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    पश्चिम बंगाल की सरकार ने लिया बड़ा फैसला, अब वहां के हर सिनेमाघरों के मालिकों के लिए ये काम करना अनिवार्य

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 10:12 PM (IST)

    बॉलीवुड को छोड़ अब रीजनल सिनेमा देखने की ओर दर्शक ज्यादा दौड़ रहे हैं। यही वजह है कि कांतारा और महावतार नरसिम्हा जैसी फिल्मों को पहले रीजनल भाषा और फिर पैन इंडिया ऑडियंस के लिए रिलीज किया गया। अब हाल ही में अपने सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए बंगाल सरकार ने भी एक बड़ा फैसला लिया है।

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    पश्चिम बंगाल सरकार ने लिया बड़ा फैसला/ फोटो- Instagram

    एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। रीजनल फिल्मों के प्रति दर्शकों का रूझान किस कदर बढ़ रहा है, इस बात का अंदाजा आप कांतारा, महावतार नरसिम्हा, पुष्पा और अन्य फिल्मों की सफलता से लगा सकते हैं। कई ऐसी फिल्में हैं, जो पहले रीजनल भाषा में रिलीज होती हैं और उसके बाद जब मूवी का क्रेज बढ़ता है, तो मेकर्स उसे हिंदी से लेकर पैन इंडिया ऑडियंस के लिए रिलीज करते हैं। 

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    साउथ सिनेमा के बाद अब बंगाली फिल्मों को प्रमोट करने के लिए पश्चिम बंगाल की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जो उनके सिनेमा के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। 

    पश्चिम बंगाल के थिएटर्स ओनर को करना पड़ेगा ये काम 

    एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक, पश्चिम बंगाल सरकार ने बुधवार को राज्य के सभी सिनेमाघरों में प्राइम टाइम में वहां की रीजनल फिल्मों को दिखाना अनिवार्य कर दिया है। प्राइम टाइम दिन में 3 बजे से लेकर रात को 9 बजे तक का समय होता है, जहां सबसे अधिक ऑडियंस थिएटर में आती हैं। सरकार ने इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए कहा है। 

    वेस्ट बंगाल की सरकार के एक पत्र के मुताबिक, हर सिनेमाहॉल की हर स्क्रीन पर,राज्य में जितने भी मल्टीप्लेक्स हैं उसमें 365 डेज प्राइम टाइम शो स्क्रीनिंग में पूरे साल बंगाली फिल्मों को दिखाना अनिवार्य है। साल के 365 दिन में एक बंगाली फिल्म थिएटर में चलाने का सरकार ने आदेश दिया है। 

    बंगाली फिल्मों का बढ़ेगा एक्सपोजर

    इस नोट में ये साफ तौर पर लिखा हुआ है कि मल्टीप्लेक्स और सिंगल थिएटर सभी को हर दिन प्राइम टाइम में एक स्लॉट बंगाली फिल्मों का रखना ही है। ऑफिशियल ने अपने बयान में आगे कहा, "ये निर्णय राज्य सरकार के रीजनल सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए काफी समय से लिया गया है। वह इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बंगाली सिनेमा को वह एक्सपोजर मिले और साथ ही अपने ही राज्य में कमर्शियल अवसर मिले"। 

    नोट में यह भी मेंशन किया गया है कि नए निर्देशों के अनुरूप पश्चिम बंगाल सिनेमा नियम 1956 में संशोधन ठीक समय पर किया जाएगा।