जानें टेलीविजन अभिनेत्री नेहा सरगम के नए सीरियल यशोमती मैया के नंदलाला की सभी डिटेल
दर्शकों को कुछ नया तो नहीं मगर उन कथाओं के बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा। बाकी शो में यशोदा की नंद और श्रीकृष्ण के साथ एक नए अंदाज में केमिस्ट्री देखने को तो मिलेगी ही- अभिनेत्री नेहा सरगम
आरती तिवारी। भगवान श्रीकृष्ण और माता यशोदा के अनमोल रिश्ते की कथा को नए सिरे से बताएंगी पटना की नेहा सरगम। 13 जून से सोनी पर शुरू हो रहे शो यशोमती मैया के नंदलाला में वह यशोदा का किरदार निभा रही हैं...
यशोदा का कौन सा गुण अपने भीतर पाती हैं?
इस शो की यशोदा में मुझे वो वाली विशेषता दिखी कि उसके बच्चे के साथ कोई भी जरा सा भी ज्यादा वक्त बिता रहा है या बच्चे का ध्यान यशोदा से हटकर किसी और पर चला जाता है तो वह थोड़ा सा इनसिक्योर हो जाती है। यही गुण मुझमें भी है। मुझे सेंटर आफ अट्रैक्शन बने रहना पसंद है। हालांकि उसके मन में कोई गलत भाव नहीं रहता। बस वो चाहती है कि अपने कृष्णा को सारा दुलार वही करे। यह बात वो नंद के साथ भी साझा नहीं करती, जो उसके मन में आता है, वो बोल देती है।
शो के माध्यम से ऐसी कौन सी बात थी, जो आपको पहली बार पता चली या दर्शकों को पता चलेगी?
जाहिर है कि हम यशोदा और श्रीकृष्ण के बारे में बचपन से सुनते आए हैं। मैंने उस कथा के बारे में सुना है जब भगवान शिव बालकृष्ण को देखने के लिए साधु का वेश धरकर आते हैं। यशोदा ने भगवान शिव को श्रीकृष्ण से मिलाने में बड़ी आनाकानी की थी। जब यह सीन हुआ तो मैं उनको खूब डांट-डपट रही थी। इस पर शिव कहते हैं कि माता मैं सहस्त्र वर्षों तक तप करता रहा हूं। मैैं बिना दर्शन के जाऊंगा नहीं। उनकी बात सुनकर मैं कहती हूं कि अच्छा तो मैं भी द्वार बंद रख सकती हूं। यशोदा बस सुनाए जा रही हैं उन्हें। सीन के दौरान मुझे लगा कि मैं कहीं ज्यादा तो नहीं डांट रही शिवजी को। जब मैंने यह पूछा तो मुझसे कहा गया कि यशोदाजी को नहीं पता उनके बारे में। आप जी भरकर डांटो। ऐसी बहुत सी बातें हैं।
शो के लिए आपने क्या तैयारियां की हैं?
मेरा सबसे पहला फोकस इस बात पर था कि जब मैं डायलाग बोलूं तो ऐसा न लगे कि मैं कुछ बनावटी तरीके से बोल रही हूं। कारण, क्या होता है कि जब हम किसी दूसरी भाषा में बात करते हैं और सोचते अलग भाषा में हैं तो वो ट्रांसलेट करने में जो वक्त लगता है, वो सारा खेल बदल देता है। यह बात अभ्यास से आती है। मेरी कोशिश यही थी कि मैं ब्रज की बोली में ही सोचने का प्रयास करूं ताकि जब कुछ बोलूं तो वह सजीव ही लगे। मैं बिहार से हूं तो मेरी बोली ब्रज के नजदीक है। इसके अलावा मेरे बात करने का जो पैदाइशी अंदाज है, उससे यह किरदार निभाने में काफी आसानी रही।
बालकृष्ण का किरदार निभा रही कलाकार के साथ कैसा जुड़ाव है?
उसका नाम आर्या है और रियल लाइफ में वह मेरे साथ ज्यादा बेहतर तरीके से जुड़ाव महसूस करती है, क्योंकि कैमरे के आगे मैं उसे बतौर नेहा तो दुलार नहीं सकती, कुछ ग्रेस और माता यशोदा वाले तरीके अपनाने पड़ते हैं। जब मैं यशोदा का गेटअप लेकर उसके सामने आती हूं तो वह पहचानती तो है, मगर उस तरह से रिस्पांस नहीं देती। हम उसके मूड और मर्जी के हिसाब से शूट करते हैं तो धीरे-धीरे जुड़ाव हो रहा है।
शो के लिए सबसे मुश्किल बात क्या लगी?
यशोदा का बात करने का तरीका, भारी-भरकम गहने और कपड़े आदि। बालकृष्ण के साथ जब मैं रोने वाले सीन करती हूं तो ये सब चीजें काफी मुश्किल हो जाती हैं।
आप इंडियन आइडल में गायन भी कर चुकी हैं। क्या शो में यशोदा की लोरियों में आपकी आवाज भी सुनने को मिलेगी?
काश, मैं अपनी आवाज में कुछ गा पाती, क्योंकि जाहिर सी बात है कि मेरी आवाज चाहे जैसी भी हो, वह मेरे चेहरे पर ज्यादा जंचेगी, मगर गाने पहले से ही तैयार किए जा चुके थे और मैं शूट में बिजी थी, लेकिन एक उम्मीद है कि शायद मेकर्स मुझे भी मौका दें। अगर मौका मिले तो मैं अभिनय से ज्यादा गायन को प्राथमिकता दूं।
आपके शो रामायण, महाभारत, परमअवतार कृष्ण और अब ये, सभी कहीं न कहीं भगवान विष्णु के अवतार से जुड़े रहे हैं। इस संयोग को कैसे देखती हैं?
मैंने तो इस ओर ध्यान ही नहीं दिया, मगर यह वाकई शानदार संयोग है कि मैं इस तरह के शो से जुड़ती आ रही हूं। अच्छा है, बीते दो साल में जिस तरह की परिस्थितियां रही हैं, ऐसे में यह शो मुझे आशीर्वाद की तरह मिला है।