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Chamak Review: सुरों की कशिश और रोमांच की तपिश का बेहतरीन तालमेल, 'काला' के किरदार में बिखरी परमवीर की 'चमक'

Chamak Web Series Review चमक सही मायनों में एक म्यूजिकल थ्रिलर सीरीज है। इसका निर्देशन रोहित जुगराज ने किया है। सीरीज में मुख्य भूमिका परमवीर चीमा ने निभाई है जो ओटीटी स्पेस में सक्रिय हैं मगर उनके अभिनय की सही चमक इसी सीरीज में सामने आयी है। चमक सोनी लिव पर स्ट्रीम की गयी है। मनोज पाहवा और सुविंदर विक्की ने भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Manoj VashisthPublished: Wed, 06 Dec 2023 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2023 03:10 PM (IST)
चमक सीरीज सोनी लिव पर रिलीज हो गयी है। फोटो- सोनी लिव

एंटरटेनमेट डेस्क, नई दिल्ली। Chamak Web Series Review: गीत-संगीत के क्षेत्र में पंजाबी मिट्टी की खूशबू ही अलग रही है। यहां की कला और कलाकारों का जमीन से जुड़ाव होने की वजह से जो संगीत निकला, उसमें एक रूहानी एहसास हमेशा रहा है।

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यह बात अलग है कि फिल्मों में पंजाबी रैप की लोकप्रियता ने यहां के सूफियाना संगीत को सीमित कर दिया है। पंजाबी संगीत की इन दो धाराओं को अगर एक रोमांचक कहानी के साथ गूंथ दिया जाए तो बनती है सोनी लिव की नई सीरीज चमक, जो एक म्यूजिकल थ्रिलर है।

रोहित जुगराज निर्देशित सीरीज के पहले सीजन की कहानी एक लोकप्रिय गायक और उसकी पत्नी की लाइव परफॉर्मेंस के दौरान हत्या और सालों बाद उसके बेटे द्वारा अनजाने में उसकी पड़ताल शुरू करने के बारे में है। यह पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में होने वाली सुरों की सियासत, कारोबारी दुश्मनी, डिस्फंक्शनल फैमिली और ऑनर किलिंग जैसे मुद्दों को छूते हुए चलती है। 

'चमक' की सबसे बड़ी खूबी यह है कि कहानी अपने किरदारों के जरिए संगीत की कशिश से सुकून पहुंचाती है तो मर्डर मिस्ट्री और थ्रिल की तपिश से जकड़कर रखती है। 

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क्या है चमक की कहानी?

चमक की कहानी के केंद्र में कनाडा के वेंकूवर में अपने चाचा के साथ रहने वाला पंजाब का काला (परमवीर चीमा) है, जो वहां की जेल में किसी अपराध के लिए बंद है। संगीत उसकी नस-नस में है और मशहूर सिंगर बनना चाहता है। तिकड़मबाजी लगाकर छह महीने बाद पैरोल पर छूट जाता है।

काला जेल से निकलते ही सीधे अपनी कथित गर्लफ्रेंड के पास जाता है, जहां उसे एक गोरा युवक मिलता है। काला यह देख भड़क उठता है और युवक को इतना मारता है कि वो मरणासन्न हालत में पहुंच जाता है। गोरा युवक वेंकूवर के शैरिफ का बेटा है।

काला के पास अब कोई रास्ता नहीं है, सिवाय इसके कि वो भागकर इंडिया आ जाए। दोस्त टिड्डा की मदद से काला जाली पासपोर्ट और 'डंकी' तरीकों से पंजाब के मोहाली के पास स्थित अपने गांव पहुंच जाता है। टिड्डे की मदद से उसे स्थानीय बार में वैले (कार पार्क करने वाला स्टाफ) की नौकरी भी मिल जाती है।

काला के किरदार में परमवीर चीमा। (फोटो- सोनी लिव)

एक रात एक घटनाक्रम के बाद बार के बाहर उसका रैप बैटल एमसी स्क्वायर से हो जाता है। वीडियो वायरल होता है। इस बीच काला को पता चलता है कि वेंकूवर में जिस शख्स ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था, वो उसका पिता नहीं, चाचा है।

उसके माता-पिता तारा सिंह (गिप्पी ग्रेवाल) और नवप्रीत कौर हैं, जिन्हें 1999 में लाइव स्टेज परफॉर्मेंस के दौरान गोलियों से भून दिया गया था। यह केस कभी सुलझ नहीं सका।

इस केस की तफ्तीश करने वाले स्थानीय पत्रकार गुरपाल से उसे पिता के दोस्तों के बारे में पता चलता है, जो एक पुरानी तस्वीर में तारा सिंह के साथ हैं। काला अपने पिता के कातिल को ढूंढने और वजह का पता लगाने इन चारों के पीछे लगता है और इसके लिए जरिया बनाता है संगीत को, लेकिन इस सफर में उसके सामने कई मुश्किलें आने वाली हैं।

कैसा है चमक का स्क्रीनप्ले?

यह विडम्बना ही है कि संगीत और कला के क्षेत्र में इतना समृद्ध होने के बावजूद पंजाब में कलाकारों के खिलाफ अपराधों का भी इतिहास रहा है। 1988 में लीजेंड्री सिंगर अमर सिंह चमकीला की उनकी पत्नी के साथ गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गयी थी। पिछले साल सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी गोली मारकर कर दी गयी थी।

सीरीज के पहले एपिसोड की शुरुआत ऐसे ही एक घटनाक्रम से होती है। रोहित जुगराज ने चमक का कालखंड 1999 रखा है, जब सर्दी की एक सुबह पंजाब के एक गांव में लोकप्रिय गायक तारा सिंह और नवप्रीत कौर की सरेआम हत्या कर दी जाती है।

जैज के किरदार में ईशा तलवार। फोटो- सोनी लिव

काला की कहानी 2023 में ही दिखाई गई है। बीच-बीच में अतीत का सफर भी करती है। हालांकि, अतीत वाले हिस्से को कम ही रखा गया है। स्क्रीनप्ले का पूरा फोकस काला के अपने माता-पिता के कातिलों की खोज और इसकी वजह का पता लगने पर रखा गया है। इसी क्रम में सीरीज में दिलचस्प मोड़ आते हैं। 

तारा सिंह के साथ तीनों दोस्त बड़े आदमी बन चुके हैं। प्रताप ढिल्लो पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री का बेताज बादशाह है। बलवीर राजनीति का शातिर खिलाड़ी और पंजाब सरकार में हेल्थ मिनिस्टर है। जुगराज दिग्गज गायक है, जिसे लोगों से मिलना पसंद नहीं, मगर संगीत के तलबगार उससे मिलने को बेचैन रहते हैं। कभी ये सब तारा सिंह की छाया हुआ करते थे।

काला इन सभी तक पहुंचने के रास्ते बनाता है और इसके लिए वो किसी से झूठ बोल सकता है, प्यार को धोखा दे सकता है, प्यार का नाटक कर सकता है, लोगों को इमोशनली मैनिपुलेट कर सकता है।

प्रताप ढिल्लो के किरदार में मनोज पाहवा। फोटो- सोनी लिव

काला के हथकंडे कहानी का रोमांच कम नहीं होने देते। इस मुख्य कथ्य के साथ प्रताप ढिल्लों और उसके परिवार के इर्द-गिर्द कुछ सब प्लॉट्स भी हैं, जो चमक की कहानी की एकरूपता को तोड़ते हैं। खासकर, प्रताप के छोटे बेटे (मोहित मलिक) का समलैंगिक ट्रैक सामाजिक और पारिवारिक ताने-बाने का प्रतिनिधित्व करता है।

बीच-बीच में एमसी स्क्वायर और मिका सिंह समेत कई जाने-माने कलाकारों का कैमियो समां बांधे रखता है। काला, जिस तरह अपनी गायन प्रतिभा का इस्तेमाल इन सभी लोगों तक पहुंचने के लिए करता है, वे दृश्य दिलचस्प हैं। 

कैसा है कलाकारों का अभिनय?

काला के किरदार को परमवीर सिंह चीमा ने निभाया है, जो अमेजन मिनीटीवी की सीरीज इश्कयापा में लीड रोल में नजर आये थे, मगर परमवीर को काला के किरदार में देख हैरानी होती है।

इस किरदार के स्वभाव की अनिश्चितता, गुस्सा, संवेदनशीलता और भावनात्मक उतार-चढ़ाव को परमवीर ने सफलता के साथ जीया है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, परमवीर की अदाकारी से दर्शक बंधने लगता है। काला लव इंट्रेस्ट और संघर्षरत सिंगर जैज के किरदार में ईशा तलवार नेचुरल लगती हैं।

अन्य कलाकारों की बात करें तो प्रताप ढिल्लों के किरदार में मनोज पाहवा ने जान डाल दी है। इस किरदार के लिए जिस तेज और गतिशीलता की जरूरत थी, वो मनोज लेकर आते हैं। कोहरा से मशहूर हुए सुविंदर विक्की ने जुगराज की चुप्पी और रहस्य को बखूबी बयां किया है।

तारा सिंह के रोल में गिप्पी ग्रेवाल। फोटो- सोनी लिव

हालांकि, पहले सीजन में उनके हिस्से अधिक दृश्य नहीं आये हैं। प्रताप के प्रतिद्वंद्वी और काला को स्टार बनाने वाले निर्माता के किरदार में मुकेश छाबड़ा प्रभावित करते हैं। जुगराज की बेटी और उभरती गायिका लता के रोल में अकासा सिंह ठीक लगी हैं। तारा सिंह के किरदार में गिप्पी ग्रेवाल की संक्षिप्त भूमिका है, जिसमें वो जंचते हैं।

मन्ना सिंह के म्यूजिक ने सीरीज के संगीत की चमक बरकरार रखी है। कुल 28 गाने हैं, जिन्हें गिप्पी ग्रेवाल, मिका सिंह, मलकीत सिंह, एमसी स्क्वायर, अफसाना खान, असीस कौर, सुनिधि चौहान, कंवर ग्रेवाल, शाश्वत सिंह और हरजीत कौर ने आवाज दी है।

कहानी की रवानगी में जहां भी मौका मिला है, गीत और संगीत का सार्थक इस्तेमाल हुआ है, जिससे चमक के सही मायनों में म्यूजिकल थ्रिलर होने का एहसास बना रहता है। 

तारा सिंह के इंट्रोडक्शन सीन से लेकर काला के रैप बैटल मत मारी, पीर साहब के मेले में उसकी पहली परफॉर्मेंस, जुगराज का रियाज, उसकी बेटी लता के साथ काला का पहला गाना या काला के घर पर हाउस वार्मिंग पार्टी... ऐसे कई लम्हे आते हैं, जहां संगीत ने अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाई है। गीतों का सूफियाना टच सुकून देता है।

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कैसी है सीरीज 'चमक'?

पंजाबी भाषा में होने के बावजूद चमक हिंदी भाषी दर्शक को भी बांधकर रखती है। हालांकि, कुछ जगहों पर मुश्किल पंजाबी संवादों को स्क्रीन पर लिखकर समझाया गया है। इससे भाषा ना समझने की दिक्कत पैदा नहीं होती। कुछ किरदारों के संवादों में हिंदी मिश्रित हैं।

संगीत में दिलचस्पी रखने वालों के 'चमक' एक मुकम्मल सीरीज है। सीरीज दर्शक को बांधने में कुछ वक्त लेती है, मगर एक बार जुड़ गये तो चकाचौंध में खो जाएंगे। 


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