Tisca Chopra की फिल्म से बतौर निर्माता डेब्यू करेंगे मनीष मल्होत्रा, क्राइम थ्रिलर है फिल्म की कहानी
जियो स्टूडियोज और स्टेज5 प्रोडक्शन की फिल्म साली मोहब्बत एक रोमांचक सस्पेंस ड्रामा है जिसका वर्ल्ड प्रीमियर गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) किया गया। यह रोमांचक थ्रिलर न केवल अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा के निर्देशन की पहली फिल्म है। वही इस फिल्म के साथ प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर और स्टाइलिस्ट मनीष मल्होत्रा भी निर्माता के तौर पर डेब्यू करने वाले हैं।
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। अभिनय से निर्देशन में हाथ आजमा रही अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा की फीचर फिल्म ‘साली मुहब्बत’ के निर्माता फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा हैं। फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में आने को लेकर टिस्का कहती हैं,‘इस फिल्म को पहली बार इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इंडिया में दिखाया गया था। बहुत उत्सुकता थी । फिल्म इंडस्ट्री के मेरे बहुत सारे दोस्त भी इसे देखने आए थे,तो यह मेरे लिए किसी परीक्षा की तरह ही रहा। मनीष मेरे तीस साल पुराने दोस्त हैं। मुझे उनकी ओर से भी चिंता महसूस हो रही थी। बतौर निर्माता यहउनकी भी पहली फिल्म है!’
तीस साल बाद आए साथ
फिल्म निर्देशन का सपना कब से था? इस बारे में टिस्का मुस्कुराते हुए कहती हैं, ‘मेरे लिए यह ऐसा कोई सपना नहीं था। मैं कहानि यों को बता ने में दिलचस्पी रखती हूं। जब मैंने मनीष को यह कहानी सुनाई तो उन्होंने कहा कि आप यह फिल्म नि र्देशित करने वाली हैं। दरअसल, मनीष को मैं अपनी पहली फिल्म से जानती हूं। उन्होंने ही मेरी पहली फिल्म के कास्टयूम को डिजायन किया था। तब उनका बांद्रा में एक छोटा सा वर्कशाप था । मैं वहां गई थी और हमने काफी विचार विमर्श किया था। उसके बाद उन्होंने आरेंज और ब्लैक रंग की ड्रेस मुझे दी थी। वह फिल्म नहीं बनी, लेकिन तीस साल बाद उनके साथ फिल्म बना रही हूं।’
दो घंटे की कड़ी चुनौती
शार्ट फिल्म के बाद फीचर फिल्म बनाने को लेकर टिस्का कहती हैं, ‘शार्ट फिल्म आपको लंबे प्रारूप के लिए तैयार करने में मददगार होती है। हालांकि लंबे प्रारूप की अपनी चुनौतियां हैं। आप बीस मिनट लोगों को बांध सकते हैं लेकिन दो घंटे बांधना कड़ी चुनौती होता है। यही सवाल था जिसकी वजह से हमने पटकथा से लेकर कलाकारों की कास्टिंग पर भी बहुत मेहनत की।’
मैंने क्राइम थ्रिलर जानर चुना जिसे कोई जल्दी नहीं छूता
महिला निर्देशकों को अवसर के सवाल पर टिस्का तुरंत कहती हैं,‘मुझे लिंगभेद वाली चीजें समझ नहीं आतीं । मैं खुद को फिल्ममेकर के तौर पर देखती हूं। मैं लेखक और कलाकार भी हूं। मुझे लैंगिक भेद अच्छा नहीं लगता। मुझे नहीं लगता कि हमारी बुद्धि में कोई फर्क है। समाज भले ही इसे विभाजित करके देखता है लेकिन मैं नहीं। मैं बस अपना बेस्ट देना चाहती हूं बिना अपने जेंडर के बारे में सोचे हुए। क्राइम थ्रिलर तथा कथित महिला निर्देशकों का पारंपरिक जानर नहीं रहा है। मैंने उस जानर के साथ फिल्म बनाई है। मेरा काम अपनी कहानी से दर्शकों को बांधकर रखना है। मैंने वही किया है।’
मुश्किल है हर चीज की प्लानिंग
कई बार पटकथा जब निर्देशक खुद लिखते हैं तो सेट पर कई बार चीजें बदलती हैं। इस संबंध में टिस्का कहती हैं,‘चीजें रेकी पर बदलती हैं क्योंकि उस समय आपके दिमाग में अलग छवि होती है। जब आप रेकी पर जाते हैं तो मिलती -जुलती छवि मिलेगी या कतई मेल नहीं खाएगी । तब आप सेट बनाओगे ताकि वैसा दृश्य तैयार किया जा सके। मुझे सेट का बहुत शौक नहीं है। मुझे वास्तविक लोकेशन पर शूट करना बेहतर लगता है क्योंकि वहां पर सबकुछ प्राकृतिक होता है।
नेचुरल लोकेशन्स पर शूटिंग करना पसंद करती हूं
वहां पर किसी दिन कुछ होता है किसी दिन कुछ और। फिर भी कुल मिलाकर आप फिल्म की शूटिंग के लिए तैयार होते हैं। उसमें कभी कलाकार तो कभी सिनेमेटोग्राफर अपना नजरिया बताते हैं कि हम अलग से ऐसे कर लेते हैं। अचानक से राधिका आप्टे (फिल्म की नायिका ) फ्रेम में आती है तो पेड़ से पत्ते और फूल गिरने लग जाते हैं, तितली आ जाती है। यह जादुई चीजें अपने आप होती हैं। इन्हें आप योजना से तो नहीं बना सकते हैं। आडियंस देखे न देखे, लेकिन मैं इन्हें देखती हूं।’
कास्टिंग को लेकर टिस्का ने क्या कहा?
फिल्म में दिव्येंदु शर्मा और राधिका आप्टे को कास्ट करने को लेकर टिस्का कहती हैं,‘दि व्येंदु को मैंने ‘मिर्जापुर’में देखा था। मुझे उनका काम बहुत पसंद आया था। वह प्रतिभाशाली कलाकार हैं। उन्हें बखूबी अपनी लाइनें पता होती हैं कि कहां तक जाना है,फिर वह अपने अभिनय से जादू करते हैं। वहीं राधिका के साथ काम करना बहुत आसान है। वह गूंथे हुए आटे की तरह उस स्थिति में है कि उससे जो चा हे बना लो !’
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