आखिर क्यों गुरुदत्त ने तुड़वा दिया था अपना पाली हिल वाला बंगला? आंखों में आंसू भर देखती रह गईं थीं गीता दत्त
साल 1956 में गुरुदत्त अपनी पत्नी गीता दत्त और बच्चों के साथ 48 पाली हिल में रहने के लिए आ गए। तीन बीघा में फैले इस बंगले को सजाने के लिए उन्होंने कश्मीर से लकड़ियां मगवाईं बाथरूम के लिए इतालवी मार्बल आए।
"ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है..."
नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्म 'बाजी' के गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान गुरुदत्त की गीता दत्त से निगाहें टकराईं। पर दोनों में कोई समानता नहीं थी। गीता शौहरत की बुलंदियों पर थीं, तो गुरुदत्त अपनी पहचान तलाश रहे थे। गीता दत्त बिलकुल गुरुदत्त की फिल्मों जैसी थीं डार्क और ब्यूटीफुल। दोनों ने तीन साल के प्रेम के बाद 1953 में शादी कर ली। इनके तीन बच्चे हुए। जाने कब गीता-गुरु में दूरियां आ गईं। गुरुदत्त को जानने वालों की मानें तो रिश्ते में किसी तीसरे की मौजूदगी से ज्यादा, दोनों में अहम का टकराव था।
क्या थी गीता-गुरु के बीच अलगाव की वजह!
गीत की बेपनाह मोहब्बत के बाद भी गुरुदत्त के जीवन में जाने कौन सा कोना खाली रह गया था जिसे वहीदा रहमान ने भरा। वहीदा जानती थीं कि गुरुदत्त शादीशुदा हैं, इस रिश्ते में आगे बढ़ने का मतलब गुरुदत्त और गीता का घर तोड़ना होगा, इसलिए इस संबंध को उन्होंने कभी नहीं स्वीकारा। दूसरी तरफ गीता के मन में पति के जाने का डर इतने गहरे तलक बस गया था कि उन्होंने फिल्मों में वहीदा के लिए गाना तक बंद कर दिया।
गीता की नजरों के सामने तुड़वा दिया था बंगला
गीता किसी भी हाल में वहीदा रहमान को स्वीकारने को तैयार नहीं थीं। वो अपनी आवाज तक वहीदा को नहीं देना चाहती थीं भले ही वो फिल्मों में ही क्यों ना हो। गुरुदत्त के बारे में कहा जाता है कि वो घर फूंक तमाशा देखने वाले फिल्मकार थे। ऐसी ही 1963 की एक शाम को करीब चार बजे, अपने पाली हिल वाले बंगले के बाहर गीता दत्त को कुछ तोड़ने की आवाज सुनाई दी। उन्हें बाहर जा कर देखा तो कुछ लोग उनके बंगले को तोड़ने में लगे हुए थे।
घबराई हुई गीता दत्त ने जब पति को फोन करके बताया कि लोग बंगले को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं तो गुरु दत्त ने जवाब दिया"... तोड़ने दो, मैंने उन्हें तोड़ने का हुक्म दिया है"। ये वहीं बंगला था जिसे गुरुदत्त ने इतने शौक से बनवाया था।
गीता को ठहराया था दोषी
अपनी किताब ‘बिछड़े सभी बारी बारी’ में मशहूर बंगाली लेखक बिमल मित्रा ने जिक्र किया है कि जब उन्होंने गुरुदत्त से बंगला तोड़ने का कारण पूछा था, तो जवाब दिया, गीता की वजह से। हैरानी से जब बिमल दा ने गुरु को देखा तो उन्हें सिगरेट का लंबा कश लेकर जवाब दिया "घर ना होने की तकलीफ से घर होने की तकलीफ और भयंकर होती है, ये आप जानते हैं"।
फिर कभी नहीं उठा वो महान फिल्मकार
फिर आई वो 10 अक्टूबर 1964 की काली रात जिस रात के काले अंधेरों के आगोश में गुरुदत्त मौत की नींद सो गए थे। उस रात उन्होंने जमकर शराब पी थी, इतनी उन्होंने पहले कभी नहीं पी थी। गीता से फोन पर नोकझोंक हुई। काफी ज्यादा नींद की गोलियां खाने के बाद उस रात जो गुरुदत्त सोए तो कभी नहीं उठे। बस यही याद