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    स्टेज पर प्रतिभा दिखाने के लिए हिम्मत चाहिए: श्रुति शर्मा

    By Priti KushwahaEdited By:
    Updated: Sat, 19 Dec 2020 05:03 PM (IST)

    मैंने कुछ ट्वीट्स पढ़े थे जहां लोगों ने नचनिया शब्द को लेकर कहा था कि इसे बुरा कैसे कह दिया गया। हमारे देश में तो डांसर्स को इज्जत मिलती है। नचनिया बुरा शब्द नहीं है। शब्द के मायने उसके कहने के तरीके से बदल जाते हैं।

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    Namak Ishq Ka Actress Shruti Sharma Talk About Her Career Personal Life And Professional Life

    प्रियंका सिंह, मुंबई। टीवी इन दिनों ऐसे मुद्दों पर शो बना रहा है, जो समाज या लोगों की सोच में बदलाव लाएं। कलर्स चैनल का शो 'नमक इश्क' का एक ऐसे मुद्दे पर बात कर रहा है, जहां प्रतिभा को मापने का पैमाना अलग है। कहानी एक लोकल डांसर की है, जिसका डांस तो लोगों को पसंद है, लेकिन उसे घर की बहू बनाकर समाज में इज्जत देना मंजूर नहीं। शो में अभिनेत्री श्रुति शर्मा डांसर चमचम के किरदार में हैं... 

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    शो से जुडऩे का कारण क्या समाज की सोच में बदलाव लाना था? 

    एक डर था मन में कि संवेदनशील मुद्दा है। मैंने कुछ ट्वीट्स पढ़े थे, जहां लोगों ने नचनिया शब्द को लेकर कहा था कि इसे बुरा कैसे कह दिया गया। हमारे देश में तो डांसर्स को इज्जत मिलती है। नचनिया बुरा शब्द नहीं है। शब्द के मायने उसके कहने के तरीके से बदल जाते हैं। कला ईश्वर की देन है। डांसर, गायिका, एक्टर चाहे जो भी हो, उसे स्टेज पर चढ़कर लोगों के सामने प्रतिभा दिखाने के लिए हिम्मत चाहिए, जो यह हिम्मत कर रहा है, उसे इज्जत मिलनी चाहिए। यहां इज्जत क्लासिकल डांसर या बड़े स्टेज पर परफॉर्म करने वाले लोगों को मिलती है। लोकल स्टार जब परफॉर्म करते हैं तो उन्हें वह इज्जत नहीं मिलती है।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    यह शो क्या लोकल महिला डांसर्स के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाएगा? 

    सिर्फ हमारे देश में ही नहीं दूसरे देशों में भी कई बार कलाकार का ओहदा देखकर सोचा जाता है कि इज्जत देनी है या नहीं। कोशिश यही है कि इस सोच पर चोट कर सकें। मुझे यह समझ नहीं आता है कि हमारे समाज में पुरुषों को ये आजादी क्यों दी जाती है कि वे महिलाओं को जज करें। लड़की को ज्यादा सुरक्षित माहौल में रखने के चक्कर में उसे कमजोर बना दिया जाता है व पहचान खत्म कर दी जाती है। लड़की के साथ छेड़छाड़ होती है तो लड़के से नहीं, बल्कि लड़की से पूछा जाता है कि तुमने पहना क्या था। 

    इस शो को करने को लेकर घर वालों की क्या प्रतिक्रिया थी? 

    मैंने घर के फंक्शन में कभी आइटम नंबर पर डांस नहीं किया था। प्रोमो में मैं लॉली पॉप लागेलू गाने पर डांस कर रही थी। डरी हुई थी, लेकिन सबको पसंद आया। मेरी परवरिश ऐसी रही है कि माता-पिता ने बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं किया। घर पर यह नियम जरूर था कि अपनी सुरक्षा अपने हाथों में है। कॉलेज से वक्त पर घर आना जरूरी था।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    टीवी शो में डांस करने के मौके कम मिलते हैं? 

    हां, टीवी में अवार्ड शो के अलावा डांस करने का मौका वाकई नहीं मिलता है। मुझे बचपन से ही डांस करना पसंद रहा है। प्रोमो के लिए जब रिहर्सल हुई थी, उस दिन मुझे बुखार था, लेकिन जब टेक हुआ मैं सब कुछ भूलकर डांस कर रही थी। यह हर कलाकार के साथ होता है, जब वह अपने पैशन के साथ होता है तो वह खुश रहता है। 

    शो में आपने जो कॉस्ट्यूम्स पहने हैं, उसमें तैयार होने में कितना वक्त लग जाता है? 

    लगभग डेढ़ घंटे लग जाते हैं। हेयर-मेकअप सामान्य लुक से थोड़ा ज्यादा होता है। सामान्य लुक में मैं आधे घंटे में तैयार हो जाती हूं। क्रिएटर्स ने यह अंतर दिखाने की कोशिश की है कि मेरा किरदार भले ही स्टेज पर डांस करता है, लेकिन वास्तविक जीवन में वह अलग है। मेरे कॉस्ट्यूम का इतना ध्यान रखा जाता है कि स्टेज पर मुझे चमचम ही लगना है।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    आप लखनऊ से हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद वहां जाने का मौका मिला? 

    लखनऊ गए पूरा एक साल हो गया है। वहां खूब ठंड पड़ रही है। पापा और भाई लखनऊ में ही हैं। वहां से भाई मुझे कुल्हड़ वाले दूध, जलेबी, इमरती की तस्वीरें भेज रहे हैं। मैं और मम्मी यहां पर वड़ा पाव खा रहे हैं। लखनऊ को बहुत मिस कर रही हूं। मैंने सोचा था कि जाऊं, लेकिन मम्मी साथ थीं, ऐसे में डर था कि उनको दिक्कत न हो जाए। 

    आपने फिल्म में भी काम किया है? 

    फिल्म पगलैठ तैयार है। उम्मीद है कि अगले साल रिलीज हो जाएगी। टीवी में हम दस सीन एक दिन में करते हैं, वहां पांच दिन में एक सीन हो रहे थे। मेरे लिए तो छुट्टी जैसा माहौल था। सान्या मल्होत्रा बहुत सपोॢटव रही हैं। इस फिल्म में कोई हीरो नहीं है, रोमांटिक गाने नहीं हैं। पारिवारिक फिल्म है। मेरा किरदार एक डरी-सहमी लड़की का है, जिसकी परवरिश एक सख्त माहौल में हुई है। वह अपनी बेस्ट फ्रेंड के सहारे चलती है।

     

     

     

     

     

     

     

     

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    फिल्म करने के बाद टीवी पर लौटना रिस्की नहीं लगा? 

    नहीं, क्योंकि टीवी मेरा कंफर्ट जोन है। जीवन में हर किसी को मौके नहीं मिलते हैं। मौकों को जाने नहीं देना चाहिए। मैं खुश हूं कि सही वक्त पर सही निर्णय लिया। फिल्म का इंतजार कर रही होती तो एक साल घर पर ही बैठी रहती। 

    क्या आप किसी के साथ इश्क में हैं? 

    मैं फिलहाल अपने काम के साथ इश्क में हूं। जब कोई इश्क करने वाला मिलेगा तो सबको बता दूंगी।