'शंकर भम्भू' से शुरू हुई थी विनोद खन्ना और फ़िरोज़ ख़ान की दोस्ती, एक ही तारीख़ पर दुनिया को कहा अलविदा
फ़िरोज़ ख़ान और विनोद खन्ना की जोड़ी की सबसे लोकप्रिय और सफल फ़िल्म 1980 में आयी क़ुर्बानी है। इसके बाद 1988 में आयी दयावान में दोनों साथ आये जो मणि रत्नम की फ़िल्म नायकन का रीमेक थी। इस फ़िल्म का निर्माण-निर्देशन भी फ़िरोज़ ख़ान ने ही किया था।

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा में फ़िरोज़ ख़ान और विनोद खन्ना ऐसे दो नाम हैं, जो ऑनस्क्रीन ही नहीं ऑफ़स्क्रीन भी दोस्ती के रिश्ते के लिए जाने जाते हैं। इन दोनों दिवंगत कलाकारों का अंदाज़े-अदाकारी ज़रूर अलग था, मगर दोस्ती का रिश्ता एकदम पक्का। इतना पक्का कि जब दुनिया छोड़ी तो एक ही तारीख़ को।
फ़िरोज़ ख़ान ने 27 अप्रैल 2009 को इस जहान को अलविदा कहा था तो विनोद खन्ना ठीक आठ साल बाद 2017 में इसी दिन यह दुनिया छोड़कर चले गये थे। सितारों की चाल कहें या संयोग, दोनों दिग्गज कलाकारों के निधन की वजह कैंसर बना। फ़िरोज़ ख़ान लंग कैंसर और विनोद खन्ना ब्लैडर के कैंसर से ज़िंदगी की जंग हारे थे। मृत्यु के वक़्त दोनों की उम्र भी लगभग एक ही थी। फ़िरोज़ ख़ान सत्तरवें पड़ाव से पांच महीने पहले चल बसे थे तो विनोद खन्ना 71वें पड़ाव से 6 महीने पहले।
शंकर शम्भू से शुरू हुई दोस्ती
फ़िरोज़ ख़ान और विनोद खन्ना की जोड़ी की सबसे लोकप्रिय और सफल फ़िल्म 1980 में आयी क़ुर्बानी है। इसके बाद 1988 में आयी दयावान में दोनों साथ आये, जो मणि रत्नम की फ़िल्म नायकन का रीमेक थी। क़ुर्बानी की तरह इस फ़िल्म का निर्माण-निर्देशन भी फ़िरोज़ ख़ान ने ही किया था। हालांकि, इनकी दोस्ती की शुरुआत 1976 में आयी फ़िल्म शंकर शम्भू से हुई थी, जो इनकी साथ में पहली हिट फ़िल्मी। आउटलुक इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विनोद खन्ना को फ़िरोज़ 1986 में आयी फ़िल्म जांबाज़ में अनिल कपूर वाले किरदार के लिए कास्ट करना चाहते थे, मगर विनोद तब तक ग्लैमर इंडस्ट्री को छोड़ने का मन बना चुके थे और ओशो रजनीश के पास चले गये थे।
विनोद खन्ना ने जब इंडस्ट्री में वापसी का फ़ैसला किया तो फ़िरोज़ ने उन्हें दयावान के लिए साइन कर लिया। हालांकि, 4 साल ब्रेक के बाद विनोद खन्ना की कमबैक फ़िल्में इंसाफ़ और सत्यमेव जयते थीं।
क़ुर्बानी के लिए पहली पसंद थे अमिताभ बच्चन
रिपोर्ट के अनुसार, क़ुर्बानी में विनोद खन्ना वाले किरदार के लिए फ़िरोज़ ख़ान की पहली पसंद अमिताभ बच्चन थे, मगर बच्चन उस वक़्त बिज़ी थे और उन्होंने फ़िरोज़ को छह महीने इंतज़ार करने के लिए कहा। फ़िरोज़ इतना रुकने के मूड में नहीं थे और फ़िल्म में विनोद खन्ना की एंट्री हुई। इसके साथ दोनों की दोस्ती और गाढ़ी हो गयी।
अस्पताल में फूट-फूटकर रोये थे जिगरी यार
फ़िरोज़ ख़ान के निधन से कुछ दिन पहले विनोद खन्ना धर्मेंद्र के साथ उनसे मिलने मुंबई के उस अस्पताल में गये थे, जहां वो भर्ती थे। बताते हैं कि मुलाक़ात के दौरान तीनों फूट-फूटकर रोये थे। धर्मेंद्र ने दोनों ही कलाकारों के साथ फ़िल्में की थीं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।