Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    माहिम पुलिस थाने से 'मदर इंडिया', जानें फिल्म में राजकुमार की एंट्री के पीछे की दिलचस्प कहानी

    By Priti KushwahaEdited By:
    Updated: Sat, 03 Jul 2021 01:48 PM (IST)

    पुलिस इंसपेक्टर साहब अपनी इस हसरत को अपने मित्रों के साथ साझा किया करते थे। वक्त निकला जा रहा था लेकिन इंसपेक्टर साहब को फिल्मों में अच्छी भूमिका नहीं मिल पा रही थी। एक दिन वो माहिम थाने में बैठे थे शाम हो चुकी थी।

    Hero Image
    Photo Credit - RajKumar Midday Instagram Photo Screenshot

    अनंत विजय, नई दिल्ली। माहिम पुलिस स्टेशन में एक नौजवान पुलिस इंस्पेक्टर तैनात था। उसको फिल्मों में काम करने का बेहद शौक था। उसका दिन पुलिस की नौकरी से अधिक फिल्मों में लगता था। फिल्मी दुनिया में उसके कई दोस्त थे। पुलिस की नौकरी करते हुए उसके कई फिल्मों में छोटी मोदी भूमिकाएं कर भी ली थीं, जिसमें 'रंगीली', 'घमंड' और 'लाखों में एक जैसी' फिल्में थीं। उसने भले ही कई फिल्मों में काम किया लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में उसकी खास पहचान नहीं बन पाई थी और वो माहिम पुलिस थाने में पुलिस की नौकरी ही कर रहा था, पर चाहत तो बड़े फिल्म में केंद्रीय भूमिका करने की थी। सबकी होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पुलिस इंसपेक्टर साहब अपनी इस हसरत को अपने मित्रों के साथ साझा किया करते थे। वक्त निकला जा रहा था लेकिन इंसपेक्टर साहब को फिल्मों में अच्छी भूमिका नहीं मिल पा रही थी। एक दिन वो माहिम थाने में बैठे थे, शाम हो चुकी थी। अचानक उनका एक मित्र थान पहुंचा और उनको कल सुबह महबूब खान से मिलने के लिए कहकर चला गया। उस वक्त तक महबूब खान बड़े निर्देशक के तौर पर जाने जाने लगे थे। अगले दिन अपने मित्र के बताए समय पर इंसपेक्टर साहब महबूब खान से मिलने पहुंच गए। वहां उनका वो दोस्त भी मिला। वो महबूब खान का सहायक था। इंसपेक्टर साहब का दोस्त उनको लेकर महबूब खान के पास पहुंचा और उनसे कहा कि ‘ये बहुत अच्छे कलाकार हैं और एक अच्छी फिल्म की तलाश में हैं। इनको 'मदर इंडिया' में कोई रोल दे दीजिए’।

    उस समय महबूब खान अपनी फिल्म ‘मदर इंडिया’ की कास्टिंग कर रहे थे। महबूब खान ने इंसपेक्टर साहब को ऊपर से नीचे तक देखा और गहरी सांस लेकर पूछा कि क्या आप फिल्मों में शौकिया तौर पर काम करना चाहते हैं या फिर संजीदगी से फिल्मों को अपना करियर बनाना चाहते हैं। इंसपेक्टर साहब ने महबूब खान को कहा कि वो फिल्मों में अभिनय को ही अपना करियर बनाना चाहते हैं, इंसपेक्टर की नौकरी छोड़कर अभिनेता बनने के लिए भी तैयार हैं। इंसपेक्टर साहब ने अपने अंदाज में अपनी बात जारी रखी और अपने मित्र की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘इसने मुझे बताया कि आप एक बड़ी फिल्म बना रहे हैं और मुझे सलाह दी कि मैं आपसे बात करूं।'

    इस वक्त तक महबूब खान ‘मदर इंडिया’ के लिए नर्गिस, सुनील दत्त और राजेन्द्र कुमार को फाइनल कर चुके थे। उनको ‘शामू’ के रोल के लिए किसी अभिनेता की तलाश थी। उन्होंने फौरन अपने असिस्टेंट से कहा कि इंसपेक्टर साहब का शामू के चरित्र के हिसाब से मेकअप करो, हम इनका स्क्रीन टेस्ट लेना चाहते हैं। जब इंसपेक्टर साहब मेकअप के लिए गए तो उनके एक दूसरे सहायक ने महबूब खान से कहा कि ये शख्स शामू के रोल के लिए उपयुक्त नहीं होगा क्योंकि इसके चेहरे पर एक आक्रामकता है। अनीत पांध्ये ने अपनी पुस्तक में इस प्रसंग को विस्तार से लिखा है। थोड़ी देर बाद इंसपेक्टर साहब का स्क्रीन टेस्ट हुआ और वो पास हो गए। ये इंसपेक्टर साहब राज कुमार थे। ‘मदर इंडिया’ रिलीज होने के बाद की कहानी तो इतिहास बन गई है। शामू के रोल से राज कुमार को जो पहचान मिली उसने उनको काफी काम दिलवाया और वो कुछ ही समय बाद शीर्ष के अभिनेताओं में शुमार होने लगे। फिल्म ‘वक्त’ ने तो उनको बेहद लोकप्रिय बना दिया।

    बाद के दिनों में तो राज कुमार को लेकर अनेक तरह के किस्से फिल्मी दुनिया में मशहूर हुए। उनकी संवाद अदायगी से लेकर उनकी अभिनय कला अनूठी थी। सौदागर फिल्म में जब वो शूटिंग के लिए आते थे तो उनके साथ चार गाड़ियों का काफिला चला करता था। एक में राज कुमार बैठते थे, दूसरी गाड़ी में उनके सहायक और बाकी दो गाड़ियों में उनके कपड़े, जूते, हैट इत्यादि रखे जाते थे। दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा ‘द सब्सटेंस एंड द शैडो’ में इस प्रसंग को बेहद रोचक तरीके से लिखा है। आज से पच्चीस साल पहले 3 जुलाई को ये बेहतरीन और स्टाइलिश अदाकार इस दुनिया को अलविदा कह गया।