Sanak: ‘खुदा हाफिज़’ के बाद विद्युत जामवाल की ‘सनक’, जानें कैसे हाथ लगी ये फिल्म
एक्शन फिल्मों से खास पहचान बनाने वाले अभिनेता विद्युत जामवाल ने दस साल का फिल्मी सफर पूरा कर लिया है। कोरोना काल में उनकी फिल्में ‘याराना’ और ‘खुदा हाफिज’ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुईं। आज उनकी फिल्म ‘सनक’ डिज्नी प्लस हाट स्टार पर रिलीज हुई है।
स्मिता श्रीवास्तव, जेएनएन। एक्शन फिल्मों से खास पहचान बनाने वाले अभिनेता विद्युत जामवाल ने दस साल का फिल्मी सफर पूरा कर लिया है। कोरोना काल में उनकी फिल्में ‘याराना’ और ‘खुदा हाफिज’ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुईं। आज उनकी फिल्म ‘सनक’ डिज्नी प्लस हाट स्टार पर रिलीज हुई है। इसमें एक बार फिर वह दमदार एक्शन करते नजर आए हैं। उनसे बातचीत के अंश...
सवाल : इंडस्ट्री में आपको दस साल पूरे हो गए हैं...
जवाब : एक्टर प्रोड्यूसर की जोड़ी लंबी नहीं चलती, पर मैं और विपुल शाह पांच फिल्में कर चुके हैं। ‘कमांडो’ की तीन किस्त आ चुकी हैं। हम 10 तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मुझे ‘फोर्स’ में लॉन्च किया गया था। अब तक हम जब भी साथ आए हैं लोगों ने तारीफ की है। ‘फोर्स’ के निर्देशक दिवंगत निशिकांत कामथ जहां भी होंगे उन्हें मेरे चयन के अपने फैसले से संतुष्टि होगी। पांच सौ लोगों का ऑडिशन हुआ था ‘फोर्स’ के लिए। उनमें मेरा चयन किया गया। मैं अपने सफर से खुश हूं।
सवाल : ‘सनक’ से जुड़ने की क्या कहानी रही?
जवाब : निर्देशक कनिष्क वर्मा मेरे अजीज दोस्त हैं। तकनीकी तौर पर चीजों का देखने का उनका तरीका अलग है। अगर आप किसी की कला की कद्र करते हैं तो सबसे पहले उसकी सिफारिश करते हैं। कनिष्क से मैं मिला तो पूछा कि मेरे लिए कोई कहानी है। उन्होंने मुझे कहानी बताई। मैंने निर्माता विपुल शाह से मिलाया। दोनों की मित्रता हो गई और हमने फिल्म शुरू कर दी।
सवाल : ‘खुदा हाफिज’ के बाद ‘सनक’ में फिर दमदार एक्शन कर रहे हैं?
जवाब : कहते हैं कि एक्शन न करो तब भी वह एक्शन है। ‘खुदा हाफिज’ असल घटना से प्रेरित थी। वह इंसान लड़ाई नहीं कर सकता था। वह आदमी कलाबाजी नहीं मार सकता था। सो हमने कोशिश की थी रियलिटी के करीब रहने की। फिर बात आई ‘सनक’ की। काफी समय से एक्शन नहीं किया था। मुझे पागलों की तरह कुछ अजूबा करना था। वो मौका ‘सनक’ में मिल गया।
सवाल : यहां पर केरल की प्राचीन मार्शल आर्ट कलरियापट्टू नहीं दिख रही है?
जवाब : कलरियापट्टू ऐसी चीज है जो दिखती नहीं है, पर अंदर होती है। कोई भी चीज अगर आपके शरीर पर दिखने लग जाए तो इसका मतलब आपने उसे साधा नहीं है। मैंने कलरियापट्टू को साधा है। अगर मैं आंख भी बंद करके बैठ जाऊं तो मेरे अंदर कलरियापट्टू है। अगर आप मार्शल आर्ट में ट्रेंड हैं तो किसी भी सिचुएशन में आप लड़ेंगे। जरूरी नहीं है कि आप शारीरिक जोर का इस्तेमाल करें। मानसिक स्थिति भी होती है। आपका ध्यान अगर हर हालात पर है तो आप खुद को बचा सकते हैं। ‘सनक’ में हमने यही किया है कि एक अस्पताल पर हमला होता है और किस तरह से बचाव के लिए रोजमर्रा की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। लड़ने के लिए सिर्फ हाथों का प्रयोग जरूरी नहीं है।
सवाल : फिल्मों के जरिए भारतीय मार्शल आर्ट दुनिया तक कितना पहुंच रही है?
जवाब : आजकल लोग आर्गेनिक चीजों को तरजीह देते हैं। ठीक वैसे ही समय आ गया है कि हमारी मार्शल आर्ट को पहचानने का जो तीन हजार साल पुरानी है। मैं गर्व से कहता हूं कि मैं भारतीय मार्शल आर्ट कलरियापट्टू करता हूं। पूरी दुनिया को इसका आभास है। मैं सिनेमा का हिस्सा हूं। मैं इसे विस्तार देने में योगदान दे रहा हूं। दो साल पहले अभिनेता जैकी चेन ने बेस्ट एक्शन के लिए अवॉर्ड दिया था और मेरे नाम के साथ उन्होंने बोला था कलरियापट्टू। इसे वहां तक पहुंचाया है हमने।
सवाल : कोरोना काल की क्या सीख रही?
जवाब : कोरोना की दूसरी लहर में मेरे परिवार में किसी की मृत्यु हो गई थी। उस दौर की कठिनाइयों का एहसास है मुझे। उस दौरान जिसने भी ऑक्सीजन सिलेंडर या अस्पताल में बेड के लिए मुझसे मदद मांगी मैं पीछे नहीं हटा। उससे मुझे संतुष्टि मिली। मैंने सीखा कि खुल कर मदद करो। दुनिया आपकी मदद करेगी। हम समाज का एक हिस्सा हैं, हर बार हम दूसरों को सुधारने के लिए निकलते हैं। इस विजयदशमी पर हमें अपनी कमियों को सुधारने का संकल्प लेना चाहिए। अपनी कमियों पर जीत पाने के लिए मेहनत करें। यही सबसे बड़ी जीत है। यह समाज को भी।
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