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    Class of 83: डिजिटल डेब्यू के लिए तैयार बॉबी देओल, नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज़ हो रही है ‘क्लास ऑफ 83’

    By Nazneen AhmedEdited By:
    Updated: Fri, 21 Aug 2020 12:01 PM (IST)

    नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज हो रही शाहरुख खान के प्रोडक्शन तले बनी फिल्म ‘क्लास ऑफ 83’ से बॉलीवुड एक्टर बॉबी देओल आज डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं। Photo- Bobby Insta

    Class of 83: डिजिटल डेब्यू के लिए तैयार बॉबी देओल, नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज़ हो रही है ‘क्लास ऑफ 83’

    स्मिता श्रीवास्तव, जेएनएन। नेटफ्लिक्स पर आज रिलीज हो रही शाहरुख खान के प्रोडक्शन तले बनी फिल्म

    ‘क्लास ऑफ 83’ से बॉलीवुड एक्टर बॉबी देओल आज  डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं । इसके बाद वो वेब शो ‘आश्रम’ में नजर आएंगे। फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल पूरे कर रहे बॉबी देयोल से उनके अभिनय सफर और पसंद-नापसंद को लेकर बातचीत।

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    सवाल : पहली फिल्म 'बरसात' के प्रीमियर की क्या यादें रही हैं?

    जवाब : मुझे याद है कि 'बरसात' की शूटिंग के आखिरी दिन मैं अपना पांव तुड़वा बैठा था। मुझे चलने के लिए बैसाखी का सहारा लेना पड़ा था, पर अंदर उत्साह भी बहुत था। यह संयोग रहा कि 'बरसात' के प्रीमियर पर बारिश भी हुई थी। एक्टर बनना मेरा सपना था। इसलिए फिल्म का बेसब्री से इंतजार था, पर नर्वस भी बहुत था। उस दिन के बाद पता चला कि हर कलाकार शुक्रवार को नर्वस होता है। वह नर्वसनेस कभी साथ नहीं छोड़ती है।

     

    सवाल : अब डिजिटल डेब्यू कर रहे हैं। इस बदलाव को कैसे देख रहे हैं?

    जवाब : मेरे लिए यह बदलाव नहीं है। अगर मैं किसी भी प्रकार से मनोरंजन कर सकता हूं तो यह मेरा सौभाग्य है। मेरे लिए स्क्रिप्ट और किरदार अहम हैं। आज के दौर में कलाकार के लिए प्रयोगात्मक किरदार निभाना अहम हो गया है...अब दर्शकों की पसंद काफी बदल गई है। नई पीढ़ी के दर्शक किसी कलाकार की छवि बनाकर उसकी वैसी ही फिल्में नहीं देखना चाहते। ओटीटी आपको अपनी छवि बदलने का मौका देता है। हर कलाकार प्रयोगात्मक किरदार निभाना चाहता है। पहले यह मौका ज्यादा मिलता नहीं था। आजकल विविधतापूर्ण विषयों पर फिल्में बन रही हैं। मैंने भी उनका हिस्सा बनने की कोशिश की है। पहले भी मैंने अलग-अलग तरह

    के किरदार निभाए हैं।

    सवाल : 'क्लास ऑफ 83' पिछली सदी के आठवें दशक में सेट है। उस दौर को समझना कितना आसान रहा?

    जवाब : काम को लेकर प्रतिबद्ध और ईमानदार इंसान क्या करना चाहता है? उसकी जिंदगी में क्या होता है? इंसान किसी भी प्रोफेशन में किस प्रकार की कठिनाइयों से गुजरता है? यह कहानी उसपर आधारित है। किरदार निभाने के लिए मैं उसके मनोभावों को समझने की कोशिश करता हूं। फिल्म में 1983 का दौर दिखाया गया

    है। तब हम बड़े हो रहे थे। मैं बचपन में घर से बहुत ज्यादा बाहर नहीं निकलता था। मैंने उस दौर के बदलाव को तब महसूस नहीं किया। जितना बाद में बड़े होकर समझा। फिल्म सत्य घटनाओं से प्रेरित है। उस वक्त बंबई (अब मुंबई) में अंडरवल्र्ड का मुद्दा काफी सुर्खियों में था। उसके इर्दगिर्द ही कहानी है। किरदार निभाने के लिए मैं उसके मनोभावों को समझने की कोशिश करता हूं। मैंने अपने वायस माड्यूलेशन पर काम किया। अलग किस्म का किरदार है तो निश्चित तौर पर मेहनत काफी की है। मेरे तीनों कोस्टार नवोदित हैं और थिएटर से हैं। मुझे उनके साथ काम करके मजा आया। अच्छी बात यह है कि मैं अपने कंफर्ट जोन से बाहर था। मेरे लुक पर काफी काम हुआ।

    सवाल : क्या इंडस्ट्री में कलाकारों पर अन्य क्षेत्रों के मुकाबल दबाव ज्यादा है?

    जवाब : मैं ऐसा नहीं मानता। उतार-चढ़ाव हर इंसान के करियर में आता है। वे उनका सामना कैसे करते हैं, यह उनके हाथ में है। मेरे भी कॅरियर में उतार चढ़ाव आया है। कुछ साल पहले मेरे पास काम नहीं था। तब मैंने भी इसके लिए बाहरी दुनिया को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया था, पर ये तरीका सही नहीं है। हार मानना विकल्प नहींं है। निश्चित रूप से किस्मत अहम होती है, लेकिन अगर आप विचारों के स्तर पर सकारात्मक ऊर्जा पैदा नहीं कर पाएंगे तो लोग आपको नोटिस कैसे करेंगे? कई बार जब आप दूसरों का काम देखते हैं तो सोचते हैं अगर मुझे यह किरदार मिलता तो उस तरह से निभाता। यह सब चलता रहता है। हर इंसान का संघर्ष अलग होता है। उसके बारे में हमें पता नहीं चलता है। जिंदगी का मतलब आगे बढ़ते जाना है।

    सवाल : न्यू नार्मल के साथ कितना सामंजस्य स्थापित कर पाए हैं?

    जवाब : निश्चित रूप से मन करता है कि मैं शूटिंग के लिए सेट पर होता। पहले की तरह फिल्म का प्रमोशन करता। महामारी की वजह सब बदल गया है, पर मुझे यकीन है कि हालात बेहतर होंगे।

    सवाल : आपके पिता धर्मेंद्र सोशल मीडिया पर खेतों में उगी सब्जियों के वीडियो पोस्ट करते रहते हैं। आपका खेती से कितना लगाव रहा है? हम शहर में पैदा हुए, लेकिन पापा ने हमें खेती और प्रकृति से अलग नहीं रखा। जब हम छोटे थे और पापा शूटिंग के लिए कहीं पर जाते थे और उन्हें कोई पौधा पसंद आता था तो उसे ले आते थे। वह आदत मुझमें भी है। मैं भी आउटडोर शूट पर जाता हूं और वहां कोई पौधा आकर्षित करता है तो उसकी कटिंग ले आता हूं। एक बार मैंने एवाकाडो का पौधा लाकर फार्म हाउस पर लगाया था। पापा ने उसका वीडिया इंस्टाग्राम पर डाला था। उसमें फल आने में सात से आठ साल का समय लगता है।

     

     

     

     

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    Eager to watch #ClassOf83? You can't run, and you can't even hide. A sneak peek for all of you. 3 days to go! Only on @netflix_in Directed by @atulsanalog Produced by @redchilliesent @iamsrk @gaurikhan @_gauravverma

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