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    एक्टिंग ही नहीं खेल में रुचि रखते हैं आदित्य रावल, पिता परेश रावल की तरह एक्टिंग में कमाना चाहते हैं बड़ा नाम

    By Priti KushwahaEdited By: Priti Kushwaha
    Updated: Sat, 31 Dec 2022 10:32 AM (IST)

    19-20 साल की उम्र तक आते-आते पता नहीं कैसे मेरी पसंद बदल गई। मैंने स्क्रिप्ट लेखन व स्टेज पर एक्टिंग शुरू कर दी थी। मेरे दिमाग में आया कि अगर कोई चीज जीवन भर करनी है तो वो है एक्टिंग और लेखन।

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    Photo Credit : Aditya Rawal Instagram Photos Screenshot

    दीपेश पांडेय, मुंबई। दो साल पहले फिल्म बमफाड़ से हिंदी सिनेमा में कदम रखने वाले अभिनेता आदित्य रावल डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आज से उपलब्ध वेब सीरीज 'आर या पार' में नजर आएंगे। हंसल मेहता निर्देशित फिल्म 'फराज' का वह हिस्सा हैं। प्रख्यात अभिनेता परेश रावल के बेटे आदित्य अभिनय के साथ लेखन में भी रुचि रखते हैं। नव वर्ष से उम्मीदों, इस शो और अभिनय सफर को उन्होंने साझा किया...

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    नव वर्ष की योजनाओं और उम्मीदों के बारे में आदित्य कहते हैं, ‘बतौर एक्टर और लेखक मैं यही उम्मीद करता हूं कि अच्छे निर्देशकों के साथ काम करूं, कमाल की कहानियों का हिस्सा बनूं। हमारे पेशे की सबसे बड़ी खासियत है कि रोज नई चीजें सीखने को मिलती हैं। रोज एक नई दुनिया में गहराई में उतरना पड़ता है, नई भाषा और नए कौशल सीखने के अवसर मिलते हैं। मैं चाहूंगा कि मुझे चुनौतीपूर्ण रोल मिलते रहें। लेखन में भी ऐसा ही प्रयास होगा।

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    चुनौती भरा चरित्र

    आदित्य कहते हैं, ‘'आर या पार' में मेरा चरित्र सरजू आदिवासी समुदाय का हिस्सा है। मैं वास्तव में जैसा हूं, जिस दुनिया में रहता हूं, सरजू और उसकी दुनिया उससे बहुत अलग है। मुझे सरजू का सफर मजेदार और चुनौतीपूर्ण लगा। शूटिंग से पहले करीब डेढ़-दो महीने की तैयारी रही, जिसमें हमने भाषा शैली पर काम किया। चार पांच क्षेत्रीय भाषा शैलियों को मिलाकर इस आदिवासी समुदाय की बोली व लहजा गढ़ा गया है। चरित्र में ढलने के लिए तीरंदाजी सीखी व लुक पर काम किया।’

    अभिनय के अनुभव 

    आदित्य की पहली फिल्म 'बमफाड़' कुछ खास नहीं कर सकी, ऐसे में पहली फिल्म से मिली सीख पर वह कहते हैं, ‘बमफाड़ मेरी पहली फिल्म थी, जिसे हमने करीब 50 दिनों के शेड्यूल में कानपुर में शूट किया था। निर्देशक रंजन सिंह चंदेल की भी वह पहली फिल्म थी, हम सबने उससे बहुत कुछ सीखा। उसका ही परिणाम था कि आर या पार में मैं इस बात को लेकर काफी सजग था कि इसमें मेरा चरित्र क्या है, किस परिस्थिति में है और कहानी उससे क्या मांग रही है।’

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    खेलों की दुनिया से अभिनय की ओर बढ़े कदम 

    जीवन में 'आर या पार' वाली परिस्थितियों के बारे में आदित्य बताते हैं, ‘बचपन से ही खेलों में मेरी रुचि रही है। पहले मैं क्रिकेटर बनना चाहता था, फिर फुटबॉल खेलना शुरू कर दिया। खिलाड़ी के लिए मैच हो या ट्रेनिंग हमेशा आर या पार वाला ही समय होता है। 19-20 साल की उम्र तक आते-आते पता नहीं कैसे मेरी पसंद बदल गई। मैंने स्क्रिप्ट लेखन व स्टेज पर एक्टिंग शुरू कर दी थी। मेरे दिमाग में आया कि अगर कोई चीज जीवन भर करनी है तो वो है एक्टिंग और लेखन।’