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    Manav Kaul Interview: मानव कौल के करियर के 20 साल, ऐसे तय किया रंगमंच से डिजिटल तक का सफर

    By Jagran NewsEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sun, 23 Jul 2023 10:32 PM (IST)

    Manav Kaul Interview पापा हमारी जिंदगी का आधार हैं। अब मेरे पिता इस दुनिया में नहीं है। जमीन जब पांव के नीचे से खिसकती है तब आपको उसकी अहमियत समझ आती है। यह बहुत जरूरी है कि पिता हो या पिता समान कोई शख्स जो आपको वो वाला सपोर्ट सिस्टम दे सके। मैं थोड़ा जिद्दी इंसान हूं। मुझे लगता है कि मेरे पापा की यह बात मेरे अंदर आई है।

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    मानव कौल ने 20 साल में ऐसे तय किया रंगमंच से डिजिटल तक का सफर।

    अभिनेता मानव कौल अभिनय के हर माध्यम पर काम करना पसंद करते हैं। इंडस्ट्री में इस साल उन्होंने अपने करियर के 20 साल पूरे कर लिए हैं। मानव का कहना है कि वह अपनी गलतियों से सीखते हैं। रंगमंच से लेकर डिजिटल प्लेटफार्म तक सक्रिय मानव से बातचीत के अंश।

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    1. आप 20 साल से इस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। क्या बात है, जो इस सफर को खास बनाती है? 

    मुझे लगता है कि हमारी इंडस्ट्री में जो परफार्मिंग आर्ट का स्ट्रक्चर है, वह मुझे यहां काम करने के लिए उत्सुक करता है। प्रतिभावान और रचनात्मक लोगों से आपका आमना-सामना होता रहता है।

    मैं खुशकिस्मत हूं कि 20 साल से लगातार ऐसे लोगों से मिल रहा हूं, जो क्रिएटिव हैं। खासकर जो नए कलाकार मिलते हैं, जो अपने काम को लेकर बहुत जुनूनी होते हैं। उनकी ऊर्जा बहुत अच्छी लगती है। मुझे यह इंडस्ट्री और इसका सिस्टम पसंद है।

    2. इस काम को कितना जटिल मानते हैं?

    मैंने अपना पहला नाटक साल 1993 में किया था, तब से मैं इस कला का हिस्सा हूं। मैं लिखता हूं, निर्देशन करता हूं या एक्टिंग करता हूं, तो मैं यह नहीं देखता हूं कि मुझे किसी से कुछ सीखने को मिलेगा या नहीं। मैं सीखना नहीं चाहता हूं। मैं बहुत सारी चीजों को भूलना चाहता हूं।

    मैं इस तरह से नहीं जीता हूं कि मुझे कुछ सीखने को मिलेगा। हम सब जो काम कर रहे हैं, वह मिलकर करना होता है। दो अलग बैकग्राउंड के लोग कई बार मिलकर साथ सीन करते हैं, तो आखिर में वो सीन को बेहतर बनाने का ही प्रयास करते हैं। यह विशुद्ध कड़ी मेहनत होती है।

    हम अपना काम सीन बाय सीन करते हैं। हमें पूरी फिल्म का अंदाजा नहीं होता। यह बहुत मेहनत वाला काम है, जो लोगों को बाहर से बहुत ग्लैमरस दिखता है। हर काम के पीछे आपका सोच होता है कि उसे कैसे करना है, कैसे बनाना है।

    3. क्या इस सफर में कभी ऐसा लगा कि आपने किसी की सलाह अनसुनी करके ठीक किया?

    मैं कभी किसी की सुनता ही नहीं हूं। मुझे लगता है कि जब तक मैं गिरना नहीं जानूंगा, तब तक चलना और उड़ना नहीं सीख पाऊंगा। उसके लिए मुझे गिरना ही होगा। मैं सबसे यही कहता हूं कि मुझे गलती करने दो। एक जिंदगी जाया हो जाएगी कोई बात नहीं। इतने सारे लोग हैं, जो सफलता के पीछे भाग रहे हैं।

    मैं जाया हो जाऊंगा, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। यहां काम करने के बाद ही समझ पाएंगे कि आप यहां काम कर सकते हैं या नहीं। मैं उस काम को करके ही समझना चाहता हूं।

    4. काय पो छे फिल्म में आप सहयोगी कलाकार की भूमिका में थे। अब फिल्मों के पोस्टर पर होते हैं। संघर्ष लंबा रहा है? 

    मैंने संघर्ष नहीं किया है। मैंने ऐसा नहीं चाहा था कि काय पो छे फिल्म मुझे मिल जाए। एक दिन मैं अपनी फिल्म एडिट कर रहा था। मुझसे कहा गया कि आडिशन दे दो। मुझे अच्छा लगा, मैंने दे दिया। मैंने आज तक हर किरदार आडिशन से पाया है।

    ऐसा भी नहीं था कि मैं बैंक में काम करता था और मुझे किसी ने एक्टिंग में ले लिया। मैं फिल्म, नाटक वगैरह करता था, तो मैं एक्टिंग का ही हिस्सा हमेशा से ही था। अगर मैं कुछ और कर रहा होता और लीड रोल मिलता, तो लगता कि वाह मैंने इसके बारे में नहीं सोचा था।

    बहुत अच्छा लगता है कि किसी फिल्म या वेब सीरीज का भार मैं अपने कंधों पर उठा रहा हूं। खुश हूं कि लोग मुझे इतना कुछ दे रहे हैं। उन्हें मुझ पर भरोसा है कि यह इतना बोझ उठा लेगा।

    5. आपने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ट्रायल पीरियड में पापा की भूमिका निभाई थी। पापा की अहमियत किस तरह से समझ आई?

    वह हमारी जिंदगी का आधार हैं। अब मेरे पिता इस दुनिया में नहीं है। जमीन जब पांव के नीचे से खिसकती है, तब आपको उसकी अहमियत समझ आती है। यह बहुत जरूरी है कि पिता हो या पिता समान कोई शख्स जो आपको वो वाला सपोर्ट सिस्टम दे सके। मैं थोड़ा जिद्दी इंसान हूं। मुझे लगता है कि मेरे पापा की यह बात मेरे अंदर आई है।

    6. डिजिटल प्लेटफार्म पर आप काफी काम कर रहे हैं। यहां काम करने के क्या फायदे हैं?

    एक माध्यम के बढ़ जाने से मौके भी बढ़ जाते हैं। हमारे देश में कितने सारे प्रतिभाशाली लोग हैं। सबके लिए नौकरियां बढ़ जाती हैं। इसके साथ थिएटर और टीवी भी हैं। अलग-अलग चेहरे देखने को मिलते हैं, जो कमाल की बात है।

    7. आपने कब से रील्स बनाना सीख लिया?

    सच कहूं, तो मैं काफी समय तक इससे बचता रहा हूं। लेकिन फिर इसी का जमाना है। बच नहीं पाया, जेनेलिया (देशमुख) के साथ रील बना लिया। वैसे रील बनाने में उनका दिमाग खूब चलता है।