ऐसे कैसे रिलीज़ होगी 'पद्मावत', इन 5 फ़िल्मों पर भी ख़ूब गर्मायी थी सियासत
अभी भी हालात देखकर ऐसा लगता है कि 'पद्मावती' को विरोध के जौहर से गुज़रकर अपनी राह बनानी होगी। वैसे निर्माताओं की ओर से अभी तक रिलीज़ डेट की आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है।
मुंबई। 'पद्मावती', पद्मावत बन गयी, लेकिन विरोध नहीं थम रहा। जैसे ही फ़िल्म की रिलीज़ डेट 25 जनवरी तय हुई, विरोध करने वाले फिर से अपने साज़ो-सामान के साथ मैदान में कूद पड़े हैं और फ़िल्म की रिलीज़ को हर क़ीमत पर रोकने की क़समें खा रहे हैं। यहां ग़ौर करने वाली बात ये है कि कुछ बदलावों के सुझाव के साथ पद्मावत को सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट मिल चुका है।
किसी फ़िल्म की सामाजिक स्वीकार्यता के संबंध में सीबीएफ़सी का फ़ैसला सर्वोच्च होता है, और माना जाता है कि अगर सेंसर बोर्ड ने प्रमाण-पत्र जारी कर दिया है तो इसमें कुछ ऐसा नहीं होगा, जो आपत्तिजनक हो। पद्मावत के केस में बोर्ड ने ख़ास एहतियात बरती होगी, क्योंकि मामला काफ़ी बड़े समुदाय की भावनाओं से जुड़ा है, मगर फ़िल्म का विरोध करने वालों के तेवरों को देखकर लगता है कि वे किसी पर यक़ीन करने के मूड में नहीं हैं, जिसके चलते पद्मावत की रिलीज़ पर हंगामा हो रहा है। अब तो हालत ये हो गयी है कि फ़िल्म के गाने घूमर का भी विरोध हो रहा है। रतलाम में एक स्कूल में करणी सेना के सदस्यों ने इसलिए तोड़फोड़ कर दी, क्योंकि वहां बच्चे एक फंक्शन में घूमर पर डांस कर रहे थे।
आपको बताते चलें कि फ़िल्म में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मिनी के बीच कथित तौर पर प्रेम प्रसंग दिखाए जाने की अफ़वाह को लेकर फ़िल्म का विरोध शुरू हुआ था। सबसे पहले राजस्थान के संगठन श्री राजपूत करणी सेना ने फ़िल्म का विरोध शुरू किया था, जिसने बाद में सियासी रंग ले लिया। इधर फ़िल्म की शूटिंग होती रही, उधर देश के अलग-अलग हिस्सों में पद्मावती की मुख़ालिफ़त होती रही। अदालत के ज़रिए भी 'पद्मावती' को बैन करवाने की कोशिशें जारी रहीं। कुछ राज्य सरकारें भी इसमें शामिल हो गयीं।
भंसाली ने एक वीडियो जारी करके ये संदेश भी दिया कि अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के बीच ड्रीम सीक्वेंस में प्रेम-प्रसंग नहीं दिखाया जा रहा है। ये महज़ एक अफ़वाह है, मगर विरोध करने वाले कुछ सुनने-समझने की अवस्था में नहीं दिखे। अभी भी हालात देखकर ऐसा लगता है कि 'पद्मावती' को विरोध के जौहर से गुज़रकर अपनी राह बनानी होगी। वैसे निर्माताओं की ओर से अभी तक रिलीज़ डेट की आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है।
बहरहाल, 'पद्मावती' से पहले भी कई बार सिनेमा को सियासत के हाथों ज़ख़्मी होना पड़ा है। नज़र डालते हैं ऐसे ही 5 प्रमुख मामलों पर-
ए दिल है मुश्किल
2016 में करण जौहर की फ़िल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। पाकिस्तानी एक्टर फ़वाद ख़ान के फ़िल्म में होने की वजह से इसका तगड़ा विरोध किया गया, क्योंकि फ़िल्म की रिलीज़ से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच उरी अटैक्स के चलते तनाव हो गया था। फ़िल्म की रिलीज़ सुनिश्चित करने के लिए करण को एड़ी से चोटी का ज़ोर लगाना पड़ा था।
पीके
आमिर ख़ान की फ़िल्म 'पीके' का एक धर्म विशेष के लोगों ने जमकर विरोध किया। फ़िल्म में दिखाये गये धार्मिक अंधविश्वासों पर प्रहार करने की वजह से इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन किये गये। दैवीय प्रतिरूपों को मज़ाकिया अंदाज़ में दिखाने पर एतराज़ जताया गया। हालांकि फ़िल्म रिलीज़ हो चुकी थी, और लोगों का बड़ा वर्ग इसे पसंद कर रहा था, लिहाज़ा विरोध ज़्यादा चला नहीं।
गोलियां की रासलीला राम लीला
संजय लीला भंसाली की फ़िल्म 'गोलियों की रासलीला राम लीला' का टाइटल रिलीज़ से महज़ दो दिन पहले बदलना पड़ा। फ़िल्म का टाइटल पहले 'राम लीला' था, जबकि गोलियों की रासलीला इसकी टैगलाइन थी, क्योंकि फ़िल्म में रास रचा रहे रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण को दो दुश्मन गैंगस्टर परिवारों का दिखाया गया था। मगर राम लीला टाइटल होने की वजह से आपत्ति जताते हुए फ़िल्म का विरोध किया। लिहाज़ा टाइटल बदलना पड़ा।
ओएमजी- ओह माय गॉड
अक्षय कुमार की फ़िल्म 'ओएमजी- ओह माय गॉड' को भी धार्मिक अंधविश्वासों पर चोट करने के लिए विरोध का सामना करना पड़ा। फ़िल्म की रिलीज़ रोकने के लिए कुछ लोगों ने अदालत का भी रुख़ किया था। फ़िल्म में आध्यात्मिक गुरुओं के किरदार कुछ असली गुरुओं पर आधारित थे। उनका लुक और गेटअप वैसा ही था, लिहाज़ा कुछ लोगों को इस पर एतराज़ हुआ।
फ़ना
कई साल पहले आमिर ख़ान की फ़िल्म 'फ़ना' का विरोध इसलिए किया गया, क्योंकि आमिर ने गुजरात के नर्मदा डैम की हाइट बढ़ाने के ख़िलाफ़ कमेंट किया था। फ़िल्म गुजरात में रिलीज़ नहीं हो सकी। दिलचस्प बात ये है कि ये सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस पर कामयाब रही थीं।