बासु चटर्जी को याद करते हुए भारती आचरेकर ने कहा- 'फिल्ममेकिंग में था थिएटर का स्टाइल'
फ़िल्ममेकर बासु चटर्जी भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके साथ काम कर चुकी एक्ट्रेस और थिएटर आर्टिस्टर भारती आचरेकर ने कुछ किस्सा साझा किया है। आइए जानते हैं..
मुंबई (प्रियंका सिंह)। हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री को साल 2020 में एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। वेटरन फ़िल्ममेकर बासु चटर्जी भी इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके साथ काम कर चुकी एक्ट्रेस और थिएटर आर्टिस्टर भारती आचरेकर ने कुछ किस्सा साझा किया है। आइए जानते हैं..
फिल्म 'अपने पराए' में मुझे बासु दा ने ही मौका दिया था। वह मराठी नाटक काफी देखा करते थे। मेरा नाटक देखकर ही उन्होंने मुझे 'अपने पराए' में काम करने के लिए बुलाया था। वह किरदार अपने आसपास ढूंढ़ा करते थे। मुझे उनके साथ काम करके हमेशा लगा कि जैसे मैं थिएटर कर रही हूं। फिल्म को पेश करने का उनका तरीका बिल्कुल थिएटर की तरह था।
फिल्म 'चमेली की शादी' में मैं, अन्नू कपूर और पंकज कपूर तीनों ही थिएटर से थे। वह हमें सीन देकर कहते थे इसमें अपने मुताबिक बदलाव करो और बोलो जो बोलना है। बासु दा ने कलाकारों को हमेशा काम करने की आजादी दी है। वह बहुत तेजी से काम करते थे। 'अपने पराए' और 'चमेली की शादी' दोनों ही फिल्में उन्होंने एक महीने में पूरी कर ली थी।
उनके एक स्टाइल था, वह हमेशा अपने मुंह में रुमाल का कोना दबाए रखते थे। कोना दबाए हुए ही वह धीरे से कट बोलते थे। मैंने उनसे इसकी वजह भी पूछी थी। वह कहते थे रुमाल इसलिए मुंह में दबाए रखता हूं, ताकि कलाकारों पर चिल्लाऊं न। उन्होंने कभी निर्देशक वाले नखरे कलाकारों को नहीं दिखाए। सेट का मौहाल बहुत ही खुशनुमा रखते थे।
बासु चटर्जी की फिल्मों के यादगार गाने
ये जीवन है (पिया का घर, 1972)
रजनीगंधा फूल तुम्हारे (रजनीगंधा, 1974)
जब दीप जले आना (चितचोर, 1976)
आज से पहले आज से ज्यादा (चितचोर, 1976)
गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा (चितचोर, 1976)
जानेमन जानेमन तेरे दो नयन (छोटी सी बात, 1976)
कोई रोको न दीवाने को (प्रियतमा 1977)
थोड़ा है थोड़े की जरूरत है (खट्टा मीठा, 1978)
उठे सबके कदम देखो रम पम पम (बातों बातों में, 1979)
रिमझिम गिरे सावन (मंजिल, 1979)
बासु चटर्जी की यादगार फिल्में
रजनीगंधा, 1974
खट्टा मीठा, 1978
मंजिल, 1979
अपने पराए, 1980
मन पसंद, 1980
हमारी बहू अल्का, 1982
शौकीन, 1982
लाखों की बात, 1984
एक रुका हुआ फैसला, 1986
किराएदार, 1986
चमेली की शादी 1986
कमला की मौत, 1989