नई दिल्ली, जेएनएन। Nadav Lapid Vulgar Propaganda Comment On The Kashmir Files Erupts Fire On Twitter: फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर IFFI 2022 के ज्यूरी हेड नदाव लपिड के वल्गर और प्रोपेगेंडा कमेंट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। इसके साथ ही फिल्म को लेकर एक बार फिर सपोर्ट करने वाले और विरोध करने वाले एक्टिव हो गए हैं। ट्विटर पर तो कमेंट्स की बाढ़ आ गई है, किसी ने इजरायली फिल्म नदाव लपिड को कोसा तो किसी ने द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री को शर्म करने की सलाह दे डाली। द कश्मीर फाइल्स को लेकर उपजे इस नए विवाद पर लोगों के रिएक्शन कुछ इस तरह है...
द कश्मीर फाइल्स को कड़वा सच बताते हुए एक यूजर ने कमेंट किया, "सच हमेशा कड़वा होता है, जिसे सुनने और देखने की क्षमता केवल एक सच्चे इंसान के पास होती है। द कश्मीर फाइल्स न केवल एक फिल्म है, बल्कि एक कड़वा सच भी है, जिसने हर किसी पर असर डाला! जो लोग झूठ फैलाने का काम कर रहे हैं वह इसे सह नहीं सकते! आपको शर्म आनी चाहिए टूल किट गैंग!"
एक अन्य यूजर ने कहा, "मैं बुरी तरह गुस्साया हुआ हूं कि एक बिना बाल वाले आदमी ने द कश्मीर फाइल्स को प्रोपेगेंडा फिल्म बताया है। 1320 में कश्मीर में 100 प्रतिशत हिंदू थे और आज सिर्फ 0.001(800 परिवार) है।"
इजरायली राजदूत नाओर गिलोन के ट्वीट को टैग करते हुए एक यूजर ने कहा, "स्टैंड लेने के लिए आपका बहुत शुक्रिया नाओर गिलोन सर। द कश्मीर फाइल्स, हमारे कश्मीरी पंडिती के नरसंहार की असली कहानी है, जो केवल प्रोपेगेंडा फैलाने वालों के द्वारा झुठलाई जा रही है और उनकी राय हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती। दो देशों के बीच दोस्ती बनी रहेगी..."
नदाव लपिड के बयान को सपोर्ट करते हुए एक यूजर ने कहा, "सच्चाई ये है कि जिन्हें फिल्म के बेसिक के बारे में भी पता है वह विवेक अग्निहोत्री को फिल्ममेकर और द कश्मीर फाइल्स को फिल्म मानने से इंकार कर देंगे। फिल्म वल्गर कहना भी इसे सम्मान देने जैसा है। संघियों को नदाव को शुक्रिया कहना चाहिए कि उन्होंने कम से कम इसे फिल्म तो समझा।"
कश्मीरी पंडितों के हलातों के बारे में बात करते हुए एक यूजर ने कहा, "दरअसल द कश्मीर फाइल्स कश्मीरी पंडितों की बेइज्जती है। वो अभी भी बिना किसी राहत के प्रोटेस्ट कर रहे हैं और फिल्म के सदस्यों ने उनकी कहानी बेचकर करोड़ों कमा लिए। शर्म आनी चाहिए।"
नदाव लपिड का विवादित बयान
IFFI के क्लोजिंग सेरेमनी पर नदाव लपिड ने द कश्मीर फाइल्स को लेकर कहा, “अंतरराष्ट्रीय कंपटीशन के लिए 15 फिल्में थीं। 14 फिल्म कला के लिहाज से उत्कृष्ट थीं, लेकिन 15वीं फिल्म द कश्मीर फाइल्स थी जिसे देख कर पूरी ज्यूरी विचलित और स्तब्ध थी और हम सबने माना कि वो एक प्रोपेगेंडा वल्गर फिल्म थी, जिसे IFFI में नहीं होना चाहिए था।"