प्रेम में सम्मान करने का संदेश देता है 'इला-अरुण' नाटक, दिल्ली के अक्षरा थिएटर में हुआ मंचन
वेलेंटाइन वीक मोहब्बत का जश्न मनाने का मौका होता है। किसी भी रिश्ते के लिए जो भाव सबसे जरूरी है वो है प्रेम। प्रेम के बिना रिश्ते चलते तो हैं मगर हर-भरे नहीं रहते। खासकर ऐसे रिश्ते जिनमें एक-दूसरे के लिए सम्मान की भी दरकार होती है। इला-अरुण नाटक के जरिए भावनाओं के इसी उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है जिसका मंचरन दिल्ली के एक थिएटर में हुआ।

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। किसी भी रिश्ते की बुनियाद प्रेम होता है। जहां प्रेम होता है, वहां सम्मान भी जगह पाता है। इसी भाव को इला-अरुण नाटक के जरिए दर्शाया गया, जो दिल्ली के एक थिएटर में हुआ इस नाटक का मंचन जागरण फिल्म फेस्टिवल के पार्टनर सेतान थिएटर ग्रुप की ओर से किया गया।
दिल्ली के मशहूर अक्षरा थिएटर में सेतान थिएटर ग्रुप ने अपने नाटक इला-अरुण का मंचन किया। नाटक में बहुत सी बातें खामोशियों में कही गईं, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
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इला-अरुण की कहानी आज के दौर से कहीं अलग है, जहां प्रेम में एक दूसरे की बातों का सम्मान रखा जाता है। नाटक जहां शुरुआत से दर्शकों को श्रृंगार रस और हास्य रस में ले जाता है। वहीं नाटक के खत्म होते-होते दर्शक को करुणा रस से भर देता है।

इला अरुण नाटक की कहानी स्वाति और रजनीश ने लिखी है, जबकि निर्देशन रजनीश ने किया। नाटक में स्वातिक, रजनीश, शगुन, संकल्प, अम्बर, देव, तनिश्क़, दीपान्शु, शिवम, शुभम, मुकुल, वैभव, मुद्रा, सुकीर्ति ने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं।

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