शाहरुख, सानिया की कौमी पहचान भी भुनाएगी सरकार
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा अपनी बुलंदी को शायद ही अपनी कौम से जोड़कर देखते हों, लेकिन सरकार अब उनकी कौमी पहचान को भी भुनाना चाहती है। सिर्फ शाहरुख और सानिया ही नहीं, बल्कि उसकी नजर अन्य क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले सितारों और जानी-मानी हस्तियों पर भी
राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली। बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान और टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा अपनी बुलंदी को शायद ही अपनी कौम से जोड़कर देखते हों, लेकिन सरकार अब उनकी कौमी पहचान को भी भुनाना चाहती है। सिर्फ शाहरुख और सानिया ही नहीं, बल्कि उसकी नजर अन्य क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल करने वाले सितारों और जानी-मानी हस्तियों पर भी है।
सरकार ऐसी आधा दर्जन से अधिक शख्सियतों को ब्रांड एंबेसडर के तौर पर अल्पसंख्यकों के बीच पेश करने जा रही है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ऐसी जानी-मानी हस्तियों को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाने की राह पर चल भी पड़ा है। मकसद, तालीम और तरक्की में पीछे रह गए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में वह जज्बा पैदा करना है ताकि वह भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ सकें। केंद्र ने इस नजरिए से अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ ऐसे लोगों को चुना है, जो आज देश-दुनिया में अपनी खास पहचान रखते हैं।
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फिल्म जगत में वैसे तो अल्पसंख्यक समुदाय से ढेरों ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को बुलंदी पर ले जाने में बड़ी भूमिका निभाई है, लेकिन सरकार की नजर शाहरुख खान, इरफान खान और बोमन ईरानी पर है। इसी तरह, खेल जगत से देश-दुनिया में भारत का नाम रोशन कर चुकीं टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, महिला बॉक्सिंग में पांच बार विश्व चैंपियन रहीं मैरीकॉम भी उसकी प्राथमिकता में ऊपर हैं। मैरीकॉम पर एक फिल्म भी बन रही है, जिसमें आज के दौर की कामयाब अदाकारा प्रियंका चोपड़ा उनकी भूमिका निभा रही हैं। विश्व प्रसिद्ध एथलीट मिल्खा सिंह को भी सरकार ने चुना है। मिल्खा 1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर की दौड़ में सेकेंड के कुछ हिस्से से भारत को कांस्य पदक दिलाने से चूक गए थे। हाल में उन पर केंद्रित एक फिल्म भी आ चुकी है।
मंत्रालय ने भारत में रह रहे निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भी अपना ब्रांड एंबेसडर बनाने का फैसला किया है। इसके लिए इन नामचीन हस्तियों से संपर्क साधा गया है। खास बात यह है कि दलाईलामा और मिल्खा ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रलय का ब्रांड एंबेसडर बनने की हामी भी भर दी है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय और उसके कार्यक्त्रमों को लोकप्रिय बनाने व उसे नई पहचान देने वाली इस तरह की पहल के पीछे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रहमान खान का दिमाग है। उन्हीं का असर है कि मंत्रालय की हेल्पलाइन को 'खिदमत', स्किल डेवलेपमेंट स्कीम को 'सीखो और कमाओ', वुमैन लीडरशिप डेवलेपमेंट कार्यक्त्रम को 'नई रोशनी' और विदेश में पढ़ने के लिए लोन के ब्याज पर सब्सिडी योजना को 'पढ़ो परदेश' नाम दिया गया है। इसी तरह कुछ अन्य योजनाओं की 'नई', 'नया सवेरा' और 'जियो पारस' जैसे नामों से ब्रांडिंग की गई है।
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