आखिर क्यों विक्रांत मैसी ने Sector 36 में निभाया नेगेटिव रोल? एक्टर ने अब किया खुलासा
अभिनेता विक्रांत मैसी (Vikrant Massey) की लेटेस्ट फिल्म सेक्टर 36 (Sector 36) को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज कर दिया गया है। इस मूवी में पहली बार विक्रांत ने नेगेटिव रोल प्ले किया है। हाल ही में जागरण संग खास बातचीत में विक्रांत ने इस राज से पर्दा उठाया है कि आखिर क्यों उन्होंने खलनायक की भूमिका के लिए हामी भरी।
दीपेश पांडेय, मुंबई डेस्क, नेटफ्लिक्स पर बीते शुक्रवार प्रदर्शित हुई फिल्म ‘सेक्टर 36’ (Sector 36) में पहली बार नकारात्मक भूमिका में दिखे विक्रांत मेस्सी (Vikrant Massey) आगामी दिनों में फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ में नजर आएंगे। सिनेमा में आ रहे बदलाव, नकारात्मक किरदार निभाने आदि पर विक्रांत ने जागरण के साथ अपने जज्बात साझा किए हैं।
सिताराविहीन फिल्में सिनेमाघरों में धूम मचा रही हैं
फिल्म बिरादरी का हिस्सा होने की वजह से हम तो चाहेंगे कि लोग आएं, फिल्म देखें। अच्छी बात है कि ‘स्त्री 2’, ‘मुंजा’ जैसी तथाकथित छोटे बजट की फिल्में चल रही हैं। अब खुशी इस बात की है कि कोई फिल्म छोटे या बड़े के नजरिए से नहीं देखी जा रही।
अब फिल्म को अच्छी फिल्म या बुरी फिल्म के तौर पर देखा जा रहा है। यह बहुत अहम है। शायद अब लोगों को वैल्यू फार मनी सिनेमा मिल रहा है। यह बदलाव का संकेत है। उम्मीद यह भी है कि लोग ऐसी और फिल्में बनाएं, जो दर्शकों के पैसे और वक्त की वैल्यू करें।
आपको कई लोगों ने ‘सेक्टर 36’ फिल्म करने से मना भी किया था
जी, मैं ऐसी सलाह को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देता हूं। मैं मन की सुनने वालों में से हूं। मुझसे लोगों ने कहा कि यह फिल्म नहीं करनी चाहिए क्योंकि ‘12वीं फेल’ की कामर्शियल सफलता के बाद उस छवि पर प्रभाव पड़ सकता है। मुझे साबित करना था कि यह गलत निर्णय नहीं था।बतौर कलाकार सबसे महत्वपूर्ण है कि मुझे कहानी पर विश्वास है या नहीं।
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एक अच्छी कहानी से जुड़ना मेरे लिए ज्यादा जरूरी है। जब मैंने ‘सेक्टर 36’ की कहानी पढ़ी तो बतौर कलाकार यह मेरे लिए चुनौती थी क्योंकि ऐसा किरदार न तो मैंने टीवी पर किया है, न ही किसी वेब शो और सिनेमा में। यहां पर मौका था कि मैं अपनी कला का दूसरा पहलू भी दिखा सकूं।
क्रिमिनल साइकोलाजी को कितना समझ पाए?
देखिए, प्रेम सिंह के किरदार के लिए मैंने क्रिमिनल साइकोलाजी के कुछ हिस्से को समझने की कोशिश की। वैसे तथाकथित अपराधियों के चेहरे पर कुछ अलग नहीं होता। उनकी मानसिकता को समझना बहुत जरूरी था कि वे क्या पहलू थे, जिसकी वजह से वे ऐसे बने? लेकिन यूनिवर्सल तौर पर जिन किताबों की बात कर रहा हूं,
उसमें एक बात समझ आई कि बचपन का आघात बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। मैंने कई अपराधियों के बारे में पढ़ा तो यही एक कामन बात दिखी। यह सिर्फ हमारे देश में नहीं है, यह दुनियाभर के क्रिमिनल की बात है।
विक्रांत से पूछे गए अहम सवाल
- मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हेमा कमेटी रिपोर्ट आने के बाद महिला सुरक्षा को लेकर उठे सवाल आपको कैसे देखते हैं?
दुर्भाग्य से दुनियाभर में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। जो इस इंडस्ट्री से नहीं हैं, वे भी इन अनुभवों से गुजर रहे हैं। मैंने हेमा कमेटी की रिपोर्ट पढ़ी नहीं है तो उस पर टिप्पणी करना नहीं चाहूंगा, लेकिन अपनी इंडस्ट्री में भी करीब चार साल पहले मी टू की आवाज मुखर हुई थी। कहीं भी अगर अन्याय होता है और हम महिला सुरक्षा की बात करें तो बात हमेशा आगे आनी चाहिए। अगर किसी के साथ गलत हुआ है तो उसे न्याय मिलना चाहिए।
- 'आंखों की गुस्ताखियां’ में आप नेत्रहीन संगीतज्ञ की भूमिका निभा रहे हैं। ‘श्रीकांत’ में राजकुमार राव को काफी सराहना मिली है। ऐसे में और अच्छी भूमिका निभाने का कितना दबाव है?
मुझ पर इस बात का दबाव नहीं है कि राजकुमार ने ‘श्रीकांत’ में अच्छा काम किया है तो मुझे भी वैसा ही करना है। राजकुमार बेहतरीन कलाकार हैं। हां, इस फिल्म में पहली बार नेत्रहीन शख्स का किरदार निभा रहा हूं। संगीतज्ञ भी है तो जहां तक तैयारी की बात है तो बात करते हुए नर्वसनेस हो रही है कि अब तक मेरी कुछ तैयारी नहीं है। शूटिंग शुरू होने वाली है तो थोड़ा समय निकालना है। संगीत से मुझे लगाव है, लेकिन विश्वसनीय दिखने के लिए मेहनत तो करनी है।
क्या फिल्म ‘ब्लैकआउट’ करना सही फैसला था?
हां, बिल्कुल। दुर्भाग्यवश वो फिल्म लोगों तक उस तरह नहीं पहुंच पाई, जैसी हमें उम्मीद थी। यह हमारे काम का हिस्सा है कि कभी आप जीतते हैं, कभी हारते हैं। आप उससे सीखकर आगे बढ़ते हैं। उस फिल्म को लेकर मुझे गर्व है।
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