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    6 साल बाद बड़े पर्दे पर लौटी Tumbbad की खौफनाक कहानी, 5 कारण हॉरर थ्रिलर को बनाते हैं मस्ट वॉच मूवी

    Updated: Fri, 13 Sep 2024 12:39 PM (IST)

    साल 2018 में भारत की सबसे बेहतरीन हॉरर मूवीज में से एक तुम्बाड (Tumbbad) को बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया था। फिल्म की कहानी के प्लॉट को दर्शकों ने काफी पसंद किया। साथ-साथ हॉरर सीन्स से डर भी महसूस हुआ। अब ये मूवी दोबारा (Tumbbad Re-Release) से रिलीज हो गई है। ऐसे में हम आपको वो 5 कारण बता रहे हैं जिनकी वजह से ये मूवी देखनी चाहिए।

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    फिर से रिलीज हुई हॉरर मूवी तुम्बाड (Photo Credit-Jagran)

     एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हॉरर फिल्में और हिंदी सिनेमा का नाता काफी लंबे अरसे से चला आ रहा है। 'सौ साल बाद, वीराना और दो गज जमीन के नीचे' जैसी डरावनी फिल्मों ने सिने प्रेमियों का सामना दहशत से कराया था। लेकिन जैसे-जैसे दौर बदला खौफनाक कहानियों को सिल्वर स्क्रीन पर पेश करने का तरीका भी बदला। लेकिन हॉरर लीग में जो बदलाव निर्देशक राही अनिल बर्वे की फिल्म तुम्बाड (Tumbbad) लेकर आई, उसे कभी नहीं भुलाया सकता।

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    6 साल पहले सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली तुम्बाड (Tumbbad Re-Release) फिर से लौट आई है। जी हां 13 सितंबर से इस मूवी को बड़े पर्दे पर री-रिलीज किया गया है। ऐसे में हम आपको वो 5 कारण बताने जा रहे हैं, जो इसे मस्ट वॉच मूवी बनाते हैं। 

    पीरियड ड्रामा हॉरर फिल्म

    सिनेमा जगत में बहुत कम बार ऐसा देखा जाता है कि कोई फिल्ममेकर्स पीरियड ड्रामा हॉरर फिल्म को बनाने का साहस दिखाए। जहां आज के समय में हॉरर कॉमेडी और सेपुरनेचुलर हॉरर थ्रिलर का ट्रेंड काफी बढ़ गया है। उसमें पीरियड ड्रामा हॉरर लीग का अपना अलग ही महत्व है।

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    आजादी से पहले के प्लॉट पर तुम्बाड की कहानी को दर्शाया गया है। जिस तरह से निर्देशक ने स्टोरी की नब्ज को पकड़ा है और स्क्रीनप्ले पेश किया है, उस आधार पर एक समय पर आपको ये मूवी 1947 के दौर में ही ले जाएगी। 

    दमदार कहानी का करिश्मा

    फिल्म में दिखाया गया है कि विनायक राव (सोहम शाह) नाम का एक शख्स अपने बेटे पांडुरंग (मोहम्मद समद) को देवी मां के सालों पुराने दबे हुए खजाने के बारे में जानकारी देता। जिसे जानकर उसके मन के अंदर उत्सुकता जाग जाती है। धरती के गहरे गर्भ गृह में खूब सारा सोना दफन है, जिसकी रक्षा के हस्तर नाम का शैतान करता है, जो एक समय में देव माना जाता था। 

    हस्तर का देवी मां से क्या संबंध है और कैसे वह एक देव से शैतान बन गया है। इसके अलावा फिल्म में सदाशिव (रुद्रा सोनी) का किरदार भी अहम दिखाया गया है। ऐसे में वो खजाना किसे मिलता है या फिर हस्तर किसी का खात्मा करता है, कौन लालची बन जाता है। ये सब जानने के लिए आपको एक बार तुम्बाड को देखना पड़ेगा। 

    रियल लोकेशन ने फूंकी जान

    किसी भी फिल्म को शूट करते वक्त उसकी लोकेशन का अहम रोल रहता है। विशेषतौर पर जब आप कोई हॉरर मूवी बनाते हैं, उसमें लोकेशन और भी खास हो जाती है। इस आधार पर तुम्बाड की शूटिंग भी महाराष्ट्र के इसी नाम के गांव की असली जगह पर हुई है, जोकि पुणे के निकट है। इसमें वो रहस्यमयी किला भी शामिल है, जिसमें खजाना दफन दिखाया गया है।

    इसके अलावा पालघर, महाबलेश्वर और सासवाड़ जैसी जगहों पर भी इस मूवी के कुछ दृश्यों को फिल्माया गया है। साथ ही बारिश वाले सीन्स भी असली वर्षा में शूट हुए हैं। इस जगह को लेकर अलग-अलग भूतिया मान्यताएं भी हैं। 

    स्टार कास्ट की कमाल की एक्टिंग

    तुम्बाड की स्टार कास्ट में कोई बड़ा सुपरस्टार नहीं था। लेकिन इसके बावजूद ये एक कल्ट मूवी बन गई है। फिल्म में सोहम शाह, रुद्रा सोनी, मोहम्मद समद, ज्योती माल्शे, हर्ष के, कैमरून एंडरसन और दीपक दामले जैसे कलाकारों ने अपनी शानदार एक्टिंग से फैंस का दिल जीत लिया। 

    क्लाईमैक्स असरदार

    हॉरर सीन्स की तुम्बाड में पूरी भरमार है। लेकिन जिस तरह से लाल बैकग्राउंड पर इस मूवी का क्लाईमैक्स सीन्स फिल्माया गया है, वो सबसे शानदार सीन्स में से एक माना जाता है। हस्तर का रौद्र रूप आपको इसमें पूरे तौर से देखने को मिलेगा। 

    इस तरह से ये वो 5 कारण हैं, जो तुम्बाड को खास बनाते हैं। अगर आपने अभी तक इस मूवी को नहीं देखा है तो आपके पास इसे री-रिलीज के अवसर पर देखने का सुनहरा मौका है।

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