साथ दम्यान के कहर को रोकने की कोशिश कर रहा है। इसमें उसकी मदद करते हैं गुरुजी बने अनुपम खेर। हालांकि तकनीकी रूप से फिल्म प्रभावित नहीं कर पाती।

    Hero Image
    छोटा भीम थिएटर्स में रिलीज हो गई है। फोटो- इंस्टाग्राम

    प्रियंका सिंह, मुंबई। हिंदी सिनेमा में बच्चों के लिए फिल्में आम तौर पर कम ही बनती हैं। उनमें से वही फिल्में आकर्षित कर पाती हैं, जिनके किरदार प्रसिद्ध हों। लाइव एक्शन सुपरहीरो फिल्म 'छोटा भीम एंड द कर्स आफ दम्यान' (Chota Bheem And The Curse Of Damyaan) साल 2012 में इसी नाम से रिलीज हुई एनिमेटेड फिल्म की रीमेक है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या है छोटा भीम की कहानी?

    कहानी शुरू होती है राक्षस दम्यान से जो एक हजार साल से जमीन के नीचे धंसे सोनापुर शहर में एक श्राप के कारण कैद है। उसे बाहर आने के लिए एक निश्कलंक और महान योद्धा चाहिए। वह योद्धा भीम (यज्ञ भसीन) है। दम्यान के रक्षक तक्षिका (नवनीत ढिल्लन) और स्कंदी (मकरंद देशपांडे) एक व्यापारी को लूटकर ढोलकपुर के राजा इंद्रवर्मा (संजय बिश्नोई) तक पहुंच जाते हैं।

    भीम के शहर ढोलकपुर की फसल जल जाने से राजा परेशान हैं। स्कंदी और तक्षिका उन्हें सलाह देते हैं कि सोनापुर शहर की खुदाई करें तो वहां से बहुत सोना मिल सकता है। राजा के साथ भीम और उसके दोस्त सोनापुर पहुंचते हैं। अनजाने में भीम दम्यान को श्राप से मुक्त कर देता है।

    यह भी पढ़ें: Mr And Mrs Mahi Review- क्रिकेट के लिए जुनून की कहानी मियां-बीवी की कलह पर अटकी, कहां बिगड़ा संतुलन?

    परिस्थितियां ऐसे बनती हैं कि दम्यान को हराने के लिए भीम और उसके दोस्तों को हजार साल पीछे जाना पड़ता है, ताकि वह दम्यान को अमर होने से रोक सकें। वहां उनकी मुलाकात जादूगर गुरु शंभू (अनुपम खेर) और गुलाब चाचा (मुकेश छाबड़ा) से होती है। क्या दम्यान को हराकर भीम और उसके दोस्त लौट पाएंगे, कहानी इस पर आगे बढ़ती है।

    सब्र का इम्तिहान लेती छोटा भीम

    इस फिल्म की कहानी एनिमेटेड फिल्म से बहुत अलग नहीं है। फर्क इतना ही है कि उस फिल्म में एनिमेशन के जरिए वह दृश्य दिखाना आसान है, जो कलाकारों के साथ लाइव एक्शन फिल्म में दिखाना कठिन है।

    फिल्म की कहानी लेखक नीरज विक्रम और श्रीदिशा दिलीप ने बच्चों की समझ को ध्यान में रखकर ही लिखी है, जिसमें जम जम जंबूरा बोलकर भविष्य में ले जाना हो या कालिया के वन लाइनर्स हों, मजेदार लगते हैं।

    कास्टिंग को लेकर तारीफ बनती है, क्योंकि अब तक एनिमेशन में ही दिखे भीम, राजू, छुटकी, कालिया, जग्गू, ढोलू-भोलू से मिलते-जुलते चेहरे फिल्म में नजर आते हैं। दिक्कत है इस फिल्म की अवधि, जो बच्चों को एक जगह बिठाए रखने के लिए बहुत ज्यादा है। बिना वजह के गाने, क्लाइमेक्स की लंबाई को कम करके इसे दो घंटे में समेटा जा सकता था।

    तकनीक में मात गई छोटा भीम

    फिल्म का विजुअल इफेक्ट औसत दर्जे का है। टुनटुन मौसी के लड्डू, जिसे खाकर छोटा भीम में शक्ति आ जाती है, उसकी कमी खलती है। जेल में एक लड्डू वाला सीन है, लेकिन वह उतना मजेदार नहीं बन पाया है। भीम के साहसी काम करने पर बजने वाला गाना छोटा भीम छोटा भीम... की कमी भी अखरती है।

    भीम की भूमिका में यज्ञ भसीन ने स्क्रिप्ट के दायरे में रहकर अच्छा काम किया है, लेकिन भीम के बात करने का अंदाज और ऊर्जा उनमें कम नजर आती है। अनुपम खेर जादूगर के रोल में जंचे हैं। स्कंदी बने मकरंद देशपांडे मजेदार लगते हैं।

    यह भी पढ़ें: Friday Releases- 'मिस्टर एंड मिसेज माही' से 'सावी' तक ये फिल्में शुक्रवार को होंगी रिलीज, 'मंथन' भी देगी दस्तक

    गुलाब चाचा की भूमिका में मुकेश छाबड़ा और तक्षिका बनी नवनीत ढिल्लन खास प्रभावित नहीं करते हैं। आश्रिया मिश्रा (छुटकी), कबीर साजिद (कालिया), अद्विक जायसवाल (राजू) का काम सराहनीय है। ढोलू-भोलू के रोल में दिव्यम डावर, दैविक डावर चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं।