Move to Jagran APP

दरअसल: महूरत का मौका और महत्‍व... वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की कलम से...

जागरण के 'सिने संवाद' स्तम्भ में वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की कलम और नज़र से जानिए हिंदी सिनेमा की कुछ अनकही और दिलचस्प बातें...

By Manoj VashisthEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 11:41 AM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 01:57 PM (IST)
दरअसल: महूरत का मौका और महत्‍व... वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की कलम से...
दरअसल: महूरत का मौका और महत्‍व... वरिष्ठ फ़िल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज की कलम से...

9 जनवरी 2018 को निर्देशक इंद्र कुमार ने अपनी नई फिल्‍म ‘टोटल धमाल’ का महूरत किया। महूरत...मुहूर्त का बिगड़ा हुआ रूप महूरत ही हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में प्रचलित है। किसी भी फिल्‍म की शूटिंग आरंभ होने के पहले दिन शुभ मुहूर्त में पहला शॉट लिया जाता है। पुराने निर्माता महूरत पर खास ध्‍यान देते थे। खास मेहमानों और प्रेस के लोगों के बीच विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता था। पूजा-पाठ के बाद उस दिन बुलाए कलाकारों के साथ किसी एक सीन के कुछ संवाद बुलवा लिए जाते हैं। आज भी वही होता है,लेकिन अब आयोजन नही होता।

loksabha election banner

उसे किसी इवेंट की तरह नहीं सेलिब्रेट किया जाता। परंपरा निभाई जाती है। नारियल फोड़ने के बाद कैमरा ऑन होता है। सभी एक-दूसरे को बधाई और शुभकामनाएं देते हैं। डेढ़ दशक पहले तक महूरत एक बड़ा आयोजन हुआ करता था। आज के मीडियाकर्मियों को याद भी नहीं होगा कि उन्‍होंने आखिरी महूरत कब देखा था। यों छोटी फिल्‍मों के निर्माता मीडिया कवरेज के लिए इन दिनों गानों का भी महूरत करने लगे हैं। बहरहाल,एक अंतराल के बाद इंद्र कुमार ने ‘टोटल धमाल’ का विधिवत महूरत कर के पुराने दिनों की याद दिला दी।‍

9 जनवरी को इंद्र कुमार की फिल्‍म ‘टोटल धमाल’ के महूरत में आमिर खान और अनिल कपूर ने हिस्‍सा लिया। अनिल ने साउंड बोला और आमिर ने क्‍लैप दिया। महूरत शॉट में अजय देवगन और संजय मिश्रा थे। मुंबई की फिल्‍मसिटी के रिलायंस मीडियावर्क्‍स स्‍टूडियो के फ्लोर 1 पर बने चारमंजिला सेट पर महूरत शॉट लिया गया। इस महूरत में अनिल कूपर,आमिर खान,अजय देवगन और संजय मिश्रा के साथ बोमन ईरानी,माधुरी दीक्षित,जावेद जाफरी,अरूणा ईरानी और अरशद वारसी शामिल थे। डेढ़ दशक पहले तक हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में महूरत का आम चलन रहा। फिर धीरे-धीरे इसकी भव्‍यता सिमटती गई।

एक तो फिल्‍मों की निर्माण और प्रचार पद्धति बदली और दूसरे अंडरवर्ल्‍ड के खौफ ने निर्माताओं को महूरत के भव्‍य आयोजनों से हाथ खींचने पर मजबूर किया। होने यह लगा था कि महूरत की भव्‍यता के अनुपात में अंडरवर्ल्‍ड से पैसों की डिमांड आने लगी थी। नतीजतन महूरत का हाई-फाई आयेाजन लो की में होने लगा। और फिर यह मानसिकता बन गई कि यह फिजूलखर्ची है। एक और अघोषित वजह हो सकती है। मोबाइल कैमरे के फैशन में आने के बाद से फिल्‍म यूनिट ने जब मीडियाकर्मियों को सेट पर बुलाना बंद किया तो महूरत भी उसकी चपेट में आ गया। पहले निर्माता-निर्देशक महूरत के लिए अपने मेंटोर या आदरणीय शख्‍स को क्‍लैप देने और एक्‍शन बोलने के लिए बुलाते थे। कभी कैमरे के पीछे भी कोई खास मेहमान होता था।

महूरत की खुशी और उल्‍लास का माहौल फिल्‍म की पूरी यूनिट के लिए पहला गेट-टुगेदर भी होता था। हर फिल्‍म में कुछ नए कलाकार और तकनीशियन होते हैं। उनका परस्‍पर परिचय हो जाता है। दो दशक पहले तक फिल्‍मों के डिस्‍ट्रीब्‍यूटर और एक्‍जीबिटर भी महूरत में बुलाए जाते थे। फिल्‍म के फेस वेल्‍यू और स्‍टारों की भागीदारी के आधार पर हर टेरिटरी की बोली लग जाती थी। उस फिल्‍म में इंटरेस्‍ट ले रहे डिस्‍ट्रीब्‍यूटर फिल्‍म खरीद लेते थे और उसकी अग्रिम किस्‍त तक दे जाते थे। फिल्‍म निर्माण में कारपोरेट के आने के बाद यह परिपाटी भी खत्‍म हो गई। अब तो महूरत के मौके कम हो गए हैं। उसका महत्‍व और प्रभाव भी कम हो गया है।

हिंदी फिल्‍मों के साथ खास बात यह रही है कि महूरत की परंपरा में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव या दूरी नहीं बरती गई। मुसलमान निर्माता-निर्देशक और कलाकार भी महूरत की हिंदू विधि परंपरा में हिस्‍सा लेते रहे हैं और आज भी लेते हैं। दरअसल,उनके लिए यह हिंदी फिल्‍मों की सांस्‍कृतिक परंपरा है,जिसका निर्वाह करने में किसी को कोई दिक्‍कत नहीं होती है। हिंदी फिल्‍मों ने पिछले सौ सालों से लंबे समय के अभ्‍यास और व्‍यवहार में कुछ टोटके अपना लिए हैं। महूरत ऐसा ही खास टोटका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.