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    दे घुमा के.. क्रिकेट के क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते प्रभाव का असर हिंदी सिनेमा में भी देख रहा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2022 05:43 PM (IST)

    हर क्षेत्र की तरह जब भारतीय महिलाओं ने क्रिकेट के मैदान पर भी अपना जलवा दिखाना शुरू किया तो सिनेमा भी उनकी कहानियों की तरफ आकर्षित हुआ। मौजूदा दौर में हिंदी सिनेमा में महिला क्रिकेट को केंद्र में रखते हुए मिस्टर एंड मिसेज माही जैसी कई फिल्में बन रही हैं।

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    फिल्मकारों और दर्शकों के बदलते रवैये तथा कलाकारों की चुनौतियों की पड़ताल की दीपेश पांडेय ने...

    दीपेश पांडेय। क्रिकेट के मैदान पर हमेशा से ही पुरुषों का दबदबा रहा है। यहां तक अक्टूबर, 2021 तक क्रिकेट में बल्लेबाज या बैट्समैन, थर्डमैन, नाइटवाचमैन जैसे शब्दों का ही प्रयोग होता था। वक्त में बदलाव के साथ हर क्षेत्र की तरह क्रिकेट के मैदान पर भी भारतीय महिलाओं ने न सिर्फ खुद को साबित किया, बल्कि दो-दो बार क्रिकेट विश्वकप फाइनल में पहुंचकर पूरे विश्व में अपना जलवा कायम किया। समाज और क्रिकेट में महिलाओं की बदलती भूमिका के देखते हुए इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) की तरफ से अक्टूबर 2021 में नियमों में बदलाव करके बैट्समैन की जगह बैटर शब्द का प्रयोग सुनिश्चित किया गया। उसके बाद थर्ड मैन की जगह थर्ड और नाइट वॉचमैन की जगह नाइटवाच जैसे शब्दों के प्रयोग की मांग हुई। क्रिकेट के क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते प्रभाव का असर सिनेमा में भी देखा जा रहा है। हिंदी सिनेमा में महिला क्रिकेट को केंद्र में रखते हुए फिल्मकार वास्तविक और काल्पनिक दोनों तरह की कहानियों को पर्दे पर लाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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    साल 2009 में निर्देशक अनुराग सिंह ने रानी मुखर्जी और शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म दिल बोले हडिप्पा बनाई थी। इस फिल्म में एक लड़की के क्रिकेट खेलने को लेकर आने वाली मुश्किलों और सामाजिक दबाव जैसे कई पहलुओं को दिखाया गया। इसमें रानी के किरदार को क्रिकेट खेलने के लिए लड़कों का लुक लेना पड़ता है। पूर्व भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज विश्व में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली और सबसे ज्यादा एकदिवसीय क्रिकेट मैच खेलने वाली महिला क्रिकेटर हैं। उनकी जिंदगानी पर आधारित बायोपिक शाबाश मीतू 15 जुलाई को रिलीज हो रही है। इसके अलावा जान्हवी कपूर अभिनीत मिस्टर एंड मिसेज माही, अनुष्का शर्मा अभिनीत चकदा एक्सप्रेस और सैयामी खेर अभिनीत घूमर जैसी फिल्में भी रिलीज की कतार में हैं, जिनमें महिला क्रिकेट को केंद्र में रखा है। चकदा एक्सप्रेस पूर्व भारतीय क्रिकेटर झूलन गोस्वामी की बायोपिक है, मिस्टर एंड मिसेज माही की कहानी काल्पनिक है तथा आर बाल्की निर्देशित फिल्म घूमर हंगरी के शूटर करोली ताकास के जीवन से प्रेरित है।

    बदलाव तो है.. फिल्मकारों के साथ-साथ महिला क्रिकेट पर आधारित कहानियों के प्रति दर्शकों के रवैये में भी अब बदलाव देखा जा सकता है। पहले की अपेक्षा अब महिला क्रिकेटरों से ज्यादा लोग परिचित हैं, ज्यादा लोग मैच देख रहे हैं। लिहाजा निर्माता भी महिला क्रिकेटरों की रोमांचक कहानियों पर पैसे लगाने में नहीं हिचकिचा रहे हैं। इस बाबत मिताली राज का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री तापसी पन्नू कहती हैं, बदलाव तो है, तभी तो निर्माता ऐसी फिल्मों पर पैसे लगा रहे हैं। उनको लगता है कि दर्शक ऐसी फिल्में देखने के लिए तैयार हैं, तो इन पर पैसे लगाना सही रहेगा। इसके बाद ऐसी और भी बहुत सी फिल्में आएंगी। मिताली का संघर्ष उनकी टीम को लेकर था कि उनकी महिला क्रिकेट टीम को वह दर्जा और इज्जत मिले जिसकी वो हकदार है। क्रिकेट में तो महिलाओं को पुरुषों जितनी टीआरपी, स्पांसरशिप तो नहीं मिलती हैं, लेकिन मुझे यह खुशी है कि सिनेमा के पर्दे पर उन्हें जगह मिल रही है। लोगों ने महिला क्रिकेट को नहीं देखा, लेकिन मैं उम्मीद करती हूं कम से कम महिला क्रिकेटरों की कहानियां बताती इन फिल्मों को ज्यादा से ज्यादा लोग देखें।'

    कड़ी तैयारी: महिला हो या पुरुष खिलाडिय़ों के किरदार को पर्दे पर सही ढंग से उतारने के लिए कलाकारों को काफी मुश्किल तैयारियों से गुजरना पड़ता है। जिससे दर्शक उनके किरदार और उसकी कहानी पर यकीन करें और उससे जुड़ सकें। फिल्म घूमर में क्रिकेटर की भूमिका निभा रही अभिनेत्री सैयामी खेर अपनी तैयारी को लेकर कहती हैं, 'मैं स्कूल के दिनों से क्रिकेट खेलती आई हूं और मैंने पेशेवर तौर पर भी क्रिकेट खेला है। लिहाजा इस किरदार की तैयारी मेरे लिए मजेदार रही। हर दिन सुबह उठना और इस फिल्म की तैयारी के लिए क्रिकेट खेलना मेरे लिए एक सपने की तरह था। जब मैं अश्विनी अय्यर तिवारी की वेब सीरीज फाडू की शूटिंग कर रही थी, तब भी मैंने क्रिकेट की प्रैक्टिस कभी नहीं छोड़ी। आमतौर मैं अपनी कार में क्रिकेट बैट और बॉल अपने साथ रखती हूं। जब भी काम के बीच थोड़ी फुर्सत मिलती है, तो क्रिकेट खेलना शुरू कर देती हूं। कई प्रख्यात क्रिकेटर मेरे दोस्त हैं, इस किरदार के लिए मैंने उनसे सलाह लिया। पूर्व क्रिकेटर मुरली कार्तिक ने मुझे अपनी टेक्निक में कुछ बदलाव करने में मदद की, जबकि कोच सिद्धार्थ के साथ मैं रोजाना क्रिकेट की प्रैक्टिस किया करती थी।'

    दर्द भरा सफर: क्रिकेट की कठोर बॉल शरीर पर गहरी चोट करती है। अक्सर क्रिकेटर्स के फ्रैक्चर की खबरें आती रहती हैं, ऐसे में कलाकारों के लिए भी कैमरे के सामने क्रिकेट खेलना आसान नहीं होता है। उनके लिए भी परफेक्ट शाट मिलने तक बार-बार एक ही शाट खेलना और उसकी ट्रेनिंग का सफर काफी चोट और दर्द भरा होता है। इस बारे में फिल्म मिस्टर एंड मिसेज माही में क्रिकेटर की भूमिका निभा रही अभिनेत्री जान्हवी कपूर बताती हैं, 'अभी तो मेरी क्रिकेट ट्रेनिंग की शुरुआत हुई है। कुछ महीनों पहले मैंने ट्रेनिंग शुरू की थी, लेकिन बीच

    में मैं चोटिल हो गई। फिर मैंने दोबारा ट्रेनिंग शुरू की, दोबारा चोटिल हो गई। अब धीरे-धीरे फिर से ट्रेनिंग शुरू कर रही हूं। उम्मीद है कि इस बार कोई चोट नहीं लगेगी। मुझे क्रिकेट खेलने में मजा बहुत आता है। मेरा कवर ड्राइव सही है। स्टेप आउट और कवर में 50-50 का मामला है। अभी स्विच हिट, पुल शॉट, स्क्वेयर कट और फ्लिक समेत कई और शाट बाकी हैं।'

    अभी तो शुरुआत है: पुरुष क्रिकेट को लेकर हिंदी सिनेमा में अव्वल नंबर, लगान और इकबाल जैसी तमाम फिल्में काफी पहले से बनती आई हैं। अब पूरी दुनिया में महिला क्रिकेट की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ रही है। भारतीय महिला क्रिकेटरों में स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर समेत कई खिलाडिय़ों के इंटरनेट मीडिया पर लाखों में फॉलोवर्स हैं। ऐसे में अब सिनेमा का ध्यान महिला क्रिकेटरों के रोमांचक सफर की तरफ जा रहा है, अभी तो महिला क्रिकेट पर आधारित फिल्मों के दौर की शुरुआत है। भविष्य में ऐसी कई फिल्में बन सकती हैं। इसके बारे में फिल्म चकदा एक्सप्रेस के निर्माता और अनुष्का शर्मा के भाई कर्णेश शर्मा कहते हैं, 'कोई भी अच्छी कहानी हो, फिर वह चाहे क्रिकेट की हो या कबड्डी की, हम लोगों के सामने लाएंगे। चकदा एक्सप्रेस महिला क्रिकेट पर आधारित है। इसमें दिखाया गया है कि भारतीय महिला क्रिकेट का इतिहास क्या रहा है, उनका सफर क्या रहा है और अब उन्हें क्या चाहिए? अपने शुरूआती दौर में झूलन गोस्वामी और भारतीय महिला क्रिकेट टीम जिस इज्जत की तलाश कर रही थी, यह फिल्म उस सफर की कहानी है। हमारी योजना इस फिल्म को भारत के साथ लंदन में शूट करने की है। अगर भविष्य में इस तरह की कोई और कहानी मिलती है तो हम वह भी बताना चाहेंगे।'

    दोहरे जश्न का मौका: तापसी पन्नू अगर आप क्रिकेट को पसंद करते हैं, तो आप यह मत देखिए कि बैट एक आदमी के हाथों में हैं या औरत के हाथ में। जब हम अपने आप को क्रिकेट प्रेमी देश बोलते हैं तो मेंस क्रिकेट प्रेमी देश थोड़ी ना बोलते हैं। जो अच्छा क्रिकेट खेलेगा, हम उसे देखेंगे और उसकी प्रशंसा करेंगे। हमारे देश में पुरुष और महिला दोनों क्रिकेट टीमें हैं। जो भी टीम दूसरे देश के खिलाफ खेलेगी, हम उनका उत्साह बढ़ाएंगे। दोनों में से कोई भी टीम जीते, ट्रॉफी हमारे अपने घर, हमारे देश में ही आएगी। सपोर्ट और उत्साहवर्धन भी दोनों के लिए उतना ही होना चाहिए। रिसोर्सेस (संसाधन और सुविधाएं) तथा विजिबिलिटी (देखने वालों की संख्या) के तौर पर हम जितना सपोर्ट पुरुष टीम को देते हैं, अगर उतना ही महिला टीम को मिले, तो हमें शायद जश्न मनाने और खुश होने के दोहरे मौके मिलेंगे।

    साल 2018 में तमिल फिल्म कना (नाट आउट) रिलीज हुई। इस फिल्म में एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुई लड़की की क्रिकेटर बनने की चुनौतियों को दिखाया गया है। साल 2019 में इस फिल्म को कौशल्या कृष्णमूर्ति नाम से तेलुगू में रीमेक किया गया।

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