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अभिनेता से राजनेता तक, ऐसे थे विनोद खन्ना

सलमान खान विनोद खन्ना को बेहद पसंद और आदर करते थे।मुकद्दर का सिकंदर के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था।माधुरी दीक्षित के साथ उनका किसिंग सीन तो आज भी कोई भूले नहीं भूलता है।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 04:30 PM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 04:30 PM (IST)
अभिनेता से राजनेता तक, ऐसे थे विनोद खन्ना
अभिनेता से राजनेता तक, ऐसे थे विनोद खन्ना

 मुंबई। अपनी रौबीली आवाज़, दमदार कदकाठी और हर काम को पूरी इच्छाशक्ति से करने वाले विनोद खन्ना फिल्मी परदे से लेकर राजनीति के अखाड़े तक हर जगह अपने अपनी छाप छोड़ते रहे। आइये उनके बारे में कुछ खास बातें जान लेते हैं।

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* कुछ दिन पहले यानि 21 अप्रैल को विनोद खन्ना की फिल्म 'एक थी रानी ऐसी भी' रिलीज़ हुई थी जो कि विजया राजे सिंधिया पर आधारित बायोपिक था। फिल्म में विनोद खन्ना के साथ हेमा मालिनी ने काम किया था।

* पिछले साल वो रोहित शेट्टी की फिल्म दिलवाले में अहम् किरदार में नजर आये।

* सलमान खान विनोद खन्ना को बेहद पसंद और आदर करते थे। फिल्म दबंग, वांटेड और दबंग 2 में विनोद खन्ना ने सलमान के पिता की भूमिका निभाई थी।

* साल 1997 में विनोद खन्ना भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और चार बार पंजाब के गुरदासपुर से लोकसभा से सांसद रह चुके विनोद खन्ना 2002 में वह केंद्र सरकार में कल्चर और टूरिज़्म मिनिस्टर बने।

* रिहाई और लेकिन जैसी ऑफ बीट फिल्मों में उनके रोल को यादगार माना जाता है।

* अमिताभ बच्चन और रेखा स्टारर मुकद्दर का सिकंदर के लिए उन्हें फिल्म फेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला था।

* 1982 -1986 में विनोद खन्ना ओशो रजनीश के अनुयायी हो गए और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को लगभग पांच सालों के लिए अलविदा कह दिया था। फिर 1987 में खन्ना ने डिम्पल कपाडिया के साथ फिल्म इंसाफ से वापसी की।

* 1975 में विनोद खन्ना को पहला फिल्मफेयर पुरस्कार फिल्म हाथ की सफाई के लिए मिला। साल 1999 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था।

* 1971 में विनोद खन्ना ने गीतांजली से शादी की, जिससे उनके दो बेटे अक्षय और राहुल खन्ना हैं। जो दोनों ही फिल्मों में गए। गीतांजलि से तलाक के बाद विनोद खन्ना ने 1980 में कविता के साथ शादी की जिससे उनके बेटे साक्षी और बेटी श्रद्धा हैं।

* 1971 से 1982 के बीच का करियर विनोद खन्ना के लिए ख़ास रहा। मेरे अपने, हम तुम और वो, अचनक जैसी फिल्मों को सराहना मिली। उन्होंने लगभग 47 फिल्मों में सोलो हीरो के रूप में काम किया. अमिताभ के साथ उनकी फिल्में काफी पसंद की गयीं।

* 1971 में गुलजार की फिल्म मेरे अपने में गुलजार ने उन्हें अलग ही अंदाज़ में पेश किया था। इस फिल्म में विनोद खन्ना के साथ शत्रुघ्न सिन्हा भी मुख्य किरदार में थे। वर्ष 1973 में गुलजार की फिल्म अचानक में उन्होंने लीड किरदार निभाया था।

* मेरा गांव मेरा देश विनोद खन्ना के करियर की अहम् फिल्मों में से एक रही। इस फिल्म में विनोद खन्ना ने एक डाकू का किरदार निभाया था। फिल्म में हीरो धर्मेन्द्र थे लेकिन वाहवाही विनोद खन्ना की हुई।

* 1975 में प्रकाश मेहरा की फिल्म 'हाथ की सफाई' के लिए उन्हें उस साल बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का ख़िताब मिला। साल 1980 में आई द बर्निंग ट्रेन में भी उनका अभिनय यादगार रहा।

* 1976 की हेरा फेरी में अमिताभ और विनोद की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। अमर अकबर एंथोनी के साथ ये फिल्म भी उस दौर के बेहतरीन फिल्मों में शुमार हुई।

* 1979 में लहू के दो रंग में उन्होंने डबल रोल निभाया था।

* 1980 में फिल्म कुर्बानी विनोद खन्ना के जीवन की यादगार फिल्म रही। फिरोज़ खान की इस फिल्म एंटरटेनर में जीनत अमान भी थीं। संजोग देखिये कि विनोद खन्ना का निधन भी उसी दिन हुआ जिस दिन फिरोज़ खान की नवीं पुण्यतिथि है।

* विनोद खन्ना , फिरोज़ खान की फिल्म दयावान का भी हिस्सा थे। माधुरी दीक्षित के साथ उनका किसिंग सीन तो आज भी कोई भूले नहीं भूलता है।

* 1968 में विनोद खन्ना ने सुनील दत्त की फिल्म मन का मीट से अपने करियर की पहली शुरुआत की थी। अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने विलेन की भूमिकाएं अधिक निभाई थीं। पूरब और पश्चिम, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में उनका नेगेटिव किरदार था।


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