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    Albert Pinto Ko Gussa Kyon Aata Hai Movie Review: जानिए कितने स्टार मिले

    By Hirendra JEdited By:
    Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:23 AM (IST)

    Albert Pinto Ko Gussa Kyon Aata Hai Movie Review अगर आपको लीक से हटकर फिल्में देखना पसंद है सामाजिक सरोकार की फिल्में देखना पसंद है तो यह फिल्म देखने आप जा सकते हैं!

    Albert Pinto Ko Gussa Kyon Aata Hai Movie Review: जानिए कितने स्टार मिले

     -पराग छापेकर

    फिल्म- अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है (Albert Pinto Ko Gussa Kyoon Aata Hai)

    स्टारकास्ट: नंदिता दास, सौरभ शुक्ला, मानव कॉल आदि

    निर्देशक: सौमित्र रानाडे

    ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ यह नाम सुनते ही सबसे पहले हमें याद आते हैं नसरुद्दीन शाह! निर्देशक शहीद मिर्जा की 1980 में बनी यह फिल्म आम आदमी का सिस्टम के प्रति प्रति गुस्सा सामने लाने की कहानी है। इस बेहतरीन फिल्म के नाम से ही अब साल 2019 में आई है निर्देशक सौमित्र रानाडे की यह फिल्म! अब जब उन्होंने इस फिल्म का नाम वही रखा है तो ज़ाहिर है कुछ सोच-समझ कर ही रखा होगा।

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    इन दोनों ही फिल्मों में एक ही चीज कॉमन है कि जब कोई अपने फायदे के लिए एक आम आदमी का इस्तेमाल करता है तो वह अपने आप को हताश और बेबस ही पाता है। वह कितना ही गुस्सा कर ले उसके हाथ में कुछ भी नहीं! जाहिर तौर पर 2019 के मुताबिक फिल्म के ट्रीटमेंट में आज के हिसाब से बदलाव है, मगर मूल भावना वही है!

    यह कहानी है अल्बर्ट पिंटो की जो 1 दिन अचानक गायब हो जाता है और उसकी प्रेमिका और परिवार पुलिस स्टेशन के बार-बार चक्कर लगा रहा है ताकि उसे ढूंढा जा सके। अल्बर्ट पिंटो अपने पिता की आत्महत्या से दुखी है, जिनके ऊपर रिश्वत का झूठा आरोप लगा है। बहरहाल, इस दुनियादारी से दूर अल्बर्ट पिंटो 1 हिटमैन की तरह अपना पहला काम करने गोवा के लिए निकला है जहां उस घोटाले के जिम्मेदार दो लोगों को उसे मारना है जिसका शिकार उसका पिता हुआ है। इस यात्रा में उसके साथ है एक और हिटमैन- सौरभ शुक्ला।

    अभिनय की बात करें तो मानव कौल ने शानदार परफॉर्मेंस दिया है। इस किरदार में खेलने का बहुत स्कोप था और जिस का भरपूर फायदा मानव ने उठाया। नंदिता दास एक समर्थ अभिनेत्री हैं, वह जो भी करती हैं बेहतरीन ही करती हैं साथ ही सौरभ शुक्ला भी एक अलग अंदाज में नजर आते हैं।

    निर्देशक के तौर पर सौमित्र रानाडे दर्शकों तक उस मूल भावना को पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं जिसके लिए दोनों ही अल्बर्ट पिंटो जाने जाते हैं! फिल्म का ट्रीटमेंट उन्होंने बहुत ही अलग अंदाज में किया है जो सराहनीय है। नंदिता दास का किरदार जिस तरह से उन्होंने गढ़ा है यह प्रयोग अनोखा है।

    कुल मिलाकर अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है एक अच्छी फिल्म है। अगर आपको लीक से हटकर फिल्में देखना पसंद है, सामाजिक सरोकार की फिल्में देखना पसंद है तो यह फिल्म देखने आप जा सकते हैं!

    जागरण डॉट कॉम रेटिंग: पांच (5) में से तीन (3) स्टार

    अवधि: 100 मिनट