अंतिम समय तक अमिताभ बच्चन को याद करते रहे कादर ख़ान, बेटे सरफ़राज़ का खुलासा
कादर ख़ान के निधन पर सोशल मीडिया तो श्रद्धांजलि संदेशों से भर गया, मगर उनके आख़िरी सफ़र में ऐसे दोस्तों की कमी खली, जो कभी उनके हुनर पर न्योछावर रहते थे।
मुंबई। दशकों तक अपने संवादों और अदाकारी से सिनेमा को मालामाल करने वाले कादर ख़ान को लेकर इंडस्ट्री की बेरुख़ी आंखें खोलने वाली है कि यहां उगते सूरज को तो सलाम किया जाता है, मगर आंखों से ओझल होने वालों को याद करना भी मशक्कत का काम हो जाता है। कादर ख़ान का आख़िरी समय इंडस्ट्री से कई समंदर दूर कनाडा में बीता, जहां 31 दिसम्बर की शाम उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा और वहीं उन्हें सुपुर्दे-ख़ाक भी किया गया।
कादर ख़ान के निधन पर सोशल मीडिया तो श्रद्धांजलि संदेशों से भर गया, मगर उनके आख़िरी सफ़र में ऐसे दोस्तों की कमी खली, जो कभी उनके हुनर पर न्योछावर रहते थे। बीमारी ने जब कादर ख़ान को लाचार कर दिया तो भी इंडस्ट्री से ऐसे बहुत कम लोग थे, जिन्होंने कादर भाई का हालचाल लेने की कभी ज़हमत उठाई हो। कादर ख़ान के जाने के बाद उनके बेटे सरफ़राज़ के सीने में दबा यह दर्द अल्फ़ाज़ बनकर ज़ुबां पर आ गया है।
कादर ख़ान ने सबसे अधिक जिन लोगों के साथ काम किया है, उनमें अमिताभ बच्चन, गोविंदा और डेविड धवन के नाम आते हैं। गोविंदा ने सोशल मीडिया में कादर ख़ान के निधन पर अफ़सोस जताते हुए फादर फिगर बताया था। समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में सरफ़राज़ ने गोविंदा के अंदाज़-ए-मातमपुरसी पर तंज कसते हुए कहा- ''गोविंदा से पूछिए कि उन्होंने कितनी बार उनके पिता की सेहत के बारे में जानकारी ली थी। मेरे पिता के निधन के बाद क्या उन्होंने एक बार भी फोन करके पूछा? फ़िल्म इंडस्ट्री इसी तरह चलती है। सरफ़राज़ ने आगे कहा कि इंडस्ट्री में खेमों में बंटी हुई है। सबके अपने-अपने वफ़ादार हैं। जो नज़रों से ओझल हुआ, उसे भुला दिया जाता है।''
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कादर ख़ान के निधन के बाद गोविंदा ने इंस्टाग्राम पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा था- ''श्रद्धांजलि कादर ख़ान साहब। वो मेरे उस्ताद ही नहीं, बल्कि पिता तुल्य थे, उनका मिडास टच और आभा उनके साथ काम करने वाले हर एक्टर को सुपरस्टार बना देती थी। पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री और मेरा परिवार इस क्षति से व्यथित है और शब्दों में अपने दुख को बयां नहीं कर सकते। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें अपने चरणों में स्थान दें।''
90 के दशक की कॉमेडी फ़िल्मों में गोविंदा और कादर ख़ान की जोड़ी अक्सर नज़र आती थी। दोनों के बीच ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री कहानी को अलग ही आयाम दिया करती थी। गोविंदा को कॉमिक टाइमिंग का मास्टर माना जाता है तो कादर ख़ान के साथ इस टाइमिंग का कोई जवाब नहीं होता था। कभी गोविंदा के पिता तो कभी ससुर बनकर कादर ख़ान ने दर्शकों को ख़ूब गुदगुदाया। हीरो नंबर 1, बनारसी बाबू, नसीब, आंटी नंबर 1, दूल्हे राजा, बड़े मियां छोटे मियां, अनाड़ी नंबर 1, हसीना मान जाएगी... लिस्ट बहुत लंबी है। उस दौर की गोविंदा की फ़िल्म का नाम लीजिए और उसमें किसी ना किसी किरदार में कादर ख़ान को पाएंगे।
आख़िरी समय तक करते रहे बच्चन की बातें
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सरफ़राज़ ने आगे कहा, ''इंडस्ट्री में कई लोग थे, कादर ख़ान जिनके क़रीब थे। लेकिन जिसे मेरे पिता ने सबसे अधिक चाहा वो बच्चन साहब थे। मैं जब उनसे पूछता था कि वो सबसे ज़्यादा किसे याद करते हैं तो जवाब अमिताभ बच्चन होता था। और मैं जानता हूं कि यह प्यार दोनों तरफ़ से था। मैं बच्चन साहब को यह बताना चाहता हूं कि अंत समय तक मेरे पिता उनकी बातें कर रहे थे।" कादर ख़ान ने अमिताभ की कई फ़िल्मों में एक्टिंग करने के साथ संवाद भी लिखे। अमिताभ की परवरिश, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, सत्ते पे सत्ता, नसीब, मुकद्दर का सिकंदर, हम, शहंशाह जैसी सफल फ़िल्मों के लिए संवाद लिखे थे। अमिताभ ने भी सोशल मीडिया में कादर ख़ान के जाने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया था।
T 3045 - Kadar Khan passes away .. sad depressing news .. my prayers and condolences .. a brilliant stage artist a most compassionate and accomplished talent on film .. a writer of eminence ; in most of my very successful films .. a delightful company .. and a mathematician !! pic.twitter.com/l7pdv0Wdu1— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) January 1, 2019
सरफ़राज़ ने कहा कि मरते वक़्त उनके पिता के चेहरे पर मुस्कान थी। दुनिया में मुझे वो मुस्कान सबसे अधिक प्यारी है। मेरे पिता के आख़िरी साल काफ़ी दर्द भरे रहे। बीमारी ने उनकी इच्छाशक्ति तक छीन ली थी। टोरंटो में उन्हें जितना संभव हुआ, अच्छा इलाज मिला।