Dilip Kumar ने पिता की पिटाई के डर से बदला था फ़िल्मों में नाम, 50 साल पहले इंटरव्यू में ख़ुद किया था खुलासा
नाम बदलने का सवाल दिलीप साहब के सामने उन तमाम पुराने इंटरव्यूज़ में भी आता रहा है और उन्होंने इसकी असल वजह का खुलासा भी किया। 1970 में दिलीप कुमार ने अपना फ़िल्मी नाम दिलीप कुमार रखने की बड़ी दिलचस्प वजह बतायी थी।

नई दिल्ली, जेएनएन। अपनी अदाकारी से भारतीय सिनेमा को परिभाषित करने वाले आला अदाकार दिलीप कुमार के नाम को लेकर भी कई कहानियां प्रचलित हैं कि मुहम्मद यूसुफ़ ख़ान दिलीप कुमार क्यों बने? यह सवाल दिलीप साहब के सामने उन तमाम पुराने इंटरव्यूज़ में भी आता रहा है और उन्होंने इसकी असल वजह का खुलासा भी किया। 1970 में दिलीप कुमार ने अपना फ़िल्मी नाम दिलीप कुमार रखने की बड़ी दिलचस्प वजह बतायी थी।
इस इंटरव्यू में दिलीप कुमार से जब यह सवाल पूछा जाता है तो लीजेंड्री एक्टर पहले हंसते हैं और फिर कहते हैं- हक़ीक़त बताऊं... पिटाई के डर से मैंने यह नाम रखा। मेरे वालिद फ़िल्मों के सख़्त मुख़ालिफ़ थे और उनके अज़ीज़ दोस्त लाला बशेश्वर नाथ थे, जिनके साहबज़ादे पृथ्वीराज कपूर भी फ़िल्म एक्टिंग किया करते थे। वो अक्सर बशेश्वर नाथ जी से बड़ी शिकायत करते थे कि तुमने यह क्या कर रखा है कि तुम्हारा इतना सेहतमंद और नौजवान लड़का (पृथ्वीराज कपूर) क्या काम करता है। तो जब मैं फ़िल्मों में आया... तो मुझे वो तनक़ीद और... पठान आदमी थे, गुस्सावर आदमी थे। उनका ख़ौफ़ भी था कि जब इनको मालूम होगा तो नाराज़ भी बहुत होंगे। उस वक़्त दो-तीन नाम सामने रखे गये- यूसुफ़ ख़ान नाम रखा जाए या दिलीप कुमार रखा जाए या वासुदेव रखा जाए...तो मैंने ज़ाती तौर पर कहा कि यूसुफ़ ख़ान मत रखिए, बाक़ी जो दिल में आये रख दीजिए। दो-तीन महीनों बाद जब मैंने इश्तेहार में देखा तो मालूम हुआ कि मेरा नाम दिलीप कुमार तजवीज़ किया गया।
दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसम्बर 1922 को पेशावर के क़िस्सा ख़्वानी बाज़ार में हुआ था। दिलीप कुमार के पिता का नाम लाला गुलाम सरवर ख़ान था और उनकी मां का नाम आएशा बेगम था। राज कपूर उनके बचपन के दोस्त थे। दिलीप कुमार ने 1944 में आयी फ़िल्म ज्वार भाटा से बतौर अभिनेता अपना करियर शुरू किया था, मगर बड़ी कामयाबी 1947 में आयी फ़िल्म जुगनू से मिली थी, जिसमें नूरजहां उनकी हीरोइन थीं।
Any idea of when and where was this photo clicked? -FF pic.twitter.com/xyzgcrDWXx
— Dilip Kumar (@TheDilipKumar) June 12, 2021
इसके बाद 1948 में आयीं शहीद और मेला ज़बरदस्त हिट रही थीं। राज कपूर के साथ दिलीप कुमार ने 1949 में अंदाज़ फ़िल्म की थी, जिसमें नर्गिस फीमेल लीड थीं। वहीं, पृथ्वीराज कपूर के साथ दिलीप कुमार ने हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फ़िल्म मुग़ले-आज़म दी। इस फ़िल्म में पृथ्वीराज शहंशाह अकबर और दिलीप कुमार शहज़ादा सलीम के रोल में थे। मधुबाला ने अनारकली का किरदार निभाया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।