ए.के. हंगल का निधन
बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता ए. के. हंगल का रविवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। उन्हें हाल ही में कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता ए. के. हंगल का रविवार को निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। उन्हें हाल ही में कूल्हे की हड्डी टूटने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हंगल के बेटे विजय ने बताया, मेरे पिता का सुबह नौ बजे के करीब निधन हो गया। उनकी मौत मुख्यरूप से उम्र सम्बंधित कारणों से हुई है। उनके फेफड़े कमजोर हो गए थे और काम करना बंद कर दिए थे। हंगल का इलाज कर रहे चिकित्सक कौलसौम हुसैन ने बताया, वह कूल्हे की हड्डी टूट जाने से पीडि़त थे और उनके फेफड़े और गुर्दे के काम बंद कर देने के कारण उनकी मौत हो गई।
हंगल के सांताक्रूज स्थित निवास पर उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया, यह हमारे परिवार, उनके प्रशंसकों और पूरी फिल्म बिरादरी के लिए बड़ा झटका और नुकसान है। उनका अंतिम संस्कार रविवार अपराह्न विले पार्ले शमशान गृह में किया जाएगा। अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार बीते कुछ दिनों से हंगल वेंटिलेटर पर थे लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था।
हंगल बीती 16 अगस्त से कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण आशा पारेख अस्पताल में भर्ती थे। वह लम्बे समय से बुढ़ापे की बीमारियों से पीडि़त थे। अपनी पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय के साथ रहते थे। वर्ष 1967 से हिन्दी फिल्म उद्योग का हिस्सा रहे हंगल ने लगभग 225 फिल्मों में काम किया। उन्हें फिल्म परिचय और शोले में अपनी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है।
हंगल वर्ष 2011 में उस समय सुर्खियों में आ गए थे, जब यह बात सामने आई थी कि वह अपनी आय के साधन खत्म हो जाने के बाद आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास भोजन और दवाइयों तक के लिए पैसे नहीं बचे थे। इसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद की पेशकश की थी। हंगल कुछ दिन पहले ही छोटे पर्दे के धारावाहिक मधुबाला में नजर आए थे।
ए.के. हंगल का जीवन
ए.के. हंगल का जन्म 1 फरवरी 1917 को हुआ था। इनका पूरा नाम अवतार किशन हंगल था। उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई यादगार रोल अदा किए। वर्ष 1966 में उन्होंने हिंदी सिनेमा में कदम रखा और 2005 तक 225 फिल्मों में काम किया। ाजेश खन्ना के साथ उन्होंने 16 फिल्में की थी।
ए.के. हंगल का जीवन
इनका बचपन पेशावर में गुजरा, यहां उन्होंने थिएटर में अभिनय किया। इनके पिता का नाम पंडित हरि किशन हंगल था। इनकी शुरुआती समय में यह दर्जी थे, आजादी की लड़ाई में भी इनकी भागीदारी थी। पिता के सेवानिवृत होने के बाद पूरा परिवार पेशावर से कराची आ गया। 1949 में भारत विभाजन के बाद ए.के. हंगल मुंबई चले गए। ये बलराज साहनी और कैफी आजमी के साथ थिएटर ग्रुप आईपीटीए के साथ जुड़े थे।
हिंदी सिनेमा में करियर
ए.के. हंगल 50 वर्ष की उम्र में हिंदी सिनेमा में आए। उन्होंने 1966 में बासु चटर्जी की फिल्म तीसरी कसम और शागिर्द में काम किया। इसके बाद उन्होंने सिद्घांतवादी भूमिकाएं निभार्ई। 70, 80 और 90 के दशकों में उन्होंने प्रमुख फिल्मों में पिता या अंकल की भूमिका निभाई।
इनके प्रमुखर रोल फिल्म नमक हराम, शौकीन, शोले, आईना, अवतार, अर्जुन, आंधी, तपस्या, कोरा कागज, बावर्ची, छुपा रुस्तम, चितचोर, बालिका वधू, गुड्डी, नरम-गरम में रहे। इनके बाद के समय में यादगार किरदारों में वर्ष 2002 में शरारत, 1997 में तेरे मेरे सपने और 2005 में आमिर खान के साथ लगान में नजर आए थे। 8 फरवरी 2011 में उन्होंने व्हील चेयर पर फैशन डिजाइनर रियाज गंजी के लिए रैप पर आए।
अवार्ड
वर्ष 2006 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मभूषण से नवाजा।
टीवी सिरीयल में उपस्थिति
1997 में बॉम्बे ब्लू
1998 में जीवन रेखा
1986 में मास्टरपीस थिएटर : लार्ड माउंटबेटन
1996 में चंद्रकांता
1993-94 में जबान संभालके में छोटी भूमिका
2004-05 में होटल किंग्सटन में छोटी भूमिका
2012 में धारावाहिव कलर्स चैनल के धाराचाहिक मधुबाला में विशेष उपस्थिति
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