बहुत मायने रखती है वर्ष 1983 की वह जीत, क्योंकि उस समय किसी ने विश्व कप की उम्मीद नहीं की थी
मदनलाल को रिचर्ड्स की ओर से तीन बाउंड्री पड़ी थीं। वह फिर भी गेंदबाजी करना चाहता था। मैंने बोला मंदीपा आप थोड़ा आराम करो लेकिन वह नहीं माने और बोले कि मुझे गेंद दे दो मैं रिचड्र्स को आउट करूंगा। वह मुझसे गेंद छीनने लगे।
अभिषेक त्रिपाठी, मुंबई। अगर आज क्रिकेट भारत का सबसे बड़ा खेल है, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है और हमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे स्टार मिले तो उसके पीछे सिर्फ एक वजह है 25 जून 1983। इसी दिन कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने ब्रिटेन के लॉर्ड्स स्टेडियम में चैंपियन वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर पहली बार विश्व कप जीता था। इस विजय गाथा पर बनी फिल्म ‘83’ आज रिलीज हो रही है। उस ऐतिहासिक जीत को आज के संदर्भों में रेखांकित कर रहे हैं अभिषेक त्रिपाठी...
बहुत मायने रखती है वर्ष 1983 की वह जीत, क्योंकि उस समय किसी ने भी भारत के विश्व कप जीतने की उम्मीद नहीं की थी। तब भारतीय टीम ने दो बार की विश्व चैंपियन क्लाइव लायड की टीम को फाइनल में हराकर देश को ऐतिहासिक लम्हे को जीने का अनुभव दिया था। हाकी टीम के बाद भारत के लिए यह ऐसा अनमोल लम्हा था जब हर भारतीय खुद को विश्व चैंपियन मान रहा था। कपिल देव, सुनील गावस्कर,के. श्रीकांत, संदीप पाटिल, मोहिंदर अमरनाथ, रोजर बिन्नी, कीर्ति आजाद, यशपाल शर्मा, मदन लाल, सैयद किरमानी और बलवीर संधू की टीम ने सर क्लाइव लायड, सर विवियन रिचड्र्स की टीम को विश्व कप की खिताबी हैट्रिक लगाने से रोक दिया। 184 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी स्टइंडीज की टीम 140 रन पर आलआउट हो गई।
कपिल देव की मुस्कान:
उस खूबसूरत समय को बीते हुए 38 साल हो गए हैं, लेकिन जब भी आप क्रिकेट की बात करेंगे तो कपिल का लाड्र्स की बालकनी में मुस्कुराते हुए विश्व कप ट्राफी लिए चेहरा याद आ जाएगा। तब शायद किसी को पता नहीं था कि कपिल की वह मुस्कुराहट देश में क्रिकेट की खिलखिलाहट का सबब बनेगी। ये उनकी ही बनाई नींव थी कि भारतीय टीम ने 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 में दोबारा वनडे विश्व कप जीता। भारत ने इस दौरान दो बार आइसीसी चैंपियंस ट्राफी भी अपने नाम कीं।
तय किया लंबा सफर:
1983 विश्व कप विजेता को पुरस्कृत करने के लिए बीसीसीआइ के पास धन नहीं था और इसके लिए उसे सुरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का कंसर्ट करवाना पड़ा था। उससे हुई कमाई से हर खिलाड़ी को एक-एक लाख रुपये दिए गए थे, वहीं 2011 विश्व कप जीतने वाली टीम के हर सदस्य को बीसीसीआइ ने दो-दो करोड़ सम्मान राशि दी। तनख्वाह की बात की जाए तो उस समय भारतीय खिलाड़ियों को 1500 रुपये मैच फीस और 200 रुपये प्रति दिन भत्ता मिलता था।
समय के साथ बदली तस्वीर:
आज बीसीसीआइ दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन चुका है। अब बोर्ड से केंद्रीय अनुबंध के तहत ए-प्लस ग्रेड वाले खिलाड़ियों को सालाना सात करोड़ रुपये मिलते हैं। इस श्रेणी में विराट कोहली, रोहित शर्मा और जसप्रीत बुमराह सहित तीन खिलाड़ी हैं। मैच फीस और भत्ता अलग हैं। हाल में बीसीसीआइ ने दो नई आइपीएल टीमें 12,725 करोड़ रुपये में बेची हैं। बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली ने उम्मीद जताई है कि 2023 से 2027 तक के आइपीएल के प्रसारण करार के जरिये बोर्ड को 40,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी। बीसीसीआइ को पिछली बार आइपीएल के पांच साल के प्रसारण करार से 16,347 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।
मैं आज राष्ट्रीय चैनल पर विशेषज्ञ के तौर पर जाता हूं। हमारी सफलता काफी अहम थी और अगली नस्ल को इसका फायदा मिला, जिससे मैं खुश हूं। मैल्कम मार्शल के साथ तो मेरी एक डील थी। वह आते ही मुझे एक बाउंसर देते थे।
मदन लाल
1983 विश्व कप का सेमीफाइनल था। मेरे साथ यशपाल शर्मा बल्लेबाजी कर रहे थे। यशपाल सुनते सबकी थे, लेकिन करते अपने मन की थे। उन्होंने तीनों विकेट छोड़कर लेग साइड पर छक्का लगाया था। मैंने उन्हें समझाया। यशपाल ने मुझसे कहा कि जिम्मी पाजी आपको नहीं पता, इस गेंदबाज ने मुझे मद्रास (अब चेन्नई) में गाली दी थी। मैंने उससे कहा कि तू मद्रास का बदला मैनचेस्टर में लेगा।
मोहिंदर अमरनाथ
मेरी एक गेंद पर इंग्लैंड के इयान बाथम क्लीन बोल्ड हो गए। यह एक बेहतरीन गेंद थी। ये गेंद नीची भी रही और टर्न भी हुई। इसके बाद कपिल ने मुझसे पूछा था कि गेंद या तो नीची रह सकती है या टर्न हो सकती है, लेकिन दोनों कैसे? उस बोल्ड के बाद टीम इंडिया के प्रशंसक भागकर आ गए थे और मेरी जेब में 50-50 के नोट डालकर चले गए। वो नोट आज भी मेरे पास हैं।
कीर्ति आजाद
मदनलाल को रिचर्ड्स की ओर से तीन बाउंड्री पड़ी थीं। वह फिर भी गेंदबाजी करना चाहता था। मैंने बोला मंदीपा आप थोड़ा आराम करो, लेकिन वह नहीं माने और बोले कि मुझे गेंद दे दो, मैं रिचड्र्स को आउट करूंगा। वह मुझसे गेंद छीनने लगे। मुझे डर लग रहा था, लेकिन मदन ने खुद आकर गेंद मांगी तो मैंने गेंद दे दी। इसके बाद मदन ने रिचड्र्स को आउट किया। कैच मैंने ही पकड़ा। इसके बाद हमारी जीत आसान हो गई।