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जब तक ज़िंदा रहूंगा, साफ-सुथरी और पारिवारिक कॉमेडी ही करूंगा: जॉनी लीवर

Coolie Number 1 साल 1995 में रिलीज हुई गोविंदा अभिनीत फिल्म कुली नंबर 1 की रीमेक फिल्म है। मूल फिल्म में इंस्पेक्टर का किरदार टीकू तलसानिया ने निभाया था। यह फिल्म 25 दिसंबर को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही है।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 03:58 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 07:06 PM (IST)
जब तक ज़िंदा रहूंगा, साफ-सुथरी और पारिवारिक कॉमेडी ही करूंगा: जॉनी लीवर
जॉनी लीवर कुली नम्बर 1 में हैं। फोटो- मिड-डे

दीपेश पांडेय, मुंबई। करीब साढ़े तीन दशक से हिंदी सिनेमा में अपनी लाजवाब कॉमेडी से लोगों का मनोरंजन करने वाले जॉनी लीवर अब फिल्म कुली नंबर 1 में इंस्पेक्टर जगजीत गोड़बोले का किरदार निभा रहे हैं। यह फिल्म साल 1995 में रिलीज हुई गोविंदा अभिनीत फिल्म कुली नंबर 1 की रीमेक फिल्म है। मूल फिल्म में इंस्पेक्टर का किरदार टीकू तलसानिया ने निभाया था। यह फिल्म 25 दिसंबर को अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो रही है। जॉनी का मानना है कि गालियों और द्विअर्थी हंसी-मजाक दो लोगों के बीच होते हैं, जनता के बीच कॉमेडी करने के लिए नहीं:

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इस फिल्म का प्रस्ताव मिलने के बाद आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?

डेविड धवन जी मेरे बहुत अच्छे दोस्त होने के साथ जाने-माने निर्देशक हैं। फिल्म का प्रस्ताव सुनकर मैंने कहा कि टीकू तलसानिया जी ने पहली फिल्म में यह किरदार निभाया था, यह किरदार भी उन्हें ही निभाना चाहिए। शायद टीकू जी व्यस्त थे या कोई और मामला था, इसके बारे में मुझे नहीं पता। फिर डेविड जी के कहने पर मैंने यह किरदार स्वीकार कर लिया।

किरदारों के चयन में अब आपकी प्राथमिकताएं कितनी बदली हैं?

मेरे साथ काम कर चुके सभी निर्देशकों को पता है कि जॉनी लीवर क्या है और किस किरदार में फिट बैठता है। डेविड धवन नामचीन जैसे निर्देशकों से मैं स्क्रिप्ट की बात ही नहीं करता, मुझे पता है कि वो मेरे लिए अच्छा ही लिखेंगे। फिर भी हमारी दोस्ती इतनी अच्छी है कि वह मुझे स्क्रिप्ट सुनाते हैं। लेकिन नए और अनजाने निर्देशकों की स्क्रिप्ट बहुत ध्यान से पढ़ता हूं। उन्हें स्वीकार करने में पूरी सावधानी बरतता हूं।

मूल फिल्म से रीमेक फिल्म की तुलना स्वाभाविक है, क्या शूट करते वक्त भी यह चीजें दिमाग में थी?

तुलना तो होगी ही। इस फिल्म में वक्त के साथ कुछ बदलाव भी किए गए हैं। इसमें मैं, वरुण, और परेश भाई (परेश रावल) समेत सभी कलाकार मूल फिल्म से थोड़ा-बहुत अलग ही दिखेंगे। डेविड की कोशिश है कि जिन्होंने पुरानी कुली नंबर 1 देखी है, उनको भी इस फिल्म में कुछ नया दिखे। डेविड ने ही दोनों फिल्मों का निर्देशन किया है। लिहाजा लोगों में उत्सुकता होगी कि जिस व्यक्ति ने गोविंदा से इतना अच्छा काम कराया, उसने अपने बेटे से कैसा काम लिया है।

आपने गोविंदा और वरुण दोनों के साथ काम किया है, दोनों के व्यक्तित्व में क्या खासियत दिखी?

मैंने गोविंदा के साथ बहुत सी फिल्मों में काम किया है। गोविंदा और वरुण की तुलना करना सही नहीं है। गोविंदा एक शानदार कलाकार हैं और वरुण धवन का भी अपना एक अलग अंदाज है। दोनों अपने-अपने समय के बेहतरीन डांसर हैं। सेट पर मैंने देखा कि डेविड धवन के संतुष्ट होने के बावजूद वरुण अपनी तरफ ज्यादा टेक देते थे। वह अपने पिता से कहते कि डैडी एक और टेक, इसमें मैं और भी अच्छा करुंगा। वरुण के मन में भी चलता रहता था कि इस फिल्म को गोविंदा ने किया। मैं उनसे अच्छा करूं या न करूं, लेकिन इस किरदार में बुरा तो नहीं लगना चाहिए।

वक्त के साथ कॉमेडी के प्रति दर्शकों की दिलचस्पी किस तरह बदली है? आपने खुद में क्या बदलाव किए?

आज दर्शक कॉमेडी में अपने आस-पास की चीजें अपनी भाषा में देखना चाहते हैं। कलाकारों को उन पर अपनी भाषा थोपने की जरूरत नहीं। वक्त की हवा के साथ कलाकार को घुलना होता है और उसी भाषा में बात करना होता है। मौजूदा दौर में भाषा का बहाना लेकर कई लोग कॉमेडी में गालियां और दोहरे अर्थ वाले शब्द भी प्रयोग करते हैं। मुझे भी इस तरह के ऑफर मिलते हैं, लेकिन मैं इस तरह की कॉमेडी से दूर रहता हूं। भाषा तो ठीक है, लेकिन मैं कभी अपनी शैली में इस तरह का बदलाव नहीं करुंगा। दोहरे अर्थ वाले शब्द चुपके से दो लोगों की मजाक-मस्ती में सुने जाते हैं, मैं जनता के सामने ऐसे शब्द बोलना नहीं पसंद करता। मैं जब तक जिंदा रहूंगा साफ-सुथरी और पारिवारिक कॉमेडी ही करुंगा।

कभी अपनी कॉमेडी अभिनेता की छवि बदलने की कोशिश नहीं की?

मैंने कभी ऐसी कोशिश नहीं की। अगर कोई मुझसे किसी अच्छे प्रोजेक्ट में कॉमेडी से अलग कुछ करवाना चाहे तो मैं जरूर करूंगा। (मुस्कुराते हुए) लेकिन स्क्रीन पर लोग मुझे देखते ही हंसने लगते हैं, वे मेरे चेहरे को किसी गंभीर किरदार में स्वीकार ही नहीं करते। कॉमेडी करते हुए बीच में मैं थोड़ी देर के लिए गंभीर हो जाऊं तो अच्छा लगता है। लेकिन मैं पूरी तरह से गंभीर किरदार किसको दिखाने के लिए करुं? गंभीर किरदारों के लिए बहुत अच्छे-अच्छे कलाकार इंडस्ट्री में हैं। फिर मैं बेवजह क्यों इन चीजों में जाऊं?

पहले फिल्मों में नायक के साथ कॉमेडी के लिए अलग किरदार होते थे, अब ऐसे किरदार गायब होते जा रहे हैं..

हां, यह समय का पहिया है और मुझे लगता है कि सिनेमा में कॉमेडी किरदारों के लिए वह दौर घूम के फिर आएगा। बदलाव तो आते रहता हैं, यह भी एक बदलाव है। इंडस्ट्री में किसी एक सशक्त कॉमेडियन के आने से वह दौर फिर से लौट सकता है।


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