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    दिल्ली के रीगल सिनेमा में जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने देखी थी गुरु दत्त की 'कागज के फूल', टीचर्स डे पर वायरल हुई तस्वीर

    By Manoj VashisthEdited By:
    Updated: Mon, 05 Sep 2022 04:42 PM (IST)

    Dr Sarvepalli Radhakrishnan Watched Kaagaz Ke Phool कागज के फूल भारतीय सिनेमा की कल्ट क्लासिक मानी जाती है। हालांकि यह वही फिल्म है जिसने गुरु दत्त को बर्बाद कर दिया था। फिल्म को समीक्षकों ने बेहद खराब रिव्यूज दिये थे।

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    When Dr Sarvepalli Radhakrishnan Watched Gutu Dutt Kaagaz Ke Phool. Photo Credit- NFAI/Twitter

    नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर में कई फिल्ममेकर्स ऐसे हुए, जिन्होंने वक्त से आगे का सिनेमा रचा और गढ़ा। उनकी फिल्में 50 के दौर में जितनी सामयिक थीं, उतनी ही अहमियत आज भी है। ऐसे ही फिल्मकारों में नाम लिया जाता है गुरु दत्त का। आजादी के सिर्फ छह साल बाद 1951 में बाजी से अपने निर्देशकीय करियर की शुरुआत करने गुरु दत्त ने हिंदी सिनेमा को कागज के फूल और प्यासा जैसी फिल्मों दी हैं, जो आज भी अपनी सिनेमाई वैल्यू के लिए जानी जाती हैं और सिनेमा के विद्यार्थी इन फिल्मों को क्राफ्ट की गहराई समझने के लिए देखते हैं।

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    फिल्ममेकिंग के स्टूडेंट्स के लिए 'मास्टर क्लास' कागज के फूल से देश के दूसरे राष्ट्रपति और शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से भी गहरा संबंध है, जिनका जन्म दिवस 5 सितम्बर को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। गुरु दत्त की कागज के फूल और डॉ. राधा कृष्णन के बीच संबंध दिखाने वाली तस्वीर आज टीचर्स डे के मौके पर ट्विटर पर सर्कुलेट हो रही है।  

    रीगल सिनेमा में हुई थी स्क्रीनिंग

    यह तस्वीर 25 सितम्बर, 1959 की है, जब कागज के फूल की स्क्रीनिंग दिल्ली के रीगल सिनेमा हॉल में आयोजित की गयी थी और खुद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन इसमें शामिल हुए थे। तस्वीर में गुरु दत्त, डॉ. राधाकृष्णन का स्वागत करते नजर आ रहे हैं। 

    कागज के फूल से जमीन पर आ गये थे गुरु दत्त

    एक जनवरी 1959 को रिलीज हुई कागज के फूल में गुरु दत्त और वहीदा रहमान ने मुख्य भूमिकाएं निभायी थीं। इस फिल्म को भारतीय सिनेमा में तकनीकी रूप से एक क्रांति के रूप में जाना जाता है। खासकर, सिनेमैटोग्राफी के क्षेत्र में कागज के फूल मील का एक पत्थर की तरह है। फिल्म को 80 के दौर में दुनिया की कल्ट क्लासिक फिल्मों की लिस्ट में शामिल किया गया था। दिलचस्प बात यह कि रिलीज के कई साल बाद कल्ट क्लासिक बनी कागज के फूल क्रिटिकली और कमर्शियली फ्लॉप रही थी। इस फिल्म की नाकामयाबी ने गुरु दत्त को बर्बाद करके रख दिया था। इसके बाद गुरु दत्त ने बतौर निर्देशक कोई फिल्म नहीं की।

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    कागज के फूल एक कामयाब फिल्ममेकर के आसमान से जमीन पर गिरने की कहानी है। फिल्म में गुरु दत्त ने फिल्म निर्देशक और वहीदा रहमान ने फिल्म स्टार का किरदार निभाया था। कागज के फूल का स्क्रीनप्ले अबरार अल्वी ने लिखा था। संगीत एसडी बर्मन का था और गीत कैफी आजमी ने लिखे थे। फिल्म में कुमारी नाज, महमूद और जॉनी वॉकर ने भी अहम किरदार निभाये थे।

    बाल्की ला रहे हैं थ्रिलर फिल्म चुप

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    गुरु दत्त और कागज के फूल की क्रिटिकल फेल्योर से प्रेरित होकर आर बाल्की ने चुप रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट फिल्म बनायी है, जो एक मर्डर मिस्ट्री और थ्रिलर है। इस फिल्म में सनी देओल, दुलकर सलमान, पूजा भट्ट और दुलकर सलमान लीड रोल्स में हैं। फिल्म का ट्रेलर 5 सितम्बर को रिलीज किया गया है। चुप 23 सितम्बर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। फिल्म में गुरु दत्त और कागज के फूल की फुटेज और संगीत का भी इस्तेमाल किया गया है।