129 साल पहले बनी थी दुनिया की पहली हॉरर मूवी, 3 मिनट की फिल्म में दिखते हैं दिल दहला देने वाले सीन्स
आपने बड़े पर्दे पर 1920, राज और हॉन्टैड नाइट्स समेत तमाम हॉरर फिल्में देखी होंगी, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर हॉरर जॉनर की पहली नींव किसने रखी थी। आखिर वो कौन सी फिल्म है जिसमें पहली बार खौफनाक सीन्स दिखाकर दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिए गए थे। चलिए आपको दुनिया की पहली डरावनी फिल्म के बारे में बताते हैं।
दुनिया की पहली हॉरर मूवी। फोटो क्रेडिट- फेसबुक
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हॉरर जॉनर पसंद करने वालों ने द एक्सोर्सिस्ट, द कॉन्ज्यूरिंग, एनाबेल, 1920, हॉन्टैड और राज जैसी तमाम डरावनी फिल्में देखी होंगी। आज भी हॉरर फिल्मों का क्रेज खत्म नहीं हुआ है। स्त्री, मुंज्या और शैतान के बाद काजोल स्टारर मां (Maa) और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म निकिता रॉय (Nikita Roy) जैसी हॉरर मूवीज भी इसी महीने की 27 जून को रिलीज होने वाली हैं।
इन फिल्मों के अलावा और कई हॉरर मूवीज रिलीज की कतार में खड़ी हैं और बेशक दर्शक भी इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मगर क्या आपको पता है कि दुनिया की पहली हॉरर मूवी कौन सी है और आखिर कब रिलीज हुई थी।
129 साल पहले आई थी पहली हॉरर मूवी
आज हॉरर फिल्में हमारे रोंगटे खड़े करने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन कल्पना कीजिए कि 1896 में बनी एक तीन मिनट की फिल्म ने दर्शकों को कैसे मंत्रमुग्ध किया होगा। हम बात कर रहे हैं द हाउस ऑफ डेविल या द हॉन्टेड कैसल (Le Manoir du Diable) है जो फ्रांसीसी फिल्म निर्माता जॉर्जेस मेलियस ने बनाया था।
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Photo Credit - IMDb
सिर्फ 3 मिनट था फिल्म का रन टाइम
जॉर्जेस मेलियस को अक्सर सिनेमा के जादूगर के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी फिल्मों में विशेष प्रभावों का इस्तेमाल करना शुरू किया, जो उस समय के लिए बिल्कुल नया था। द हाउस ऑफ डेविल उनकी इसी किएटिवनेस का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह फिल्म सिर्फ तीन मिनट की है, लेकिन उस छोटे से समय में भी मेलियस ने दर्शकों को डराने और हैरान करने के लिए कई तरकीबें अपनाईं।
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क्या थी फिल्म की कहानी?
हॉरर फिल्म एक बड़े चमगादड़ के साथ शुरू होती है जो एक शैतान में बदल जाता है। यह शैतान एक रहस्यमय महल में घूमता है, जहां वह भूत, कंकाल और चुड़ैलों को बुलाता है। उस समय के दर्शकों के लिए ये दृश्य बेहद चौंकाने वाले और रहस्यमयी रहे होंगे। मेलियस ने स्टॉप-मोशन, मल्टीपल एक्सपोजर और स्टेज मैजिक जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया, जिससे चीजें अचानक गायब हो जाती थीं और फिर से प्रकट हो जाती थीं। ये प्रभाव आज भले ही सामान्य लगें, लेकिन 1896 में ये किसी जादू से कम नहीं थे। इस फिल्म को दुनिया की पहली वैम्पायर मूवी भी कहा जाता है।
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